खेलगढ़िया में भ्रष्टाचार के आरोपी विभागीय जांच का सामना कर रहे शिक्षक को बहाल कर डीईओ ऑफिस में संलग्न किया…,संलग्नीकरण समाप्ति के अपने ही आदेश के उलट विवादित शिक्षक को संलग्न करने से हो रही शासन की छबि धूमिल… भ्रष्ट शिक्षक पर मेहरबानी ऐसी कि पहले सहायक संचालक का आदेश दिया, पद रिक्त नहीं होने पर संशोधन कर सांख्यिकीय अधिकारी बनाया…
रायपुर । गरियाबंद : गरियाबंद जिले के हाईप्रोफाइल खेलगढ़िया घोटाले में संलिप्त पूर्व डीएमसी श्याम चंद्राकर को सरकार ने कुछ माह पूर्व निलंबित किया था। गत दिनों निलंबन से बहाल कर संचालक लोक शिक्षण ने पुनः जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में सहायक संचालक के पद पर संलग्न करते हूये बहाल किया। जब पता चला कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय गरियाबंद में सहायक संचालक का पद रिक्त नहीं है, तो उसके बाद आनन फानन फिर आदेश में संशोधन कर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में सांख्यिकीय अधिकारी के पद पर संलग्न कर दिया गया। गौरतलब हो कि सरकार ने शिक्षकों के संलग्नीकरण समाप्त कर वापस स्कूल भेज रही ताकि शैक्षणिक कार्य और गुणवत्ता बनाया जा सके। वहीं दूसरी तरफ वहीं व्याख्याता श्याम चंद्राकर को येन केन प्रकारेण जिला कार्यालय में संलग्न कर दिया गया। उच्च कार्यालय द्वारा एक व्याख्याता को बेजा लाभ दिलाने अपने ही आदेश को पलट रही है वो शिक्षक जो विवादित और दागी है जिस पर भ्रष्टाचार के दाग लगे है जिस पर विभागीय जाँच अभी पूरी नहीं हुई है, उसको पुनः जिला कार्यालय में संलग्न कर दिए जाने से शासन की कथनी और करनी में अंतर नजर आ रहा। भ्रष्ट दागी, विभागीय जांच का सामना कर रहे व्याख्याता को डीईओ कार्यालय में संलग्न करने से संचालक के उस आदेश पर सवाल उठ रहे हैं जिस आदेश के तहत पूरे राज्य में संलग्नीकरण समाप्त करने का आदेश जारी किया गया है। यदि इसी तरह से संलग्नीकरण समाप्ति के आदेश की धज्जियां उच्च कार्यालय से ही उड़ती रहेंगी तो फिर निचले स्तर पर उस आदेश का पालन कराना और कठिन हो जायेगा इसलिये इस आदेश का विरोध में स्वर उठने लगे हैं। वहीं मामले पर गौर करने वाली तथ्य यह है कि श्याम चंद्राकर का निलंबन स्कूल शिक्षा विभाग ने किया है तो उनका बहाल भी मंत्रालय से होना है या मंत्रालय की अनुशंसा पर संचालक द्वारा किया जाता, परंतु निलंबित सचिवालय किया बहाल संचनालय से हो गया। इस मामले को संज्ञान में लेकर शिक्षा विभाग की छवि धूमिल करने वाले भ्रष्ट दागी, विभागीय जांच का सामना कर रहे व्याख्याता का संलग्नीकरण समाप्त कर संदेश दिया जाना चाहिए कि, यह सरकार जीरो टॉलरेंस के सिद्धांत पर चलते हुए संलग्नीकरण समाप्त करने के अपने आदेश पर कायम रहेगी।