रायपुर। शराब घोटाले के मामले में अधिकारी-कर्मचारियों को नोटिस जारी करने के बाद अब आबकारी विभाग की उच्च स्तरीय जांच शुरू हो चुकी है, जिसमें आबकारी विभाग के अधिकारी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तर्ज पर अधिकारियों और कंपनियों के प्रतिनिधियों से दफ्तर में सवालों की बौछार कर रहे हैं, जिनके खिलाफ रिश्वत और भ्रष्टाचार की शिकायतें मिली हैं।
उनसे सीधे पूछा जा रहा है कितने रुपये लिए? आबकारी शुल्क और अन्य करों का भुगतान किए बगैर गाड़ियों को क्यों जाने दिया गया? संदिग्धों से कुछ इस तरह के सवाल दागे जा रहे हैं। आबकारी विभाग ने कुल 35 लोगों के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच शुरू कर दी है। इनके खिलाफ भ्रष्टाचार और टैक्स चोरी की शिकायतें विभाग को मिली है। पूर्व में सात लोगों को नोटिस जारी करने के बाद अब 31 और लोगों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई है, जिसमें अधिकारी और कंपनी के अन्य प्रतिनिधि शामिल हैं।
रिपोर्ट के लिए अभी इंतजार
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक जांच पूरी होने के बाद रिपोर्ट सरकार को पेश की जाएगी। अंतिम जांच में अभी समय लग सकता है। आबकारी विभाग की ओर से एक-एक अधिकारी, कर्मचारियों और कंपनियों के खिलाफ जांच प्रतिवेदन बनाया जाएगा। रिश्वत लेने और देने दोनों मामलों में कार्यवाही प्रस्तावित की जाएगी। उल्लेखनीय है कि 2000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले की शिकायत के बाद ईडी ने कोर्ट में 13 हजार पन्नों का चालान पेश कर दिया है।
आबकारी विभाग आयुक्त जेपी पाठक ने कहा, 35 लोगों के खिलाफ शिकायतें प्राप्त हुई है। उन्हें दफ्तर बुलाकर सवाल-जवाब किया जा रहा है। इससे पहले नोटिस जारी कर उनसे आरोपों पर जवाब मांगा गया था। विभागीय जांच जारी है।
अधिकारियों से पूछे जा रहे कुछ इस तरह के सवाल
1. आबकारी शुल्क और अन्य करों का भुगतान किए बगैर मदिरा की अवैध निकासी क्यों कराई गई ?
2. कितने रुपये लिए, अवैध पारितोषिक लेने की जरूरत क्यों पड़ी?
3. किसके कहने पर आपने यह काम किया ?
4. आपके कार्यकाल में शराब की कुल अवैध बिक्री और भ्रष्टाचार के बारे में बताएं