यहां तीन जिलों के वोटरों को साधेंगे PM मोदी

राजनांदगांव। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 19 अप्रैल को राजनांदगांव जिले में चुनावी सभा लगभग तय मानी जा रही है। यह सभा राजनांदगांव या डोंगरगांव विधानसभा क्षेत्र में से किसी एक जगह कराई जा सकती है। इसमें लोकसभा क्षेत्र के सभी आठ विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं को जुटाने की तैयारी तो है, लेकिन पूरा फोकस अविभाजित राजनांदगांव जिले की उन पांच विधानसभा सीटों पर है, जहां चार माह पहले हुए चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। यानी राजनांदगांव के साथ खैरागढ़-छुईखदान गंडई व मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले के मतदाताओं को सभा के माध्यम से साधा जा सके। प्रारंभिक सूचना के बाद से ही संगठन के साथ ही शासन-प्रशासन भी अपनी तैयारी में लग गया है। लोकसभा चुनाव के लिए नाम वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अप्रैल के दूसरे सप्ताह से चुनावी माहौल गरमाने लगेगा। कवर्धा में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव की सभा के बाद भाजपा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बुलाने की तैयारी में है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी संतोष पांडे को संसदीय क्षेत्र के आठ में से सात सीटों पर बढ़त मिली थी। खुज्जी विधानसभा क्षेत्र ही ऐसी सीट रही, जहां से कांग्रेस ने बढ़त ली थी। हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में भाजपा अविभाजित जिले के राजनांदगांव को छोड़ शेष पांचों सीटों पर हारी है। यही कारण है कि भाजपा का स्थानीय ही नहीं बल्कि शीर्ष संगठन भी हारी हुई सीटों पर ही मोदी की सभा चाह रही है। मोहला-मानपुर में भाजपा लगभग 35 हजार के बड़े अंतर से हारी है। खुज्जी और डोंगरगढ़ में भी हार का अंतर 20 हजार से अधिक का रहा। ऐसे में मोदी की सभा वहीं संभावित बताई जा रही है ताकि वहां से उक्त कमजोर सीटों को सुदृढ़ किया जा सके। हालांकि अभी तिथि तय नहीं होने के कारण स्थान भी तय नहीं किया जा सका है। चुनाव संचालक पूर्व सांसद मधुसूदन यादव ने बताया कि तिथि तय होते ही स्थान भी तय कर लिया जाएगा। इसके जवाब में कांग्रेस अपने सबसे शीर्ष स्टार प्रचारक राहुल गांधी या प्रियंका वाड्रा की सभा की मांग कर रही है। सोमवार को होने वाली संसदीय कोर कमेटी की बैठक में इस पर अंतिम निर्णय आने की संभावना जताई जा रही है। कांग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के चुनाव मैदान में होने के कारण राजनांदगांव का चुनाव हाईप्रोफाइल हो चला है। नामांकन रैली के बहाने दोनों अपनी ताकत दिखा चुके हैं। भूपेश स्वयं जोर-शोर से प्रचार में लगे हैं। वहीं भाजपा नामांकन रैली में मुख्यमंत्री व प्रदेशाध्यक्ष के साथ शक्ति प्रदर्शन कर आने वाले दिनों में इससे भी बड़े प्रदर्शन का संकेत दे चुकी है। कांग्रेस संगठन भी बैठकों में रणनीतियां तैयार कर प्रचार अभियान को गति देने में जुटा है। आने वाले दिनों में प्रचार का रंग और तीखा होने का अनुमान लगाया जा रहा है।

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