रायपुर। नवरात्र की प्रतिपदा तिथि आठ अप्रैल की रात्रि 11 बजे से शुरू हो रही है। उदया तिथि को महत्व दिए जाने से नौ अप्रैल को सुबह से देवी मंदिरों और घर-घर में घट स्थापना की जाएगी। राजधानी के 10 से अधिक देवी मंदिरों में जोत प्रज्वलित करने की तैयारियां जोरशोर से की जा रही है। अनुमानत: 50 हजार से अधिक ज्योति विविध देवी मंदिरों में जगमगाएगी। पुरानी बस्ती के महामाया मंदिर में सबसे ज्यादा 10 हजार से अधिक जोत प्रज्वलित की जाएगी। मंदिर के चार बड़े कक्षों में तांबे के कलशों को सजाकर, बाती और तेल भरने का कार्य शुरू हो चुका है। मंदिर में आठ अप्रैल की रात्रि आठ बजे तक ही जोत प्रज्वलित कराने के लिए पंजीयन किया जाएगा। महामाया मंदिर में आनलाइन पंजीयन किए जाने से श्रद्धालुओं को लंबी कतार में नहीं लगना पड़ रहा है। महामाया मंदिर ट्रस्ट रायपुर के नाम से श्रद्धालु घर बैठे ही आनलाइन भुगतान कर रहे हैं। बीते वर्षों तक मंदिर में पंजीयन कराने के लिए लंबी लाइन में लगनी पड़ती थी, इस साल मंदिरों में भीड़ नहीं दिख रही, लेकिन आनलाइन पंजीयन और भुगतान जोरशोर से हो रहा है। पुरानी बस्ती में महामाया मंदिर, आकाशवाणी काली मंदिर, रावांभाठा बंजारी मंदिर, ब्राह्मणपारा कंकाली मंदिर, अमीनपारा और आमापारा के शीतला मंदिर, कुशालपुर के दंतेश्वरी मंदिर, समता कालोनी के गायत्री मंदिर, माना रोड के मां त्रिपुर सुंदरी मंदिर, चूड़ी लाइन के शनि मंदिर, बंधवारा के सतबहिनिया मंदिर समेत अन्य देवी मंदिरों में आठ अप्रैल की रात्रि मंदिर बंद होने तक पंजीयन किया जाएगा। महामाया मंदिर के पुजारी पं.मनोज शुक्ला के अनुसार जिस जगह पर घट स्थापना करना हो, उसे गोबर से लीपकर अथवा गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें। मिट्टी, तांबा अथवा चांदी के कलश में जल भरकर, लौंग, साबुत हल्दी, इलायची, पान, आम का पत्ता, सिक्का, अक्षत डालकर इसके उपर सकोरा में तेल, बाती रखें। जंवारा बोने के लिए जौ, गेहूं, मिट्टी का कलश रखें। रोली से स्वास्तिक बनाएं। विधिवत पूजन करके जोत प्रज्वलित करें। लोहा, स्टील का बर्तन उपयोग में न लाएं: ऐसी मान्यता है कि कलश स्थापना करने से घर में सुख, समृद्धि बढ़ती है। घट स्थापना चांदी, मिट्टी या तांबे के कलश में ही करना चाहिए। लोहा, स्टील अथवा अन्य धातु के बर्तन का उपयोग न करें। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि आठ अप्रैल की रात्रि 11.50 बजे से प्रारंभ हो रही है, जो नौ अप्रैल को रात्रि 8.30 बजे तक विद्यमान रहेगी। उदयातिथि की नवरात्रि सुबह ब्रह्म मुहूर्त से मनाई जाएगी।
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