रायपुर। छत्तीसगढ़ के बाजारों से यदि आप क्रीम, तेल, टीवी, टी-शर्ट, पानी की टंकी और इंजन आयल खरीद रहे हैं तो एक बार प्रोडक्ट की अच्छी तरह से जांच कर लें। आपके द्वारा खरीदे जाने वाला उत्पाद डी-प्रोडक्ट (डुप्लीकेट) हो सकता है। यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि छत्तीसगढ़ पुलिस की कार्रवाई से इस बात का राजफाश हुआ है। राजधानी समेत प्रदेश के अलग-अलग जिलों में कारोबार करने वाले कुछ कारोबारी ज्यादा मुनाफे के लालच में डी-प्रोडक्ट अपने ग्राहकों को थमा रहे हैं और उनका आर्थिक नुकसान के साथ शारीरिक नुकसान भी पहुंच रहे हैं। विभागीय अधिकारी भी कंपनी की शिकायत पर कार्रवाई करने निकलते हैं। एक वर्ष में प्रदेश में 50 से ज्यादा लोगों पर कार्रवाई हुई है। डी-प्रोडक्ट के इस कारोबार में शामिल 50 से ज्यादा कारोबारियों को छत्तीसगढ़ पुलिस ने संबंधित कंपनियों की शिकायत के बाद एक वर्ष के भीतर पकड़ा। पुलिस के हत्थे चढ़े आरोपितों में से 20 से ज्यादा कारोबारी रायपुर के हैं। इन आरोपितों से करोड़ों रुपये का नकली सामान बरामद किया गया है। जो सामान बरामद किया गया, उसमें साबुन, शैंपू, कास्मेटिक, नारियल तेल, सरसों तेल, इंजन आयल, इलेक्ट्रानिक सामान, ब्रांडेड कपड़ा, जूता, पानी की टंकी, पानी के पाइप, चायपत्ती, चावल सहित अन्य सामान शामिल है। रायपुर में सबसे अधिक मुंबई और दिल्ली के बाजार से नकली सामान की सप्लाई होती है। स्थानीय कारोबारी वहां से खरीदकर लाने के बाद कम कीमत पर इसे बेचते हैं। वहीं कीमतों में अंतर होने और दुकानदार द्वारा गारंटी के आश्वासन पर यह खप जाता है। इसमें वह नामचीन कंपनियों के नाम, स्टीकर का उपयोग करते हैं।कारोबारियों के अनुसार प्रदेश में डी-प्रोडक्ट का बड़ा कारोबार है। रायपुर समेत प्रदेश में सालभर में 10 करोड़ से ज्यादा का कारोबार होता है। नकली सामान बेचने का धंधा रायपुर समेत पूरे प्रदेश में चल रहा है। शिकायत पर रायपुर, महासमुंद, राजनांदगांव, दुर्ग और बिलासपुर में कार्रवाई हुई है। रायपुर एएसपी लखन पटले ने कहा, नकली सामान बनाना और बेचना गैर कानूनी है। अगर नकली मार्का का यूज किया जाता है तो संबंधित कंपनी के साथ मिलकर पुलिस कापीराइट एक्ट के तहत कार्रवाई करती है।
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