रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में प्रश्नपत्र लीक के मामले में जांच समिति की रिपोर्ट आ गई है। जांच समिति ने स्पष्ट रूप से कह दिया है कि प्रश्नपत्र लीक नहीं हुई है। जानकारी के अनुसार विश्वविद्यालय के बीएससी कृषि पाठ्यक्रम के विभिन्न हस्तलिखित प्रश्नों को इंटरनेट मीडिया में वायरल होने पर विश्वविद्यालय ने जांच समिति गठित की। जांच समिति ने इस प्रकरण की जांच में पाया कि यह मामला प्रश्नपत्र लीक होने का नहीं है, बल्कि इंटरनेट मीडिया में वायरल किए गए प्रश्नपत्र गेस पेपर या माडल पेपर प्रतीत होते हैं। समिति ने पाया कि वायरल प्रश्नपत्र और मूल प्रश्नपत्रों में काफी असमानता है, जिसकी वजह से यह प्रश्नपत्र लीक का मामला नहीं है। इधर, जांच समिति ने इंटरनेट मीडिया में वायरल भ्रामक संदेशों को विश्वविद्यालय की छवि धूमिल करने का प्रयास मनाते हुए इस प्रकरण की जांच साइबर अपराध विशेषज्ञों से कराने की अनुशंसा की गई है। वहीं जांच समिति की अनुशंसा पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने पुलिस थाना तेलीबांधा और साइबर क्राइम सेल सिविल लाइन में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी (एफआइआर) दर्ज कराई गई है। कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. गिरीश चंदेल ने कहा, पुलिस और साइबर अपराध सेल द्वारा की गई जांच के आधार पर दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। प्रश्नपत्र लीक मामले को लेकर एनएसयू्आइ और छात्र नेताओं ने विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के सामने जमकर नारेबाजी है। प्रदर्शनकारियों का प्रमुख मांग था कि प्रश्नपत्र वायरल प्रकरण से संबंधित जवाबदेही तय हो। इधर छात्र नेताओं ने अपनी मांग पर अडिग रहकर कुलपति से मुलाकात की और कुलपति ने छात्रहित में निर्णय लेने की बात कही। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने मां सरस्वती की फोटो भी अपनी हाथों में रखे थे।
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