रायपुर। राजधानी के शताब्दी नगर में बने आलीशान सामुदायिक भवन के लिए गठित जांच कमेटी ने कार्रवाई शुरू कर दी है। तीन से चार दिनों में इसकी रिपोर्ट आ जाएगी, लेकिन इसी बीच हाई कोर्ट की ओर से पूर्व मंत्री डा. शिव डहरिया की पत्नी शकुन डहरिया की अध्यक्षता वाली समिति को इस पूरे मामले में राहत मिली है। हाई कोर्ट ने निगम कमिश्नर को सामुदायिक भवन का ताला खोलने का आदेश दिया है। राजश्री सद्भावना समिति की अध्यक्ष शकुन डहरिया ने अधिवक्ता और पूर्व महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा के जरिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर निगम की कार्रवाई को नियम विरुद्ध बताया है। याचिकाकर्ता ने सामुदायिक भवन में ताला लगाने को गलत ठहराते हुए इसे निगम द्वारा कब्जा करने की कोशिश बताया है। वहीं इस मामले में अगली सुनवाई 13 मार्च को होनी है। इसी बीच इस जमीन की रजिस्ट्री से लेकर इसे एमआइसी से पारित होने से लेकर कई ऐसे सवाल हैं, जो कि जांच के दायरे में आ रहे हैं और निगम के अफसरों सहित समिति द्वारा की गई गड़बड़ी की ओर इशारा कर रहे हैं, जिसमें राजस्व विभाग के 15 हजार वर्ग फीट में विक्रय विलेख के अनुसार 2022 में केंद्रीय कर्मचारी गृह निर्माण समिति मर्यादित ने राजश्री सद्भावना समिति और अध्यक्ष शकुन डहरिया को सिर्फ चार लाख रुपये कीमत और 25 हजार रुपये स्टांप ड्यूटी में जमीन बेची और इसकी रजिस्ट्री समिति के अध्यक्ष सीएस ठाकुर ने कराई। छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री डा. शिव कुमार डहरिया ने कहा, निगम द्वारा गलत तरीके से कार्रवाई की गई। जमीन की रजिस्ट्री नियमानुसार हुई है। साथ ही भवन कहां बन रहा था, इसका नक्शा-खसरा किसके पास मौजूद है। हाई कोर्ट का फैसला हमारे पक्ष में आया है। आगामी 13 मार्च को फाइनल फैसले के बाद भवन का उपयोग किया जाएगा। साथ ही हमारी जो बदनामी हुई है, उस पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा। 35 हजार वर्ग फीट जमीन आवंटित करवा कर या खरीद कर 15 हजार वर्ग फीट पर किलेबंदी किस अधिकार से की गई। इन तथ्यों से सवाल खड़े हो रहे हैं कि या तो जमीन की रजिस्ट्री गलत ढंग से हुई है या फिर समिति के भवन को सजाने के लिए निगम के अधिकारियों ने पूरी ताकत लगाकर सरकार के करोड़ों रुपये खर्च कर दिए हैं।
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