कश्मीर हिमस्खलन: जलवायु परिवर्तन से क्या संबंध है?

22 फरवरी, 2024 को दोपहर तकरीबन 1:30 बजे कश्मीर के खूबसूरत गुलमर्ग रिसॉर्ट में एक स्की गाइड शौकत अहमद राथर को स्थानीय प्रशासन की ओर से फोन आया कि गुलमर्ग के खिलनमर्ग क्षेत्र, जिसे ‘आर्मी रिज’ के नाम से जाना जाता है, में हिमस्खलन हुआ है।

बर्फ़ पर चलने वाली (स्नो मोबाइल) गाड़ी में सवार होकर राथर और उनके सहयोगी घटनास्थल पर पहुंचे। हिमस्खलन में छह रूसी स्कीयरों का एक समूह अपने स्थानीय गाइड के साथ फंस गया था। एक को छोड़कर बाकी सभी को सुरक्षित बचा लिया गया, लेकिन एक रूसी स्कीयर की मौत हो गई।

गुलमर्ग में यह हिमस्खलन शीतकालीन ‘खेलो इंडिया’ कार्यक्रम के चौथे संस्करण के दौरान हुआ, जहां 800 प्रतिभागी स्नोबोर्डिंग, अल्पाइन स्कीइंग और नॉर्डिक स्कीइंग सहित कई कार्यक्रमों में भाग ले रहे थे। अधिकारियों ने सार्वजनिक रूप से बताया कि हिमस्खलन उस क्षेत्र से बहुत दूर हुआ, जहां शीतकालीन खेल हो रहे थे और सभी खिलाड़ी सुरक्षित थे।

एक दिन पहले ही रक्षा मंत्रालय के अधीन काम करने वाले चंडीगढ़ स्थित डिफेंस जियोइन्फॉर्मेशन रिसर्च एस्टैब्लिशमेंट (डीजीआरई) ने गुलमर्ग समेत जम्मू-कश्मीर के कई पहाड़ी इलाकों के लिए हिमस्खलन की चेतावनी जारी की थी। गुलमर्ग के एक सरकारी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर द थर्ड पोल को बताया कि स्कीयरों ने खेलों के लिए स्वीकृत ‘ग्रीन जोन’ से दूर ‘बैककंट्री’ (निर्जन क्षेत्र) में स्कीइंग न करने की चेतावनी को नज़रअंदाज़ कर दिया था। घटना की जांच करने वालों में से एक ने हिमस्खलन के पीछे स्कीयरों को दोषी ठहराया है।

लंबे समय तक रहा सूखे का मौसम

इस साल सर्दियों की शुरुआत में सीमित मात्रा में बर्फ़बारी हुई, जिससे छुट्टियां मनाने वालों और टूर ऑपरेटरों को काफ़ी निराशा हुई। कश्मीर घाटी में लंबे समय तक सूखा रहा। 28 जनवरी, 2024 को ही गुलमर्ग में पहली बड़ी बर्फबारी हुई, जिससे दो महीने के सूखे का दौर खत्म हो गया। मौसम विभाग के अनुसार, जनवरी 2024, पिछले 43 वर्षों में दर्ज की गई सबसे शुष्क और गर्म जनवरी में से एक थी।

हिमस्खलन तब होता है जब बर्फ़ की एक परत ढहकर नीचे की ओर खिसक जाती है। ऊंचे तापमान के समय में ऐसी घटनाओं की आशंका अधिक होती है, जिससे बर्फ़ के जमा होने में अड़चन आती है।

कश्मीर विश्वविद्यालय में जियोइन्फॉर्मेटिक्स डिपार्टमेंट (भू-सूचना विज्ञान विभाग) में सहायक प्रोफेसर इरफान राशिद, घाटी में लंबे समय तक सूखा रहने के कारण ‘सिस्टम में गर्मी’ पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं कि इन महीनों के दौरान तापमान सामान्य से ऊपर था और संचित गर्मी समाप्त नहीं हो पा रही थी।

वह बताते हैं कि “देर से हुई बर्फ़बारी में पानी बहुत ज़्यादा (बर्फ-पानी बराबर) था और यह तेज़ी से पिघलने लगी। जब बर्फ़ में पानी की मात्रा ज़्यादा होती है, तो यह बर्फ़ को नीचे जमने से रोकता है, जिससे हिमस्खलन का खतरा बढ़ जाता है।”

जलवायु परिवर्तन से संबंध

द थर्ड पोल ने पहले ही बताया था कि एम राजीवन जैसे वरिष्ठ भारतीय वैज्ञानिकों ने लंबे शुष्क दौर को जलवायु परिवर्तन और पश्चिमी विक्षोभ पर इसके प्रभाव से जोड़ा था, जो भूमध्य सागर से वर्षा लाते हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मौसम वैज्ञानिक सोनम लोटस ने कहा था कि कश्मीर में पहले भी शुष्क सर्दियां देखी गई थीं, लेकिन इस बार तापमान पहले की तुलना में कहीं अधिक था।

