नई दिल्ली: अपने देश के लिए वर्ल्ड कप खेलना हर क्रिकेटर का सपना होता है. लेकिन क्या कोई खिलाड़ी दो अलग-अलग देशों की विश्व कप टीमों का भी हिस्सा बन सकता है. आप सोचेंगे कि ऐसा कैसे मुमकिन है. लेकिन हम आपको बता दें कि विश्व कप के इतिहास में एक या दो नहीं, बल्कि 4 खिलाड़ी ऐसे हैं जिन्होंने दो अलग-अलग देशों की टीमों से इस टूर्नामेंट में हिस्सा लिया है. आइए जानते हैं कौन हैं ये खिलाड़ी और किन दो देशों का ये विश्व कप में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.
कैपलर वेसल्स
नई पीढ़ी के क्रिकेट प्रेमी शायद इस नाम से परिचित नहीं होंगे, लेकिन पुराने किक्रेट प्रेमी इन्हें जरूर जानते हैं. कैपलर वेसल्स ने अपने क्रिकेटिंग करियर की शुरुआत ऑस्ट्रेलिया से की थी. 1983 के विश्व कप में वह किम ह्यूज की कप्तानी में टीम का हिस्सा बने. इसके बाद वे अपने देश साउथ अफ्रीका चले गए. उस वक्त रंगभेद की नीति के कारण दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट की दुनिया से बाहर था. बैन हटने के बाद जब साउथ अफ्रीका की क्रिकेट में वापसी हुई तो 1992 के विश्व कप में कैपलर वेसल्स ने ही देश की टीम की कप्तानी की.
इयोन मोर्गन
इयोन मोर्गन एक ऐसे खिलाड़ी हैं जो चार विश्व कप टूर्नामेंट्स का हिस्सा रह चुके हैं. 2019 में अंग्रेजों को पहली विश्व कप विजय उन्हीं के नेतृत्व में हासिल हुई थी. 2011 और 2015 में भी मोर्गन इंग्लिश क्रिकेट टीम का अहम हिस्सा थे. लेकिन 2007 के विश्व कप में मोर्गन ने आयरलैंड की टीम का प्रतिनिधित्व किया था. उन्हीं के प्रदर्शन की मदद से आयरलैंड की टीम को वर्ल्ड कप में क्वालीफाई करने में भी मदद मिली थी.
एड जॉयस
एड जॉयस की कहानी इयोन मोर्गन से ठीक उलट है. जॉयस ने अपना पहला वर्ल्ड कप इंग्लैंड के लिए खेला, जबकि बाद के अपने दोनों विश्व कप में उन्होंने आयरलैंड की टीम का प्रतिनिधित्व किया. जॉयस का जन्म आयरलैंड के डबलिन में हुआ था. 2007 के विश्वकप उन्होंने इंग्लैड की ओर से खेला, लेकिन 2011 और 2015 के विश्व कप में वह आयरलैंड की टीम का हिस्सा बने.
एंडरसन कमिंस
एंडरसन कमिंस ने पहली बार 1992 के विश्व कप में वेस्टइंडीज की टीम से भाग लिया था. इस वर्ल्ड कप में भारत के खिलाफ खेलते हुए कमिंस ने बेहतरीन गेंदबाजी की और प्लेयर ऑफ द मैच बने. इसके बाद कमिंस 15 साल बाद 2007 में विश्व कप टूर्नामेंट में नजर आए. इस बार कमिंस कनाडा की टीम का प्रतिनिधित्व कर रहे थे और उनकी उम्र 40 पास हो चुकी थी. हालांकि कनाडा की टीम जल्द ही टूर्नामेंट से बाहर हो गई थी.