कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, एवम कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल ने बताया कि भारत को कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था बनाने के लिए एवं व्यापार तथा लघु उद्योग द्वारा बड़े पैमाने पर लोगों द्वारा डिजिटल भुगतान को तेजी से अपनाने के लिए, डिजिटल भुगतान पर लेनदेन शुल्क को सरकार द्वारा सीधे बैंकों को सब्सिडी देने की आवश्यकता है- यह कहते हुए कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री अमर पारवानी और एवम प्रदेश अध्यक्ष श्री जितेंद दोशी ने यह कहते हुए सरकार से यह भी आग्रह किया की इस उद्देश्य के लिए सरकार एक डिजिटल पेमेंट प्रमोशन बोर्ड गठित करे.
श्री पारवानी एवम् दोशी ने यह भी कहा नेशनल पेमेंट कॉउंसिल ऑफ़ इंडिया (एनपीसीआई) को यूपीआई, भीम आदि को ही चलाना चाहिए और पेमेंट इंडस्ट्री को मॉनिटर तथा रेगुलेट करने के लिए पृथक रूप से एक रेगुलेटरी अथॉरिटी बनाई जाए ! उन्होंने यह भी कहा कि जब सरकार द्वारा नीति के रूप में अनेक क्षेत्रों में खुला नेटवर्क बनाया जा रहा है तो पेमेंट इंडस्ट्री को भी खुला नेटवर्क दिया जाना चाहिए ताकि उपयोगकर्ताओं को सर्वोत्तम सेवाएं मिल सके ! श्री पारवानी एवम् दोशी ने कहा की यह आवश्यक है कि केंद्र सरकार डिजिटल भुगतानों पर लगाए जाने वाले लेनदेन शुल्क व्यापारी अथवा ग्राहकों की बजाय सीधे बैंकों को सरकार सब्सिडी दे जिससे व्यापारी अथवा उपभोक्ताओं पर वित्तीय बोझ ना पड़े ।
श्री पारवानी एवम् दोशी ने कहा कि देश में डिजिटल भुगतान को अपनाने और स्वीकार करने में लेन-देन शुल्क का वित्तीय बोझ डिजिटल पेमेंट को अपनाने में एक बहुत बड़ी बाधा है इस दृष्टि से सरकार ट्रांसक्शन शुल्क को सब्सिडी के माध्यम से सीधे बैंकों को दे दे तो देश में डिजिटल पेमेंट अप्रत्याशित रूप से बढ़ेगा ! दूसरी तरफ यह अनौपचारिक अर्थव्यवस्था को औपचारिक अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करने में बड़ा सहायक होगा जिससे सरकार को आय कर एवं अन्य करों में भी बड़ी वृद्धि होगी ! सरकार द्वारा मुद्रा की छपाई और उसकी सुरक्षा और लॉजिस्टिक पर प्रति वर्ष बड़ी राशि खर्च की जाती है ! बैंकों को लेनदेन शुल्क में सब्सिडी देने से सभी स्तरों पर डिजिटल भुगतान के व्यापक उपयोग को बढ़ावा मिलेगा और नकदी के अधिक उपयोग को कम कर भारत को कम नकदी वाले देश में आसानी से परिवर्तित किया जा सकेगा जो कि डिजिटल पेमेंट अपनाने के दृष्टिकोण को काफी हद तक पूरा कर सकेगा। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि एक महीने में तीन बार से अधिक एटीएम के उपयोग से अधिक इस्तेमाल करने पर एटीएम से नकद राशि निकालने पर एक सामान्य शुल्क लगाया जा सकता है ! सभी प्रकार के डेबिट और क्रेडिट कार्ड, पीओएस टर्मिनल, एम-पी ओ एस, मोबाइल वॉलेट, मोबाइल एप्लिकेशन, क्यूआर कोड, यूपीआई और आधार सक्षम एप्लिकेशन सहित डिजिटल भुगतान के अन्य सभी तरीकों को प्रोत्साहन योजनाओं के दायरे में लाया जाना चाहिए।
श्री पारवानी एवम् दोशी ने वरिष्ठ अधिकारियों और व्यापारियों और उपभोक्ताओं के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए एक डिजिटल पेमेंट प्रमोशन बोर्ड बनाने की पुरजोर वकालत करते हुए कहा की वट्टल कमेटी की सिफारिशों के अनुसार एक स्वतंत्र पेमेंट रेगुलेटरी अथॉरिटी की स्थापना की जानी चाहिए। गैर बैंकिंग वित्त कंपनियों और सूक्ष्म वित्त संस्थानों को भी शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पीओएस टर्मिनलों को सब्सिडी देने की योजना को प्रोत्साहित करके व्हाइट लेबल पीओएस टर्मिनल स्थापित करने के लिए डिजिटल भुगतान के परिदृश्य में लाया जाना चाहिए !
श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने यह भी कहा कि सरकार ने अगस्त, 2015 में एक प्रोत्साहन प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया है जिसमें कुछ कर लाभ और बैंकों द्वारा वसूले जाने वाले लेन-देन की लागत में छूट के प्रस्ताव शामिल थे ! उन्होंने सरकार से उक्त प्रस्तावों को लागू करने का आग्रह करते हुए कहा कि डिजिटल भुगतान के माध्यम से व्यापार लेनदेन में भुगतान स्वीकार करने वाले दुकानदारों को प्रोत्साहन प्रदान करने के प्रस्ताव से व्यापारियों को ई-भुगतान प्रणाली को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।