कश्मीर के इस्लामिक यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के कुलपति शकील अहमद रोमशू के अनुसार, इस बदलते पैटर्न का कश्मीर पर, विशेष रूप से हिमस्खलन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। द थर्ड पोल से बात करते हुए उन्होंने बताया कि पिछले दशक में फरवरी और मार्च में इस क्षेत्र में असामान्य रूप से गर्म तापमान देखा गया है।

रोमशू ने कहा कि इन महीनों के दौरान, जब बर्फबारी होती है, तो हिमस्खलन का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने इसका विश्लेषण करते हुए बताया कि उच्च तापमान “बर्फ को पिघलाता है, (जो) घर्षण को कम करता है और यही कारण है कि हम (इन) महीनों में महत्वपूर्ण हिमस्खलन देखते हैं। इसका सीधा संबंध तापमान में वृद्धि से है, जो जलवायु परिवर्तन का परिणाम है।”

रोमशू के अनुसार, चिल्लई-कलां (कश्मीर की 40 दिनों की भयंकर ठंड को यही कहा जाता है, जिसमें तापमान माइनस 10 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है) के दौरान बर्फ़बारी इस क्षेत्र के लिए ज़रूरी है। शून्य से नीचे का तापमान हिमस्खलन की संभावना को कम कर देता है, लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि घाटी में हिमस्खलन के व्यवहार को बेहतर ढंग से समझने के लिए व्यापक अध्ययन की आवश्यकता है।

कश्मीर में हिमस्खलन

हाल ही में आया हिमस्खलन गुलमर्ग में पिछले हिमस्खलन के कुछ ही हफ्तों बाद आया है, जिसमें 1 फरवरी, 2024 को पोलैंड के दो स्कीयरों की मौत हो गई थी, मगर 21 अन्य लोगों को बचा लिया गया था। मध्य कश्मीर के एक अन्य लोकप्रिय पर्यटन स्थल सोनमर्ग में दो सप्ताह पहले एक और हिमस्खलन हुआ था। जोजिला सुरंग निर्माण के लिए आयोजित एक कार्यशाला के आसपास हुए हिमस्खलन की फुटेज कैमरे में कैद हो गई। इसके अलावा, 20 फरवरी को सोनमर्ग के हंग क्षेत्र के पास एक और छोटा हिमस्खलन हुआ, जिससे सिंध की धारा बाधित हो गई और सोनमर्ग-लद्दाख सड़क बंद हो गई।

हिमस्खलन कश्मीर के लिए कोई नई बात नहीं है, जिसके चलते ऐतिहासिक रूप से बहुत से लोग हताहत हुए हैं, विशेषकर सीमा पर हिमस्खलन-संभावित क्षेत्रों में तैनात भारतीय और पाकिस्तानी सैन्यकर्मी।

नवंबर 2019 में काराकोरम रेंज में सियाचिन ग्लेशियर में हिमस्खलन की चपेट में आने से भारतीय सेना के चार जवान और दो कुली मारे गए।

फरवरी 2010 में गुलमर्ग में भारतीय सेना के एक प्रशिक्षण केंद्र में भारी हिमस्खलन के कारण 17 भारतीय सैनिक मारे गए और दर्जनों घायल हो गए।

नवीनतम जलवायु विज्ञान से पता चलता है कि ऐसी आपदाओं की स्थिति और भी बदतर होने की आशंका है। वर्ष 2019 में इंटरनेशनल सेंटर ऑफ इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (आईसीआईएमओडी) द्वारा की गई हिमालय मूल्यांकन रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि जलवायु परिवर्तन हिमालय क्षेत्र में क्रायोस्फीयर-या बर्फ़ और बर्फ़ के क्षेत्रों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर रहा है। विशेष चिंता का विषय सिंधु बेसिन पर इसका प्रभाव था, जिसमें कश्मीर घाटी स्थित है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 1980-2015 के बीच हिमालय क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं से सिंधु बेसिन में सबसे अधिक मौतें हुईं।

साभार: https://www.thethirdpole.net/hi/465/128389/

More From Author

झारखंड के राज्यपाल को तेलंगाना का अतिरिक्त प्रभार

नया शोध भारत की नदी जोड़ो परियोजना पर नए संदेह पैदा करता है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

city24x7.news founded in 2021 is India’s leading Hindi News Portal with the aim of reaching millions of Indians in India and significantly worldwide Indian Diaspora who are eager to stay in touch with India based news and stories in Hindi because of the varied contents presented in an eye pleasing design format.