बिलासपुर। नवागढ़ नगर पंचायत ने वर्ष 2008 में दुकान बनाने के नाम पे 44000 रुपए लिए थे। परंतु वर्ष 2018 तक कुछ नहीं हुआ और वर्ष 2018 में कलेक्टर बेमेतरा से अनुमति लेकर नियमानुसार दुकानों का निर्माण व आबंटन किया गया परंतु मूल्य में वृद्धि हो जाने के कारण 32 में से केवल 14 दुकानें ही प्रस्ताव दिनाँक 23.7.18 द्वारा आबंटित हो पाई। दिनाक 6.8.18 द्वारा आबंटितों को 18.8.18 तक 355000 रुपए जमा करने का आदेश दिया गया जिस पर आबंटियों द्वारा थोड़ा समय प्रदान करने का निवेदन किया गया जिसे स्वीकार करते हुए प्रस्ताव दिनांक 20.8.18 द्वारा 6 माह का समय प्रदान किया गया और जनवरी में सभी आबंटितो ने अनुबंध पर हस्ताक्षर कर जमा कर दिया और रकम भी समय के अंदर पटा दिया। दुर्भावना वश की गई शिकायत पर जांच कर रिपोर्ट कलेक्टर के पास जमा की गई और कलेक्टर बेमेतरा ने आदेश दिनांक 26.3. 2019 द्वारा प्रस्ताव दिनांक 18.7.2008 एवम 20.8.18 को स्थगित कर दिया जिसे राज्य सरकार ने आदेश दिनांक 27.6.19 द्वारा अनुमोदित कर दिया और मुख्य कार्यपालन अधिकारी नगर पंचायत नवागढ़ ने आदेश दिनांक 26.7.19 के द्वारा आबंटन को निरस्त करते हुए 7 दिन में खाली करने का निर्देश आबंटियो को दिया। जिसके विरुद्ध चंद्रहास पांडेय एवम 11 अन्य ने अधिवक्ता प्रतीक शर्मा के माध्यम से माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष रिट याचिका प्रस्तुत की और याचिकाकर्ताओं के पक्ष में अंतरिम आदेश प्रदान किया। मामले की अंतिम सुनवाई दिनांक 9.5.24 को हुई और माननीय उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति श्री राकेश पांडेय जी ने अन्य आधारों के अलावा नगर पालिका अधिनियम की धारा 323 के विरुद्ध आदेश पारित किए जाने के कारण कलेक्टर के आदेश दिनांक 26.3.19, राज्य सरकार के आदेश दिनांक 27.6.19 एवम CMO के आदेश दिनांक 26.7.19 को निरस्त करते हुए याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला सुनाया और आबंटन को सही ठहराया।
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