नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने रविवार को एक कार्यक्रम में भारत-कनाडा संबंधों पर किए गए एक सवाल के जवाब में कहा, “अगर हम कनाडा में अपने राजनयिकों की सुरक्षा में प्रगति देखते हैं, तो हम वहां वीजा जारी करना फिर से शुरू करना चाहेंगे.” विदेश मंत्री ने कहा कि, कनाडाई राजनयिकों (Canadian diplomats) द्वारा हमारे मामलों में लगातार हस्तक्षेप के कारण हमने समानता की बात कही है.
विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत-कनाडा संबंधों पर कहा कि रिश्ते अभी कठिन दौर से गुजर रहे हैं. हमारी समस्या कनाडा (Canada) की राजनीति के कुछ हिस्सों से हैं. उन्होंने यह भी कहा कि, यदि हम कनाडा में अपने राजनयिकों की सुरक्षा में प्रगति देखते हैं, तो हम वहां वीजा जारी करना फिर से शुरू करना चाहेंगे.
एस जयशंकर ने कहा कि कनाडा के कर्मचारियों की ओर से नई दिल्ली के मामलों में हस्तक्षेप को लेकर चिंताओं के चलते भारत ने देश में कनाडा की राजनयिक मौजूदगी में समानता का प्रावधान लागू किया है. विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि अगर भारत को कनाडा में भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा में प्रगति दिखाई देगी तो कनाडा के लोगों को वीजा जारी करना फिर से शुरू किए जाने की संभावना है.
कनाडा में इसी साल जून में खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या हुई थी. कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पिछले माह इस केस में भारतीय एजेंटों की “संभावित” संलिप्तता का आरोप लगाया. इसके बाद भारत और कनाडा के संबंधों में गंभीर तनाव आ गया.
जस्टिन ट्रूडो के आरोपों के कुछ दिनों बाद भारत ने कनाडाई नागरिकों को वीजा जारी करना अस्थायी रूप से बंद करने की घोषणा की और ओटावा से भारत में अपनी राजनयिक उपस्थिति कम करने को कहा.
भारत में कनाडा की राजनयिक मौजूदगी को कम करने पर उन्होंने कहा कि राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन में राजनयिक समानता का प्रावधान किया गया है. जयशंकर ने कहा, “विएना कन्वेंशन द्वारा समानता प्रदान की गई है, जो इस पर प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय नियम है. हमारे मामले में हमने समता का आह्वान किया क्योंकि हमें कनाडाई कर्मचारियों द्वारा हमारे मामलों में लगातार हस्तक्षेप को लेकर चिंता थी.”
कनाडा पहले ही अपने 41 राजनयिकों को भारत से वापस बुला चुका है. कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने गुरुवार को भारत से राजनयिकों की वापसी की घोषणा करते हुए नई दिल्ली की कार्रवाई को “अंतरराष्ट्रीय कानून के विपरीत” और राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन का उल्लंघन बताया था. भारत पहले ही इस आरोप को खारिज कर चुका है.