7 अक्टूबर को रॉकेट हमलों के बाद इजरायल में कम से कम 1200 लोग मारे गए थे. इसके बाद इजरायल ने हमास का नामोनिशान मिटाने की कसम खाई है. इजरायल 7 अक्टूबर से ही गाजा पट्टी पर हमास के ठिकानों को निशाना बना रहा है. बीते कुछ दिनों से इजरायली सेना ने गाजा में ग्राउंड ऑपरेशन भी तेज कर दिया है. गाजा में इजरायली हमलों में अब तक 15,000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. इजरायल ने हमास को जड़ से खत्म करने और अपने क्षेत्र को सुरक्षित करने का टारगेट रखा है.
इससे यह सवाल उठता है कि क्या इजरायल कभी भी अपने घोषित उद्देश्य को हासिल कर सकता है? अपनी दक्षिण-पश्चिमी सीमा पर 2.2 मिलियन (22 लाख) लोगों के फिलिस्तीनी क्षेत्र को कट्टरपंथों से आजाद और विसैन्यीकृत यानी डिमिलिट्रीलाइज करना इजरायल का मकसद है. इस बीच इजरायल और हमास ने बुधवार तड़के 4 दिनों के सीजफायर के बदले 50 बंधकों की रिहाई पर सहमति की. इजरायली संसद ने 50 बंधकों के बदले 4 दिन के सीजफायर के प्रस्ताव को पास कर दिया है. हालांकि, यह अनिश्चित है कि दोनों के बीच कोई स्थायी शांति कायम रहेगी या नहीं.
क्योंकि इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने कह चुके हैं कि इजरायल हमास के खिलाफ अपना युद्ध जारी रखेगा. भले ही बंधकों को रिहा करने के लिए हमास के साथ अस्थायी रूप से सीजफायर लागू हो. ऐसे में गाजा के भविष्य को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने महमूद अब्बास के नेतृत्व वाले वेस्ट बैंक से मॉडरेट फिलिस्तीनी अथॉरिटी को गाजा में वापस लाना चाहते हैं. बाइडेन फिलिस्तीनी राज्य के निर्माण को फिर से शुरू करना चाहते हैं. हाल ही में अपने एक बयान में अमेरिकी राष्ट्रपति ने इसका जिक्र भी किया था.
इजरायल और हमास की जंग के बीच गाजा के ताजा हालात पर इजरायल, अरब दुनिया, यूरोप और अमेरिका में दो दर्जन अधिकारियों, राजनयिकों और विश्लेषकों से बात की गई. अमेरिका से उलट इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार फिलिस्तीनी राज्य का विरोध करती है. नेतन्याहू सरकार वेस्ट बैंक और गाजा को अलग रखना चाहती है. वरिष्ठ इजरायली अधिकारियों के मुताबिक, नेतन्याहू सरकार अरब की फंडिंग, अमेरिका के दिखाए गए रास्ते और इजरायली सुरक्षा के साथ गाजा के अंदर एक युवा तकनीकी नेतृत्व को बढ़ावा देना चाहती है, जो भूमध्य सागर पर दुबई जैसा कुछ बनाएगा. यह एक ऐसा नजरिया है, जिसे ज्यादातर बाहरी लोग असंभव काम मानते हैं.
फिलिस्तीनी अथॉरिटी का कहना है कि वह सीजफायर के बिना भविष्य पर चर्चा नहीं करेगा, लेकिन निजी तौर पर अधिकारियों का कहना है कि वे जंग से लौटने के लिए तैयार हैं; मगर इजरायली टैंकों के डर से नहीं. एक सीनियर अधिकारी ने कहा, यूरोपीय संघ इसकी वापसी का समर्थन करता है और गाजा में अपने सीमा नियंत्रण मिशन को मजबूत कर सकता है. 7 अक्टूबर के हमलों के बाद फिलहाल इसे वापस ले लिया गया था. यूरोपीय संघ के टॉप अधिकारी इस मामले में फिलिस्तीनी अथॉरिटी और प्रमुख अरब राज्यों के अधिकारियों के साथ चर्चा कर रहे हैं.