नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के डायरेक्टर संजय कुमार मिश्रा के सर्विस एक्सटेंशन पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर हमलावर विपक्ष को जवाब दिया है. शाह ने मंगलवार को कहा कि यह अहम नहीं है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का निदेशक कौन है? क्योंकि जो कोई भी इस पद पर होगा, वह विकास विरोधी मानसिकता रखने वाले परिवारवादियों के बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार पर नजर रखेगा.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने ईडी प्रमुख संजय कुमार मिश्रा को तीसरा सर्विस एक्सटेंशन दिये जाने को अवैध ठहराया है. कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि ED डायरेक्टर संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल तीसरी बार बढ़ाने का केंद्र का फैसला गैर-कानूनी है. कोर्ट के इस आदेश के बावजूद मिश्रा 31 जुलाई तक पद पर बने रहेंगे. तब तक सरकार को नए चीफ की नियुक्ति करनी होगी.
सरकार द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार 1984 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारी का कार्यकाल 18 नवंबर तक निर्धारित था. केंद्र ने अध्यादेश के जरिए उनका कार्यकाल तीसरी बार बढ़ाया था, जबकि कोर्ट पहले ही कह चुका था कि दूसरी बार के बाद संजय मिश्रा का कार्यकाल न बढ़ाया जाए.
अमित शाह ने विपक्ष को दिया ये जवाब
कोर्ट के फैसले के बाद अमित शाह ने ट्वीट किया, ‘ईडी मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी मना रहे लोग विभिन्न कारणों से भ्रम में हैं. केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) अधिनियम में संशोधन, जिसे संसद द्वारा विधिवत पारित किया गया था, उसे बरकरार रखा गया है.’
उन्होंने कहा कि भ्रष्ट और कानून का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई करने के लिए ईडी की शक्तियां पहले जैसी हैं, क्योंकि यह एक ऐसी संस्था है जो किसी व्यक्ति विशेष से परे है. यह अपने मुख्य उद्देश्य को प्राप्त करने के प्रति लक्षित है. यानी मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन के अपराधों की जांच जारी रहेगी.
अमित शाह ने कहा, ‘‘इसतरह, यह महत्वपूर्ण नहीं है कि ईडी का निदेशक कौन है, क्योंकि जो कोई भी इस पद पर होगा, वह विकास विरोधी मानसिकता रखने वाले ‘परिवारवादियों के क्लब’ के बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार पर नजर रखेगा.”
संजय कुमार मिश्रा को एक्सटेंशन देने के पीछे सरकार का तर्क है कि उनकी जगह लेने के लिए अभी कोई दूसरा अफसर तलाश नहीं किया जा सका है. वे अभी मनी लॉन्ड्रिंग के कई मामलों की निगरानी कर रहे हैं. ऐसे में नई नियुक्ति के लिए हमें थोड़ा और समय चाहिए.
हालांकि, कोर्ट ने 2021 में कार्यकाल बढ़ाने वाले कानून में हुए बदलाव को वैध बताया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी जांच एजेंसी के डायरेक्टर के कार्यकाल को बढ़ाया जा सकता है, लेकिन सरकार को इसकी ठोस वजह लिखित में बतानी होगी.