गांधीनगर। गुजरात के गांधीनगर राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू) ने शुक्रवार को घोषणा की है कि राज्य के आदिवासी युवाओं ने अग्निवीर परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। आरआरयू के कुलपति प्रो. बिमल एन. पटेल ने यहां जारी अपने बयान में कहा है कि आरआरयू ने आदिवासी कल्याण विभाग (गुजरात सरकार) के सहयोग से 2023 के मध्य में एक पहल शुरू की, जिसका उद्देश्य गुजरात में अनुसूचित जनजाति के युवाओं के लिये अग्निवीर के रूप में भारतीय सेना में शामिल होने की संभावनाओं को बेहतर बनाना है। बहुत गर्व के साथ आरआरयू यह घोषणा कर रहा है कि परीक्षा में शामिल होने वाले 102 छात्रों में से 73 प्रतिशत यानी 76 छात्रों ने प्रतियोगी परीक्षा के पहले चरण को सफलतापूर्वक उत्तीर्ण कर लिया है, जो कि लिखित परीक्षा है। ये उम्मीदवार अब भारतीय सेना में शामिल होने के लिए अगले दो चरणों शारीरिक और चिकित्सा परीक्षण से गुजरने के लिये तैयार हैं। आरआरयू ने सभी को इन चरणों के लिए भी सावधानीपूर्वक कदम उठाये और इन्हें तैयार किया है। इस पहल में गुजरात के अनुसूचित जनजातियों के लगभग 150 युवाओं को 75 दिनों तक चलने वाले आवासीय कार्यक्रम में प्रशिक्षण दिया गया। योग्य शिक्षाविदों और पूर्व सैनिकों (ईएसएम) प्रशिक्षकों द्वारा संचालित प्रशिक्षण में प्रतिभागियों को निःशुल्क भोजन और आवास की सुविधा प्रदान की गयी। इस परियोजना को गुजरात सरकार के आदिवासी कल्याण विभाग द्वारा प्रायोजित और पूर्ण रूप से वित्तपोषित किया गया था। 6,000 आवेदकों के प्रतिस्पर्धी दल में से 150 युवाओं को पायलट बैच के लिये चुना गया। इन छात्रों ने आरआरयू प्रशिक्षकों के विशेषज्ञ मार्गदर्शन में सप्ताह में छह दिन के आधार पर 75 दिनों का कठोर प्रशिक्षण लिया। शैक्षणिक कोचिंग में अग्निवीर प्रवेश परीक्षा में बैठने की पात्रता के लिए आवश्यक विषयों को शामिल किया गया, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि प्रत्येक प्रतिभागी अच्छी तरह से तैयार था। यह पहल गुजरात के आदिवासी युवाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारतीय सेना में उनके करियर के लिये नये रास्ते खोलती है। 150 अनुसूचित जनजाति युवाओं का अगला ऐसा बैच जुलाई 2024 के मध्य में शुरू होने की उम्मीद है। प्रो बिमल एन पटेल ने कहा कि यह सहयोग एक नयी शुरुआत है। परीक्षा परिणाम एक महत्वपूर्ण क्षण का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो प्रशिक्षण कार्यक्रम की सफलता को एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में प्रदर्शित करता है। यह आदिवासी युवाओं को भारतीय सेना में सेवा करने के लिए मूल्यवान अवसर प्रदान करता है। यह प्रयास न केवल सैन्य सेवा के उनके सपनों को पूरा करता है, बल्कि क्षेत्र के समग्र विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। उन्होंने देश के भावी अग्निवीरों को अपनी शुभकामनायें दीं और इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय ऐसे योगदानों के माध्यम से रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता का केंद्र बनने का प्रयास जारी रखेगा।
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