दुर्ग। देशभर में गणेश उत्सव की तैयारी शुरू हो चुकी है, इसके साथ ही दुर्ग जिले के शिल्पग्राम थनौद में 1 फीट से लेकर 20 फीट तक की विशालकाय गणेश प्रतिमाएं आकार लेने लगी हैं. इस बार इन कलाकारों खास तौर पर एआई जनरेटेड मूर्तियों की डिमांड ज्यादा मिल रही है. इन प्रतिमाओं को तैयार करने में ग्राम थनौद के कुशल मूर्तिकार लगे हुए हैं.
शिल्प ग्राम थनौद में लगभग 100 से अधिक परिवार अपनी तीन पीढियों से मूर्ति निर्माण के जरिए जीवकोपार्जन करते हैं. ये कलाकर तमाम समस्याओं के बाद भी पीढ़ियों से अपनी कला को जीवित रखने का काम कर रहे हैं. थनौद देश भर में एक विशेष मूर्ति कला के लिए जाना जाता है. जहां से मां दुर्गा, श्री गणेश, भगवान विश्वकर्मा, माता लक्ष्मी, हनुमान एवं कई प्रतिमाएं उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, दिल्ली, गुजरात, आंध्रप्रदेश जैसे अलग-अलग राज्यों में विराजित होती हैं.
बदलते दौर के साथ अब गणेश उत्सव समितियां की ओर से एआई जनरेटेड श्री गणेश की मूर्तियों की डिमांड की जा रही है. समितियां विशेष तौर पर कलाकारों से अपने डिमांड के अनुसार मूर्तियां तैयार करवा रही हैं. जिनकी कीमत लाखों रुपयों तक है. बेजान मिट्टियों को आकार देकर उनमें जान फूंकने वाले मूर्तिकारों ने बताया कि काम की शुरुआत चार महीने पहले ही हो जाती है. राजस्थान, गुजरात के पोरबंदर और मुंबई से मिट्टी मंगाई जाती है.
कई पीढ़ियों की कला को आगे बढ़ाते हुए अब गांव के कुम्हार अब मेटल और फाइबर की भी मूर्तियां तैयार कर रहे हैं, जिसके लिए वे विशेष ट्रेनिंग भी ले रहे हैं. कोरोना काल के बाद अब सामग्रियों की बढ़ी कीमत से परिवारों को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. गांव के मशहूर कलाकार राधेश्याम चक्रधारी गांव के कलाकारों को सरकार से निशुल्क मिट्टी प्रदान की मांग कर रहें हैं.