जगदलपुर। वर्ष 1952 में हुए पहले आम चुनाव में बस्तर संसदीय सीट पर निर्दलीय सांसद मुचाकी कोसा के नाम सर्वाधिक 83.05 प्रतिशत मत पाकर जीतने का रिकार्ड बना था। पिछले 67 वर्षों में भी यह रिकार्ड टूटा नहीं है। तब से लेकर अब तक यहां एक उपचुनाव को मिलाकर कुल 18 चुनाव हो चुके हैं। इस चुनाव में दो प्रत्याशियों के बीच सीधा मुकाबला था। तत्कालीन बस्तर महाराजा प्रवीरचंद भंजदेव के समर्थन से मुचाकी कोसा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में थे। उनके खिलाफ कांग्रेस ने सुरती क्रिस्टैया को उतारा था। 27 मार्च 1952 को हुए चुनाव में 55.65 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान किया था। मुचाकी कोसा को एक लाख 77 हजार 588 (83.05 प्रतिशत) और उनके प्रतिद्वंदी सुरती क्रिस्टैया को 36,257 (16.95 प्रतिशत) मत मिले थे। 83.05 प्रतिशत मत बटोरने के इस रिकार्ड की चर्चा आज भी होती है। दूसरे लोकसभा चुनाव 1967 में पहले चुनाव में करारी हार झेलने वाले सुरती क्रिस्टैया इस रिकार्ड को तोड़ने के नजदीक पहुंच गए थे, लेकिन तोड़ नहीं पाए। इस चुनाव में सुरती को 77.28 प्रतिशत मत मिले थे। दूसरे नंबर पर रहे निर्दलीय बोड़ा दादा को 22.82 फीसद वोट से संतुष्ट होना पड़ा था। इस मामले में तीसरे नंबर पर कांग्रेस के मानकूराम सोढ़ी का नाम आता है, जिन्होंने 1984 के लोकसभा चुनाव में 55.66 प्रतिशत वोट प्राप्त किया था। जानकारों का कहना है कि वर्तमान में राजनीतिक परिदृश्य पूरी तरह से बदल गया है। कई राजनीतिक दल चुनाव में प्रत्याशी खड़ा करते हैं, जिसे देखते हुए कोई प्रत्याशी 83 प्रतिशत से अधिक वोट प्राप्त करेगा, यह असंभव नहीं लेकिन बहुत कठिन है। मुचाकी कोसा वर्तमान सुकमा जिले के ग्राम इड़जेपाल के रहने वाले थे। वे बस्तर राजपरिवार के दरबारियों में शामिल थे। महाराज प्रवीरचंद की कांग्रेस से नाराजगी थी और उन्होंने पहले आम चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ बस्तर में लोकसभा और विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी खड़े किए थे। इस तरह मुचाकी कोसा को भी टिकट मिला और उन्होंने जीत का परचम लहाराया।
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