- शिवसेना की मांग पर ज़िला प्रशासन की ज़ोरदार कार्यवाही
- अवैध कब्ज़ा हटाने की प्रक्रिया आरंभ, शिवसेना ने किया समर्थन
- स्थानीय व फुटकर व्यापारी के रूप में सिर्फ़ स्थानीय लोगों को ही मिलना चाहिए अवसर – अरुण पाण्डेय
जगदलपुर । गौरतलब हो कि बस्तर अंचल में प्राकृतिक सम्पदा कि भरमार है। यहां आसानी से डिगर राज्य के लोग आ कर सरकारी जमीनों और मुख्य बाज़ार के चारों तरफ़ सड़क किनारे कब्ज़ा करके बस्तर वासियों के अधिकार पर अवैध कब्ज़ा करके वर्षों से बैठे हैं।
शिवसेना द्वारा लगातार इस विषय पर नगर निगम और ज़िला प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया जाते रहा है। शिवसेना के वरिष्ठ नेता चंचलमल जैन ने प्रेस को एक विज्ञप्ति जारी करके बताया कि संभाग मुख्यालय जगदलपुर में अवैध कब्ज़ा हटाने के लिए आज हुई अचानक होने वाली कोई घटना नही है बल्कि यह कार्यवाही शिवसेना के मांग पर ध्यानाकर्षित करने के बाद ही हुई है। ऐसा विश्वास उन्होंने दिखाते हुए कहा कि डिगर राज्य से लोग बस्तर आ जाते हैं वे आए उनका स्वागत है लेकिन यहां आकर बस्तर के स्थानीय युवाओं का हक़ और अधिकार न छीने। शिवसेना के द्वारा किए गए निरिक्षण में यह तथ्य सामने आया हैकि फुटकर व्यापारी का चोला पहने हुए अधिकतर लोग छत्तीसगढ़ राज्य के हैं ही नही। बल्कि वे लोग बिहार, उत्तरप्रदेश, झारखण्ड, ओड़िसा, पश्चिम बंगाल और राजस्थान जैसे अन्य राज्यों से यहां आकर अस्थाई रूप से बसे लोग हैं।
शिवसेना द्वारा यह स्पष्ट किया गया हैकि उनका विरोध किसी अन्य राज्य के सभी लोगों के लिए नही है बल्कि अस्थाई रूप से पलायन करके आए हुए लोगों द्वारा स्थानीय रोज़गार के अवसर पर डाका डालने को लेकर है। शिवसेना के वरिष्ठ नेता चंचल मल जैन ने कहा हैकि जो कोई बस्तर में जन्म लिया यहां उसकी शिक्षा दीक्षा हुई, यहां उसका धंधा पानी पानी रोज़गार है, यही उसका पोषण हुआ तो वह बस्तर का ही नागरिक है ऐसे लोग चाहे जिस अन्य राज्य से भूतकाल में बस्तर आकर बसें हैं उनका कोई विरोध नही है। लेकिन अपने राज्य कि सरकार कि नाकामी के कारण स्थानीय स्तर पर रोज़गार कि व्यवस्था नही होने के कारण यहां बस्तर में आकर चंद लोग स्थानीय युवाओं के अधिकार का हनन कर रहे हैं। शिवसेना इसका ज़ोरदार तरीके से विरोध करते आई है और आगे भी करेगी।
• शिवसेना चाहती है फुटकर व्यापारी बस्तर के स्थानीय लोग हो
शिवसेना के नेता अरुण पाण्डेय द्वारा यह स्पष्ट किया गया हैकि बस्तर में फुटकर व्यापारी के रूप में यदि कोई व्यवसाय करके अपना जीविकोपार्जन करने कि कोशिश करें तो कोई बुराई नही है लेकिन इस व्यवसाय में सबसे पहला हक़ बस्तर के स्थानीय युवाओं का है। स्थानीय व छोटे स्तर के रोज़गार पर अगर बाहरी लोगों द्वारा अतिक्रमण किया जाता है तो ग़रीब तबके के स्थानीय लोग क्या करेंगे? उन्होंने मांग किया है कि नगर निगम और ज़िला प्रशासन को फुटकर व्यापारी के रूप में सिर्फ़ और सिर्फ़ बस्तर के मूल निवासियों को ही प्राथमिकता दी जानी चाहिए। किसी प्रकार के दुकान, ठेला या फुटकर व्यापार के लिए स्थान भी स्थानीय निवासिओं को ही दिया जाना चाहिए।
• चौपाटी में भी अन्य राज्य से आए लोगों का है कब्ज़ा
शिवसेना नेता अरुण पाण्डेय ने मिडिया को जानकारी देते हुए बताया कि आज जगदलपुर शहर लगातार विकसित होते जा रहा है। ऐसे में बाहर राज्य और अन्य ज़िलों से भी लोग यहां आकर बसने लगे हैं, उनका स्वागत है। उन्होंने कहा कि आज जगदलपुर में भी पिछले कुछ वर्षों से चौपाटी कल्चर की शुरुआत हुई है। ऐसे में नगर में आज शहीद पार्क, दंतेश्वरी मंदिर क्षेत्र और दलपत सागर क्षेत्र प्रमुख चौपाटी हैं।
यहां प्रतिदिन हज़ारों की संख्या में लोग आते हैं और चौपाटी में दुकान लगाने वाले सभी का लाखों का व्यवसाय होता है। बाहर से आए व्यापारी ज़ोरदार पैसा कमाते हैं और कमाई किए हुए धन को अपने राज्य में ट्रांसफर कर देते हैं। ऐसे में इससे बस्तर के स्थानीय लोगों को कोई व्यवसायिक लाभ नही होता है न ही बस्तर के राजस्व वृद्धि में ही उनका कोई बढ़ा योगदान होता है। शिवसेना द्वारा यह मांग प्रशासन से किया जाता हैकि गुपचुप, चाउमीन ठेला से लेकर जूते चप्पल, कपड़े, चाय और फल दुकान जैसे जितने भी फुटकर व्यापार हैं उनपर शत प्रतिशत स्थानीय लोगों को होना चाहिए न की डिगर राज्य से आए हुए लोगों का।
उन्होंने बताया कि कैसे गुपचुप चाट के व्यापारियों द्वारा पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के आए लोगों का कब्ज़ा है। इस व्यवसाय में बस्तर के स्थानीय लोगों को अवसर मिलना चाहिए इसके लिए प्रशासन को इस व्यापार के लिए प्रशिक्षण के साथ स्थानीय युवाओं को प्रोत्साहित करना चाहिए। बाहरी लोगों द्वारा व्यापार के नाम पर किए गए अवैध कब्ज़ा हटाने के प्रशासनिक कार्यवाही का उन्होंने समर्थन किया है।