मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के सियासी मैदान में उतरे प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम (EVM) में कैद हो गई. वोटिंग संपन्न होते ही बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) के सभी नेताओं ने तीन दिसंबर को अपनी-अपनी पार्टी की सरकार बनने का दावा किया है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों के लिए यह चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है. हालांकि MP-CG में एक कॉमन बात यह रही कि दोनों जगह बंपर मतदान हुआ. मध्य प्रदेश की बात करें तो यहां शाम 5 बजे तक 71.16 फीसदी और छत्तीसगढ़ में 67.34 फीसदी मतदान हुआ. सबसे अधिक मतदान प्रतिशत रतलाम के सैलाना निर्वाचन क्षेत्र में हुआ और भोपाल के मतदाता इस मामले में फिसड्डी साबित हुआ. ये आंकड़ा अभी बढ़ सकता है. इस बीच भोपाल और रायपुर के सियासी गलियारों में आज हुई बंपर पोलिंग को लेकर कई मायने निकाले जा रहे हैं.
मध्य प्रदेश किसका क्या दांव पर?
मामा’ के नाम से मशहूर शिवराज के सामने सत्ता में वापसी की चुनौती है. वहीं कांग्रेस की ओर से सीएम फेस कमलनाथ (Kamalnath) के सामने पार्टी को फिर से सत्ता में वापस लाने का चैलेंज है. कांग्रेस को शिवराज की एंटी इन्कंबेंसी (Anti Incumbency) और लुभावने वादों का सहारा है तो बीजेपी हर बार की तरह इस बार भी पीएम मोदी के फेस और ‘लाड़ली बहना’ (Ladli Bahna MP) जैसी योजनाओं पर भरोसा कर रही है.
मतदाताओं ने पिछली बार कमलनाथ की 15 महीने और शिवराज की साढ़े तीन वर्ष की सरकार को देखा है. उसी आधार पर जनता अपना फैसला सुना सकती है. साफ है कि इस बार मध्य प्रदेश में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैसे कांग्रेसी दिग्गज नेताओं का भविष्य दांव पर है तो बीजेपी के केंद्रीय मंत्रियों और चार सांसदों के राजनीतिक भविष्य के लिए भी यह चुनाव अहम साबित होने जा रहा है.
2018 में क्या हुआ था?
2023 के जनादेश में क्या छिपा है, ये कोई नहीं जानता. बीते चुनावों की बात करें तो 2018 में कैसे नतीजे आए थे यानी क्या स्थितियां थीं? आइए जानते हैं. 2018 के चुनाव में वोटिंग के मामले में महाकौशल संभाग 80 फीसदी वोटिंग के साथ नंबर वन पर था तो चंबल की बेल्ट सबसे निचले पायदान पर थी. चंबल इलाके में बस 69 फीसदी लोगों ने मतदान किया था.
छत्तीसगढ़ का हाल भी समझिए
यहां कांग्रेस ने कुल 90 में से 75 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. सत्ता वापसी के लिए कांग्रेस ने पूरी ताकत लगा दी है. बीजेपी भी हर हाल में सत्ता में वापसी करना चाहती है. बीजेपी ने यहां 2003 से 2018 तक लगातार 15 वर्षों तक राज किया है. संभाग की लड़ाई में यहां भी बीजेपी और कांग्रेस में कांटे का मुकाबला है. छत्तीसगढ़ में 2018 में 75.3 फीसदी वोटिंग हुई थी. पिछली बार की तुलना में इस बार भी काफी अच्छी वोटिंग हुई है.
छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा वोटिंग बालोद में हुई जहां 77.67 फीसदी वोट पड़े. फिर रायगढ़ में 75.16 फीसदी वोट पड़े.
2018 चुनाव का नतीजा
2018 के चुनावों में, कांग्रेस को 68 सीटें और बीजेपी को 15 सीटों पर संतोष करना पड़ा था. तब जेसीसी (जे) को 5 और बीएसपी को 2 सीटें मिली थीं. दूसरे चरण की वोटिंग के दिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि बीजेपी बुरी तरह हार रही है. ये कौशल्या मां की धरती है और राम हमारे भांजे लगते हैं. राहुल गांधी ने भी शुक्रवार को यहां बड़ी जीत का दावा किया. हालांकि ऐसा ही दावा बीजेपी के तमाम नेताओं ने भी मीडिया के सामने किया. अब जनता किसके सर ताज पहनाएगी ये तो तीन दिसंबर को ही पता चल सकेगा.