बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोल घोटाले के मुख्य आरोपित सूर्यकांत तिवारी और भिलाई के विधायक देवेन्द्र यादव की घोटाले में संलिप्तता का ईडी ने हाई कोर्ट में राजफास किया है। खैरागढ़ उप चुनाव के लिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने विधायक देवेन्द्र यादव को चुनाव संचालन की जिम्मेदारी दी थी। विधायक यादव ने सूर्यकांत तिवारी को फोन कर खैरागढ़ में कार्यक्रम कराने पैसे की मांग की। इस पर पूर्व मंत्री मो अकबर के बंगले के सामने नवाज नामक व्यक्ति ने 35 लाख रुपये देवेन्द्र यादव को दी।ईडी ने कोल घोटाले में विधायक यादव की संलिप्तता बताते हुए अग्रिम जमानत देने का विरोध किया था। प्रवर्तन निदेशालय ने कोर्ट को इस बात की भी जानकारी दी है कि विधायक यादव को सूर्यकांत तिवारी ने तीन करोड़ का भुगतान किया है। मामले की सुनवाई जस्टिस एनके व्यास के बेंच में हुई। प्रकरण की सुनवाई के बाद जस्टिस व्यास ने विधायक यादव की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। आयकर अधिनियम की धारा 132 के तहत एक तलाशी और जब्ती जांच के दौरान 30.जून.2022 को बेंगलुरु के होटल शेरेटन ग्रैंड के कमरे में सूर्यकांत तिवारी के पास कुछ आपत्तिजनक सामग्रियां मिली थीं। जिसके आधार पर आयकर विभाग द्वारा कडुगोडी, पुलिस स्टेशन बेंगलुरु में आइपीसी की धारा 120 बी, 186, 204 और 353 के तहत एफआइआर दर्ज की गई। जांच के दौरान मुख्य आरोपित सूर्यकांत तिवारी को 13.अक्टूबर 2022 को गिरफ्तार किया गया। ईडी ने हाई कोर्ट में पेश दस्तावेज में बताया है कि सूर्यकांत तिवारी ने महत्वपूर्ण दस्तावेजों के साथ-साथ इलेक्ट्रानिक गैजेट्स के साथ छेड़छाड़ की और उन्हें नष्ट कर दिया। सूर्यकांत तिवारी ने अपने भाई, रजनीकांत तिवारी और उनके सहयोगियों हेमंत जयसवाल, जोगेंद्र सिंह, मोइनुद्दीन कुरैशी, निखिल चंद्राकर, रोशन के साथ मिलकर काम किया। जोगेंद्र सिंह और अन्य लोग कोयले पर अवैध लेवी वसूलने की समानांतर प्रणाली चलाने के लिए आपराधिक साजिश में शामिल थे और सूर्यकांत के निर्देशानुसार अवैध और बेहिसाब नकदी की आवाजाही कर रहे थे।
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