वन विभाग में फेरबदल की तैयारी, बदले जाएंगे वर्षों से जमे अफसर

रायपुर। आइएएस अफसरों के तबादले के बाद अब वन विभाग में तबादले की तैयारी चल रही है। नए वन मंत्री केदार कश्यप ने कामकाज संभालने के बाद अरण्य भवन में अफसरों के साथ समीक्षा बैठक में संकेत दे दिए हैं कि रेंजर से लेकर डीएफओ तक को इधर से उधर किया जाएगा। उन्होंने चार साल से एक ही जगह जमे अफसरों की सूची मांगी है। खासकर चुनाव में जंगल क्षेत्र की विधानसभा सीटों में भाजपा के खिलाफ काम करने वाले वन अफसर राडार पर हैं। सूत्रों ने बताया कि वन विभाग में तबादले की चर्चा शुरू होते ही कई अधिकारी-कर्मचारी भाजपा के मैदानी और संगठन के बड़े नेताओं से संपर्क करने लगे हैं। ये भाजपा सरकार में भी फिट होने की जुगाड़ में लगे हैं। विभाग के जानकार सूत्रों ने बताया कि वन मंत्री कश्यप ने विभागीय समीक्षा बैठक में साफ संकेत दे दिए हैं कि कांग्रेस सरकार में मौज काटते वाले और विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ काम करने वाले अधिकारी तबादले की जद में सबसे पहले आएंगे। इनमें कई रायपुर, बिलासपुर, धमतरी, सरगुजा, बस्तर आदि वन मंडलों के हैं। अरण्य भवन के सूत्रों की मानें तो कांग्रेस सरकार में मनचाहे स्थान पर पदस्थ रहकर लाखों बटोरने वाले अफसरों को अब तबादले का डर सता रहा है। वे इससे बचने के लिए भाजपा के मैदानी और संगठन के बड़े नेताओं से संपर्क भिड़ाने, पहुंच बनाने में लगे हैं। जानकार सूत्रों के अनुसार 40 वन मंडलों वाले वन विभाग में करीब दो दर्जन से अधिक डीएफओ और करीब 50 रेंजर चार वर्ष से एक ही रेंज में पदस्थ हैं। इनमें से अधिकांश कांग्रेस समर्थक बताए गए हैं। कई डीएफओ, रेंजर और डिप्टी रेंजर पर पूर्व मंत्रियों के नाम पर धौंस जमाकर काम निकालने के आरोप भी लगते रहे। इनके कारण भाजपा कार्यकर्ता, नेताओं के रिश्तेदार वनकर्मी, खासकर रेंजर, सहायक रेंजर परेशान रहते थे। अब ये सभी भाजपा नेताओं के राडार पर है। यहीं नहीं, रेंजर और विभागीय कर्मचारी नेता भी अपनी कुर्सी बचाने के लिए वन मंत्री समेत भाजपा नेताओं के दरबार के चक्कर काटते इन दिनों देखे जा रहे हैं। रेंजर संघ का एक प्रमुख नेता खुद को कांग्रेसी नेताओं का खास बताकर पिछले पांच साल से रायपुर वन मंडल में जमा हुआ है। रायपुर समेत राजनांदगांव, केशकाल, महासमुंद के डीएफओ, जंगल सफारी में पदस्थ अधिकारी समेत उनके साथ काम करने वाले अधिकांश अधिकारी-कर्मचारी पूर्व मंत्री के करीबी होने के कारण छह साल से एक ही वन मंडल में जमे हुए हैं। इस दौरान नवा रायपुर स्थित जंगल सफारी और वहां के जानवरों के रखरखाव में लापरवाही के कई मामले भी सामने आए। एक महीने पहले सफारी में हुई 17 चौसिंगों की मौत का मामला भी चर्चा में है। वहीं, सैकड़ों दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की बैक डोर से भर्ती का मामला भी गरमाया हुआ है। भाजपा के नेता ऐसे वन अफसरों की संपत्ति की जांच के साथ उन्हें हटाने की मांग कर रहे हैं।

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