बालोद। छत्तीसगढ़ के बालोद जिला मुख्यालय से 30 किमी दूरी पर स्थित गोंदली जलाशय को बने करीबन 68 साल हो गया है। यह पहला मौका है सिंचाई विभाग इसकी सफाई के लिए पानी को बाहर निकाल रहा है। जैसे ही डैम के एक हिस्से से पानी खाली किया गया तो अंदर मौजूद वर्षों पुरानी संस्कृति की झलक दिखाई देने लगी। सहगांव और गैंजी के मध्य इस क्षेत्र में एक पुराना मंदिर दिखाई देने लगा है जो पानी में डूबा हुआ था। इस जगह पर लोहे के संकल, मिट्टी से बनी मूर्तियां और कुएं मिलने से लोगों के बीच कौतूहल का विषय बना है। 1956-57 में जब गोंदली जलाशय का निर्माण किया उससे पहले यहां पर गोंदली गांव हुआ करता था। जलाशय निर्माण के समय गांव को खाली कराया गया और ग्रामीण दूसरे जगह जाकर बस गए। उसके बाद में जो इस गांव का मां शीतला का मंदिर था वो जलाशय निर्माण के समय वहीं स्थित रहा और वह पानी में डूब गया था। मंदिर का निर्माण तकरीबन 100 साल पुराना बताया जा रहा है। मंदिर के साथ-साथ कुछ पुरानी मूर्तियां भी मिली है। 1956 से लेकर अब तक पहली बार है जब इस डैम की सफाई की जाएगी। लगभग 20 एमसीएस पानी कैनाल के माध्यम से तांदुला में छोड़ा गया है। जलसंसाधन विभाग के ईई पीयूष देवांगन ने कहा, डैम सेफ्टी एक्ट के तहत गोंदली से 20 एमसीएस तांदुला में पानी छोड़ा गया है, अब यूनिट आकर निरीक्षण करेगी, उसके बाद एस्टीमेट बनाकर सफाई और सुरक्षा के कार्य किए जाएंगे।
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