गयाजी तीर्थ में 28 सितंबर से शुरू 17 दिवसीय पितृपक्ष श्राद्ध के नौवें दिन शुक्रवार को पितरों को रूद्र व विष्णु लोक की प्राप्ति की कामना को लेकर हजारों श्रद्धालुओं ने सूर्यपद, चंद्रपद, गणेशपद, संध्याग्निपद, आवसंध्याग्निपद व दधीची पद पर पिंडदान व श्राद्धकर्म किया.
पिंडदान करते लोग
त्रिपाक्षिक श्राद्ध विधान के तहत देश के विभिन्न राज्यों से आये श्रद्धालुओं ने शुक्रवार को विष्णुपद मंदिर प्रांगण के 16 वेदी मंडप स्थित सूर्यपद, चंद्रपद, गणेशपद, संध्याग्निपद, आवसंध्याग्निपद व दधीची पद वेदी स्थलों पर पिंडदान व श्राद्धकर्म का कर्मकांड अपने कुल पंडा के निर्देशन में पूरा किया. भीड़ अधिक रहने से काफी श्रद्धालुओं ने देवघाट व अन्य जगहों पर भी बैठकर अपना कर्मकांड पूरा किया.
पिंडदान करते लोग
पंडाजी मणिलाल बारिक ने बताया कि आश्विन कृष्ण पक्ष सप्तमी तिथि को 16 वेदी के सूर्यपद, चंद्रपद, गणेशपद, संध्याग्निपद, आवसंध्याग्निपद व दधीची पद वेदी स्थलों पर श्राद्ध विधान है. ये वेदियां 16 वेदी मंडप में स्तंभ के रूप में स्थित है. सबसे पहले गणेश पद वेदी पर पिंडदान का विधान है. यहां पिंडदान करने से पितरों को रूद्र लोक की प्राप्ति होती है.
पिंडदान करते लोग
आवसंध्याग्नि पद वेदी पर श्राद्ध से पितर ब्रह्म लोक को प्राप्त करते हैं. संध्याग्नि व दधीची पद पर श्राद्ध से श्राद्धकर्ता को यज्ञ का फल प्राप्त होता है. चंद्र पद पर श्राद्ध से पितरों को स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है.
मंदिर में दर्शन करते श्रद्धलू
गयाजी में पितृपक्ष मेला शुरू हो गया है. इस दौरान गया रेलवे स्टेशन पर लगातार भीड़ बढ़ती जा रही है. भीड़ को नियंत्रण करने और बाहर से आये पिंडदानियों के साथ-साथ रेलयात्रियों को सहयोग करने के लिए रेलवे ने शुक्रवार को एक नियंत्रण कक्ष खोला है. इस कक्ष में रेलयात्रियों के साथ-साथ पिंडदानियों को हर प्रकार की सुविधा के साथ समस्याएं भी दूर किया जायेगा. रेलवे ने गया रेलवे स्टेशन पर एक कंट्रोल नंबर सार्वजनिक कर दिया है.
पिंडदान करते लोग
कोई भी यात्री इस 9771427494 नंबर पर फोन कर ट्रेनों के जानकारियों के साथ-साथ अन्य सुविधा का लाभ उठा सकेंगे. स्टेशन प्रबंधक उमेश कुमार ने बताया कि जब तक पितृपक्ष मेला रहेगा.तब तक स्टेशन पर कंट्रोल रूम से तीर्थयात्रियों को सहयोग के लिए खुला रहेगा. यहीं नहीं, दो नंबर सार्वजनिक किये गये हैं, ताकि बाहर से आनेवाले तीर्थयात्रियों को परेशानियों का सामना न करना पड़े.