20 जून 2022, महाराष्ट्र विधान परिषद के नतीजे घोषित हुए और चुनाव में कथित क्रॉस वोटिंग का मुद्दा गर्मा गया। अगले ही दिन खबर आई कि तत्कालीन कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे करीब 10 अविभाजित शिवसेना विधायकों के साथ संपर्क से बाहर हैं। इसके बाद तस्वीर सभी के सामने है। अब ऐसे ही हाल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में बनते नजर आए और विपक्ष के नेता रहे अजित पवार शिंदे सरकार में शामिल होकर चार सालों में तीसरी बार उपमुख्यमंत्री बन गए हैं। इस पूरे घटनाक्रम में 20 जून, 2023 का जिक्र काफी अहम है।
तब क्या हुआ था
कहा जा रहा था कि शिंदे करीब 10 विधायकों के साथ गुजरात के सूरत पहुंच गए थे। खुद शिवसेना सांसद संजय राउत ने पुष्टि की थी कि कुछ विधायकों से बात नहीं हो पा रही है। उन्होंने कहा था, ‘शिवसेना के कुछ विधायक और एकनाथ शिंदे फिलहाल संपर्क से बाहर हैं। एमवीए सरकार को गिराने की कोशिश की जा रही है, लेकिन भाजपा को यह याद होना चाहिए कि महाराष्ट्र, राजस्थान या मध्य प्रदेश से बहुत अलग है।’
क्या हुआ नतीजा
शिवसेना में बागी हुए विधायकों की संख्या बढ़ते-बढ़ते करीब 40 तक पहुंच गई। जुलाई 2022 आते-आते शिंदे राज्य के मुख्यमंत्री बने और देवेंद्र फडणवी डिप्टी सीएम बने। हालांकि, उद्धव सेना में बगावत का दौर थमा नहीं और सांसदों, विधायकों और नेताओं का शिंदे कैंप में जाना जारी रहा। साथ ही शिंदे को भारत निर्वाचन आयोग यानी ECI में जीत हासिल हुई और उन्हें शिवसेना के रूप में मान्यता मिली। साथ ही ‘तीर-कमान’ चुनाव चिह्न का इस्तेमाल करने की अनुमति भी मिली।
20 जून, 2023 को क्या हुआ
कहा जा रहा था कि 20 जून को अजित और भाजपा के एक बड़े नेता के बीच अहमदाबाद में बड़ी बैठक हुई थी, जहां एनसीपी में बगावत का प्लान तैयार हुआ। हालांकि, न पवार और न ही भाजपा ने इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ कहा था। 29 जून को शिंदे और फडणवीस दिल्ली पहुंचे, जहां कहा जा रहा है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ ताजा सियासी घटनाक्रम पर बड़ा मंथन हुआ।
अजित को कितने विधायकों का समर्थन
खबर है कि अजित ने सोमवार को 40 एनसीपी विधायकों के समर्थन का दावा किया है। एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि उन्होंने राज्यपाल रमेश बैस को 40 विधायकों के नामों की सूची दे दी है। इसके अलावा वह पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर दावेदारी पेश करने के लिए चुनाव आयोग का भी रुख कर चुके हैं।