रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय एमटेक के विद्यार्थियों ने सौर ऊर्जा से चलने वाली साइकिल की नई तकनीक इजाद की है। इस साइकिल की सहायता से किसान घर से खेत तक पहुंचने के अलावा खेतों की सिंचाई भी आसानी से कर सकते हैं। दरअसल, साइकिल में पीछे कैरियर की जगह सोलर पैनल लगाया गया है, जिसे विद्युत मोटर वाले सेंट्रीफ्यूगल मोटर से कनेक्ट किया गया है। इससे थकने की स्थिति में मोटर की सहायता से बिना पैडल मारे ही साइकिल चलेगी। इसके अलावा नदी, नाले या फिर पानी टंकी से सबमर्सिबल पंप लगाकर इसी मोटर की सहायता से पानी खींचकर खेतों की सिंचाई भी आसानी से की जा सकेगी। साइकिल के पैडल घुमाने पर सबमर्सिबल पंप शुरू हो जाएगा और टंकी या फिर नाले से पानी खींचकर आसानी से खेती की सिंचाई भी की जा सकेगी। इतना ही नहीं, इसी सोलर पैनल व मोटर से घर में उपयोग के लिए एलइडी बल्ब भी जलाया जा सकता है। यह विशेष रूप से पठारी स्थलों व अधिक सौर ऊर्जा वाले स्थानों के लिए सबसे कारगर है। क्योंकि कई जगहों पर अभी बिजली नहीं पहुंच पाई है। बिना बिजली, बिना डीजल के जल पंपिंग करने के साथ यातायात का एक वैकल्पिक साधन भी है। सौर साइकिल के संचालन के लिए बिजली के अलावा सौर ऊर्जा से भी चार्जिंग की जा सकती है। इस साइकिल में सोलर पैनल को साइकिल की पंखों के रूप में लगाया गया है, जो कि आवश्यकता पड़ने पर आसानी से सिकोड़ी व फैलाई जा सकती है। साइकिल में 36 वोल्ट की बैटरी लगी है। बैटरी को बिजली से दो घंटे में चार्जिंग कर सकते हैं। वहीं सोलर पैनल से तीन घंटे में चार्जिंग होता है। वहीं साइकिल को प्रति 30 किमी घंटे से चला सकते हैं। इसके अलावा मोबाइल चार्जिंग भी कर सकते हैं। जबकि सिंचाई फुल चार्जिंग में लगभग दो घंटे तक चलाया जा सकता है। यानी आधा हार्स कम मोटर को घुमाया जा सकता है। अभी इसे तैयार करने में लगभग 35 हजार रुपये की लागत आई है। आइजीकेवी के प्राध्यापक डा. जितेंद्र सिन्हा ने कहा, सैर साइकिल यातायात और बाड़ी में सिंचाई भी कर सकते हैं। यह पठारी इलाके के लिए सबसे ज्यादा कारगर है।
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