food poisoning First Aid: फूड्स को सही तरह से न पकाने या स्टोर करने के कारण उनमें मौजूद बैक्टेरिया कई गुना बढ़ जाते है और बीमारी का कारण बन सकते हैं. पैरासाइट, वायरस, टॉक्सिन केमिकल के कारण कंटेमिनेटेड फूड्स भी बीमार कर सकते है. इसे फूड पॉइजनिंग भी कहते हैं. फूड पॉइजनिंग के कारण पेट संबंधी परेशानियां शुरू हो सकती हैं. कुछ लोगों को फूड पॉइजनिंग का खतरा ज्यादा रहता है. जानें कि फूड पॉइजनिंग होने पर सबसे पहले क्या करें.
फूड पॉइजनिंग के लक्षण –
फूड पॉइजनिंग के लक्षण फूड्स के दूषित होने के स्रोत के अनुसार अलग अलग हो सकते हैं. आमतौर पर ये लक्षण नजर आ सकते हैं-
डायरिया, दस्त के साथ ब्लड आ सकता है.
चक्कर आना
पेट में दर्द
उल्टी
डिहाइड्रेशन
कभी कभी हल्का बुखार
अगर डिहाइड्रेशन लेवल बहुत ज्यादा होता है तो खड़े होने पर चक्कर आ सकता है. थकान या यूरिन का कलर डार्क हो सकता है.
इन लोगों को होता है ज्यादा खतरा:
फूड पॉजनिंग के कारण बीमार पड़ना कई चीजों पर निर्भर करता है इसमें सबसे प्रमुख उम्र और सेहत है.
बुजुर्ग
उम्र बढ़ने के साथ इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है जिसके कारण इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. बुजुर्गों को फूड पॉजनिंग आसानी से हो सकती है.
नवजात और बच्चे
नवजात और छोटे बच्चों में इम्यून सिस्टम विकसित नहीं होता है इसलिए उन्हें फूड पॉजनिंग का ज्यादा खतरा होता है.
जिन्हें पुरानी बीमारी हो
ऐसे लोग जो लंबे समय से किसी बीमारी जैसे डायबिटिज, एड्स से पीड़ित हों या कीमोथेरेपी ले रहे हों उन्हें भी फूड पॉइजनिंग का खतरा ज्यादा होता है.
प्रेगनेंट महिलाएं
प्रेगनेंसी इम्यून सिस्टम को बदल देती है जिससे इंफेक्शन से बचना मुश्किल हो जाता है इसके कारण इस दौरान फूड पॉइजनिंग का खतरा ज्यादा हो सकता है.
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फूड पॉइजनिंग के लिए फर्स्ट एड –
ज्यादा से ज्यादा लिक्विड लें. इससे डिहाइड्रेशन से बचाव होगा. एक साथ ढेर सारा पानी पीने के बजाए इसे धीरे धीरे और कम मात्रा में लें. यूरिन पर नजर रखें, यूरिन का गहरा रंग डिहाइड्रेशन का संकेत होता है. एंटी डायरिया दवाएं न लें. ये आपकी बॉडी से इंफेक्शन के लिए जिम्मेदार तत्व को निकलने में बाधा बन सकते हैं. किसी भी तरह की दुविधा होने पर डॉक्टर से संपर्क करें.
कब करें डॉक्टर से संपर्क?
सामान्य तौर पर फूड बोर्न इलनेस कुछ समय में ठीक हो जाती हैं लेकिन इन स्थितियों में डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है.
लगातार दो दिन से उल्टी हो रही हो.
कई दिनों से डायरिया जारी हो.
बुखार 101 डिग्री या इससे ज्यादा हो.
खड़े होने पर चक्कर आ रहा हो.
पेट में तेज दर्द हो.