आबकारी मंत्री कवासी लखमा हर बार की तरह इस बार भी कोंटा विधानसभा सीट में फंसे हुए नजर आ रहे है। इस बार चुनाव के दौरान कई दिलचस्प बातें हुई है। दिल्ली से लेकर बस्तर तक सक्रिय एक सामाजिक कार्यकर्ता के बीहड़ जंगल तक जाकर नक्सलियों से बातचीत करने की चर्चा है। बताते हैं कि सामाजिक कार्यकर्ता ने कांग्रेस के खिलाफ फरमान जारी करने का दबाव बनाया था।चर्चा तो यह भी है कि भाजपा के रणनीतिकार,सीपीआई प्रत्याशी मनीष कुंजाम को साधन-संसाधन मुहैया कराने के लिए भी तैयार थे ताकि मनीष मजबूत हो और इसका फायदा भाजपा प्रत्याशी सोयम मुक्का को मिल जाए। चर्चा है एक आईएएस अफसर से मनीष कुंजाम को मदद भी मिली है। इसके बाद कोंटा में चौकाने वाले नतीजे आने की उम्मीद जताई जा रही है।
भाजपा-कांग्रेस के दिग्गज खतरे में
विधानसभा चुनाव के बाद इस बार भाजपा के बड़े नेता और कांग्रेस सरकार के मंत्रियों के संकट में फंसे होने की खबरें आ रही है। इस खबर से दोनों पार्टी के नेता ही परेशान है। डिप्टी सीएम टीएस बाबा, विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत, मंत्री मो. अकबर, अमरजीत सिंह, रूद्र कुमार गुरू, रविन्द्र चौबे और कोरबा के जयसिंह अग्रवाल की स्थिति का आंकलन हो रहा है। दूसरी तरफ, भाजपा में धरमलाल कौशिक, नारायण चंदेल, प्रेमप्रकाश पाण्डेय, शिवरतन शर्मा, पुन्नूलाल मोहले, कृष्ण कुमार बांधी सहित कई दिग्गज मुश्किल में घिरे हैं । इनमें से ज्यादातर नेता मंदिर, पूजा पाठ और बाबाओं की शरण में नजर आ रहे हैं। एक मंत्री तो मतदान के बाद अस्पताल में इलाज करा रहे हंै। एक अन्य ने बनारस के बड़े पंडितों को अपने यहां बुलाकर अनुष्ठान करा रहे हैं। इसका चुनाव नतीजे पर क्या फर्क पड़ता है यह तो 3 दिसंबर के बाद पता चलेगा।
गोल्फ के मैदान में बहस
मतदान के बाद जीत और हार को लेकर लोग अनुमान लगा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक प्रदेश में कांग्रेस सरकार के रिपीट होने का अंदाजा लगा रहे हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार के कई आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसर चाहते हैं कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बने। ये अफसर,केन्द्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर गये अफसरों और प्रभावशाली नेताओं के संपर्क में हंै। पिछले दिनों नया रायपुर के गोल्फ मैदान में अफसरों के बीच चुनावी संभावनाओं को लेकर काफी चर्चा भी हुई। एक सीनियर आईएएस और एक आईएफएस अफसर,भाजपा सरकार बनने की संभावनाएं तलाशते रहे। दरअसल,प्रदेश में ईडी की धमक से अफसर लाबी परेशान हैं। भूपेश सरकार में असहज महसूस कर रहे हैं। अफसर लाबी को उम्मीद है कि भाजपा आई तो जांच एजेंसियों से पीछा छूट जायेगा। कुछ अफसरों ने मौलश्री विहार में संपर्क बढ़ाना शुरु भी कर दिया है। अब अफसर लाबी की हसरत पूरी होगी या नहीं, यह तो 3 दिसंबर को चुनाव नतीजे आने के बाद ही पता चलेगा।
कांग्रेस दिग्गज मुश्किल में…
रायपुर जिले के एक कमजोर माने जाने वाले भाजपा प्रत्याशी ने विधानसभा चुनाव में इतना खर्च किया है कि वर्षो से जमे कांग्रेस विधायक हांफने लगे। बताते हैं कि भारत माला योजना के तहत बनने वाली सडक़ के अगल-बगल की सैकड़ों एकड़ जमीन मध्यप्रदेश के एक दिग्गज नेता ने खरीदी है। चर्चा है कि मध्यप्रदेश के इस दिग्गज नेता को जमीन दिलवाने में छत्तीसगढ़ के इस भाजपा प्रत्याशी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। नेताजी ने टिकट दिलाने में सहयोग देने के अलावा आर्थिक मदद भी की है। अब नतीजे का इंतजार हो रहा है
शादी को लेकर उत्सुकता
सुप्रीम कोर्ट के एक जस्टिस के पुत्र की शादी दिसंबर के पहले हफ्ते में होने जा रही है। खास बात यह है कि जस्टिस के होने वाले समधी मध्यप्रदेश में आईएएस अफसर हैें और वो लंबे समय तक रायपुर में पदस्थ रहे हैं। जस्टिस के पुत्र और अफसर की पुत्री साथ साथ वकालत करते हैं। इस शादी में छत्तीसगढ़ सरकार के कई अफसरों और प्रभावशाली नेताओं के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है।
कौन बनेगा सीएम?
प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनी तो भूपेश बघेल का दोबारा सीएम बनना तय है लेकिन भाजपा की सरकार आती है तो पूर्व केन्द्रीय मंत्री बिष्णु देव साय की दावेदारी सबसे ऊपर होगी।
राहुल गांधी ने बेमेतरा की सभा में साफतौर पर कह दिया था कि दोबारा सरकार बनने पर उन्हें (भूपेश) सबसे पहले ऋण माफी की फाईल पर हस्ताक्षर करना होगा। राहुल के संकेत के बाद भूपेश समर्थक काफी खुश हैं। कांग्रेस के तमाम प्रत्याशी भूपेश बघेल से सीएम हाऊस में जाकर मुलाकात भी कर रहे हैं। कांग्रेस की तुलना में भाजपा की सरकार बनने की संभावना कमजोर आंकी जा रही है, बावजूद इसके सीएम को लेकर पार्टी के भीतर चर्चा चल रही है।
चुनाव से पहले सीएम पद का चेहरा माने जाने वाले अरुण साव अब पिछड़ते दिख रहे हैं। उनकी जगह विष्णु देव साय का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि ओ.पी.चौधरी नंबर दो की पोजिशन पर होंगे। अब कौन बनेगा मुख्यमंत्री यह तो नतीजा आने के बाद ही पता चलेगा।
जो बोओगे वही तो काटोगे…
भाजपा में टिकट को लेकर दिग्गजों में एकमत नहीं रहा है। बालोद की एक सीट पर बड़े नेताओं की असहमति के बाद भी अरुण साव ने अपने एक करीबी को टिकट दिलवा दिया। और अब जब प्रत्याशी भीतरघात की शिकायत करने दिग्गजों के पास पहुंच रहे हैं तो उन्हें कोई गंभीरता से नहीं ले रहा है। संगठन के एक पदाधिकारी ने साफ तौर पर कह दिया कि जो बोओगे वही तो काटोगे । नतीजे आने के बाद बालोद में जंग और तेज होने के आसार दिख रहे हैं।