नई दिल्ली: सहारा ग्रुप के संस्थापक सुब्रत रॉय सहारा का 14 नवंबर को मुंबई में निधन हो गया. इसके बाद कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया के अकाउंट में पड़ी 25000 करोड़ रुपये से ज्यादा की बिना बंटी हुई रकम फिर से चर्चा का विषय बन गई है. सेबी ने सहारा केस में आखिरी अपडेट 31 मार्च 2022 को जारी किया था. इसके हिसाब से तब तक 17526 आवेदनों की कुल राशि 138 करोड़ रुपये बताई थी. सेबी ने कहा कि 31 मार्च 2023 तक बैंकों में जमा कुल राशि करीब 25,163 करोड़ रुपये है. अब इस पैसे का क्या होगा, इसी को लेकर बड़ा सवाल है. क्या ये रकम निवेशकों को लौटाई जाएगी? या पूरा पैसा भारत की संचित निधिमें वापस कर दिया जाएगा?
कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी ने 2011 में सहारा ग्रुप की दो कंपनियों ‘सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड’ (SIREL) और ‘सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड’ (SHICL) को वैकल्पिक रूप से पूर्ण परिवर्तनीय बांड-optionally fully convertible debentures या (ओएफसीडी) के रूप में पहचाने जाने वाले कुछ बॉन्ड्स के जरिए करीब 3 करोड़ निवेशकों से जुटाई गए रकम को वापस करने का आदेश दिया था. सरकारी सूत्रों ने कहा कि सेबी के लिए इन्वेस्टर्स को रकम ट्रांसफर करना बहुत जल्दबाजी होगी, क्योंकि सहारा रिफंड पोर्टल के जरिए ट्रांसफर की प्रक्रिया अभी भी चल रही है.
एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने NDTV को बताया, “हम 2.5 लाख इन्वेस्टर्स को लगभग 230 करोड़ रुपये का रिफंड करने में कामयाब रहे हैं. नए रजिस्ट्रेशन अभी भी हो रहे हैं. इसलिए यह कहना जल्दबाजी होगी कि सेबी से रकम भारत की संचित निधि में ट्रांसफर कर दिया जाएगा.”
केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने पिछले साल जुलाई में सहारा रिफंड पोर्टल लॉन्च किया था. इसके वेरिफाई होने के बाद रजिस्ट्रेशन के 45 दिनों के भीतर सेबी में पड़े फंड से सरकार पैसे ट्रांसफर कर रही है. सुब्रत रॉय के सामने साल 2012 में आर्थिक समस्याएं आई थीं, जब सुप्रीम कोर्ट ने सेबी के उस आदेश को बरकरार रखा जिसमें सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्प और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्प को अपने निवेशकों को ब्याज के साथ रिफंड करने का निर्देश दिया गया था. तब कोर्ट ने सहारा ग्रुप की दोनों कंपनियों को सेबी के पास 25000 करोड़ रुपये जमा करने को कहा था.