नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने आज तीसरे दिन वैज्ञानिक सर्वेक्षण का काम शुरू कर दिया है। संभावना है कि सर्वे टीम आज तहखाने में जाकर सर्वे करेगी। इसबीच, मुस्लिम पक्ष ने तहखाने की चाबियां सर्वे टीम को सौंपने से इनकार किया है और कहा है कि जो भी कमरा देखना है, उसे खोल दिया जाएगा। इससे नया विवाद खड़ा हो गया है।
सामना के मुताबिक, मुस्लिम पक्षकारों के वकील मुमताज अहमद ने कहा कि हम सर्वे में पूरा सहयोग कर रहे हैं लेकिन हम उन्हें बेसमेंट (तहखाने) की चाबी नहीं देंगे। बतौर अहमद, टीम जिस भी दरवाजे को खोलने कहेगी, उसे खोल देंगे। अहमद ने बताया कि मस्जिद के ऊपरी हिस्से में अभी भी सर्वे जारी है। शनिवार को भी तहखाने का सर्वे शुरू नहीं हो सका था, क्योंकि मुस्लिम पक्ष ने तहखाना का ताला खोलने या चाबी देने से इनकार कर दिया था। उनके मुताबिक, तहखाना में कूड़ा और मिट्टी जमा होने के कारण अभी तक उसका सर्वे शुरू नहीं किया जा सका है। इसलिए तहखाने को खोलकर सफाई कराई जाएगी।
इधर, सरकारी वकील राजेश मिश्रा ने कहा है कि रविवार को तहखाने का सर्वे किया जाएगा। शनिवार को हिंदू चिन्ह और प्रतीक मिलने का दावा हिंदू पक्ष के वकील अनुपम द्विवेदी ने किया। टीम ने जीएनएसएस मशीन से तहखाने का थ्री-डी इमेज तैयार किया है। यह मशीन सेटेलाइट की मदद से संचालित होती है। हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता ने बताया कि सर्वे की टीम मस्जिद परिसर के केंद्रीय गुंबद के हाल में जहां नमाज पढ़ी जाती है, उसका सर्वे किया गया और उस जगह की फोटोग्राफी और मैपिंग की गयी।
उन्होंने बताया कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वे टीम ने व्यास परिवार के कब्जे वाले तहखाने का भी सर्वे किया, लेकिन मुस्लिम पक्ष के कब्जे वाले दूसरे तहखाने में सर्वेक्षण की टीम अभी पहुंच नहीं पाई है। उन्होंने बताया कि ज्ञानवापी परिसर में कुल चार तहखाने हैं, जिसमें से एक व्यास परिवार के कब्जे में है और दूसरा मुस्लिम पक्ष के कब्जे में है। बाकी दो तहखानों में मलबा भरा हुआ है।
शनिवार को दिन भर हुए सर्वे के दौरान दोनों पक्षों के वकील सर्वे टीम के साथ थे। हालांकि, शुक्रवार को हुए सर्वे कार्य में मुस्लिम पक्ष शामिल नहीं हुआ था। रविवार को सुबह से शाम पांच बजे तक सर्वे होगा। हिन्दू पक्ष की एक वादी सीता साहू ने परिसर से बाहर आ कर बताया कि ज्ञानवापी परिसर के पश्चिमी दीवार पर आधी पशु और आधी देवता की मूर्ति दिखी। तहखाने में भी टूटी-फूटी मूर्तियां और खम्भे पड़े दिखे।
इस बीच, मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता तौहीद खान ने बताया कि शनिवार को जारी सर्वे कार्य के दौरान अधिवक्ता अखलाक और मुमताज सहित मुस्लिम पक्ष के पांच लोग एएसआई टीम के साथ मौजूद हैं। मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता मुमताज ने बताया, “हम सर्वे के काम से संतुष्ट हैं। कल तक हम सर्वे के काम में शामिल नहीं थे, लेकिन आज हम सर्वे के कार्य में शामिल हैं और हम सर्वे के कार्य में पूरा सहयोग दे रहे हैं।”
इससे पहले, शुक्रवार देर रात अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव मोहम्मद यासीन ने एक पत्र जारी कर शीर्ष अदालत के फैसले का सम्मान करने और सर्वेक्षण में सहयोग करने की बात कही थी। यासीन ने कहा था कि एएसआई सर्वे पर स्थगन आदेश देने से माननीय सर्वोच्च न्यायालय के इनकार से उपजी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कमेटी ने सर्वसम्मति से निर्णय किया है कि शीर्ष अदालत के निर्णय का सम्मान करते हुए एएसआई के वैज्ञानिक सर्वे में सहयोग दिया जाएगा।
उन्होंने पत्र में कहा था, “हम आशा करते हैं कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों का निष्पक्ष तरीके से पालन किया जाएगा और हमारी मस्जिद को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। साथ ही हमारे धार्मिक अधिकार शीर्ष अदालत के पूर्व के फैसले के अनुसार सुरक्षित रहेंगे।”
इस बीच, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर के विशेषज्ञों की एक टीम ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की सहायता कर रही है। संस्थान के निदेशक अभय करंदीकर ने पुष्टि की कि संस्थान के पृथ्वी विज्ञान विभाग के विशेषज्ञ, ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने में एएसआई की सहायता कर रहे हैं। करंदीकर ने कहा कि पृथ्वी विज्ञान विभाग (अर्थ साइंस) के प्रोफेसर, जावेद एन मलिक भी विदेश से लौटने के तुरंत बाद संस्थान के विशेषज्ञों की टीम में शामिल होंगे।
इससे पहले, इलाहाबाद उच्च न्यायालय से हरी झंडी मिलने के बाद एएसआई की एक टीम कड़ी सुरक्षा के बीच शुक्रवार सुबह ज्ञानवापी परिसर में दाखिल हुई थी और सर्वेक्षण कार्य शुरू किया था। शुक्रवार को मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने भी सर्वेक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हालांकि, प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने एएसआई को सर्वेक्षण के दौरान परिसर में किसी भी तरह की तोड़फोड़ की कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया था।
वहीं, वाराणसी की जिला अदालत ने काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में वैज्ञानिक सर्वेक्षण को पूरा करने के लिए एएसआई को चार सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया था। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि सर्वेक्षण कार्य के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है और मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस बल मौजूद है। ज्ञानवापी परिसर में वैज्ञानिक सर्वेक्षण यह तय करने के लिए किया जा रहा है कि 17वीं शताब्दी में बनी इस मस्जिद का निर्माण एक हिंदू मंदिर के ढांचे के ऊपर तो नहीं किया गया है।