जयपुर. राजस्थान में सीएम गहलोत-पायलट के बीच सियासी सुलह से वसुंधरा राजे की मुश्किल न बढ़ जाए। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की चुनाव में फिलहाल भूमिका तय नहीं है। बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष संग हुई मीटिंग के बाद राजे के अचानक दिल्ली दौरे ने सियासी अटकलों को हवा दे दी है। बता दें 12 जुलाई को बीएल संतोष ने राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में बीजेपी नेताओं के साथ मीटिंग की थी। इसमें वसुंधरा राजे भी मौजूद रहीं थी। बीएल संतोष संग हुई मीटिंग में बाद वसुंधरा राजे का अचानक दिल्ली दौर बन गया। वसुंधरा राजे दिल्ली में जेपी नड्डा से मिलीं। सूत्रों के अनुसार वसुंधरा राजे ने चुनाव में अपनी भूमिका स्पष्ट करने का आग्रह दिल्ली के नेताओं से किया है। राजनीतिक विश्लेषकों का तर्क है कि बीएल संतोष की मीटिंग के बाद सियासी समीकरण बदल गए है। हालांकि, पार्टी के नेता खुलकर नहीं बोल रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का तर्क है कि चुनाव नजदीक आते ही राजस्थान का सियासी तापमान काफी गर्म हो गया है। कांग्रेस में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच सियासी वर्चस्व की जंग कांग्रेस के लिए सिरदर्द बन गई थी, लेकिन मुश्किलें बीजेपी नेता वसुंधरा राजे की भी बढ़ गई है। सचिन पायलट के निशाने पर वसुंधरा हैं और उनके कार्यकाल के दौरान कथित भ्रष्टाचार का मुद्दा उठा रहा है? सियासी जानकारों का कहना है कि बीजेपी में सीएम फेस को लेकर पार्टी आलाकमान तय नहीं कर पा रहा है। राजस्थान दौरे पर आए बीएल संतोष ने साफ कह दिया है कि पीएम मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ा जाएगा। मतलब साफ है कि वसुंधरा राजे सीएम फेस नहीं होंगी।
उल्लेखनीय है कि वसुंधरा राजे सिंधिया वर्तमान में पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं, लेकिन, वे राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी दावेदारी छोड़ने को तैयार नहीं हैं। वसुंधरा गुट की तरफ से लगातार आलाकमान पर यह दवाब बनाया जा रहा है कि पार्टी उन्हें अपना चेहरा घोषित कर चुनाव में उतरे लेकिन राज्य की राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए पार्टी आलाकमान काफी पहले ही सैद्धांतिक तौर पर यह फैसला कर चुका है कि पार्टी राजस्थान में किसी भी नेता को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर चुनाव में नहीं उतरेगी।
सियासी जानकारों का कहना है कि कांग्रेस को हराने के लिए चुनाव से पहले बीजेपी आलाकमान वसुंधरा राजे को बड़ी भूमिका दे सकता है। ऐसी चर्चा है कि गहलोत सरकार को हराने के लिए बीजेपी यह तय कर चुकी है कि प्रदेश का विधानसभा चुनाव सामूहिक नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही लड़ा जाएगा। हालांकि, इसके साथ ही यह भी संदेश दिया जाता रहा कि वसुंधरा राजे सिंधिया के राजनीतिक कद और अनुभव को देखते हुए पार्टी उन्हें विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कोई बड़ी भूमिका दे सकती है। लेकिन राज्य बीजेपी में लगातार बदल रहे समीकरणों की वजह से वसुंधरा राजे का गुट अपने आपको असहज महसूस कर रहा है। पार्टी आलाकमान लगातार यह कोशिश कर रहा है कि प्रदेश बीजेपी में व्याप्त गुटबाजी समाप्त हो और वसुंधरा राजे सिंधिया समेत पार्टी के सभी नेता मिलकर विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जोर-शोर से जुट जाएं। बीएल संतोष ने पार्टी नेताओं को साफ कहा कि गुटबाजी से दूर रहे। बयानबाजी करने से बचे।