जयपुर.
राजस्थान की सात सीटों पर उपचुनाव की तारीख घोषित होते ही कांग्रेस और भाजपा अपने प्रत्याशियों के नाम फाइनल करने की कोशिश में लग गए हैं। हालांकि, भारतीय जनता पार्टी यह प्रक्रिया पिछले 15 दिनों से कर रही थी, ऐसे भाजपा की प्रत्याशी सूची कुछ ही घंटों में जारी होने की संभावना है।
दरअसल, बीते सोमवार को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अपने आवास पर कोर कमेटी की बैठक बुलाई थी, जिसमें भाजपा के कोर कमेटी सदस्यों को प्रत्याशियों के नाम फाइनल करने के लिए आमंत्रित किया गया था। इस बैठक में तीन-तीन नामों का पैनल तैयार किया गया, जिसे बाद में मुख्यमंत्री और कोर कमेटी सदस्य राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के पास लेकर गए। जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद सिंगल पैनल लिस्ट राष्ट्रीय अध्यक्ष को सौंप दी गई है। सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा केंद्रीय नेतृत्व से इस सूची को मंजूरी दी जानी है। अंतिम निर्णय प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ पर छोड़ा गया है। जिन सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनमें भाजपा के पास 7 में से केवल एक सीट सलूंबर है, जो विधायक अर्जुन मीणा के निधन के बाद खाली हुई थी। बाकी चार सीटें कांग्रेस के पास और दो सीटें अन्य दलों के पास हैं। जिन 7 सीटों पर उपचुनाव होना है, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने उन सभी सीटों पर जाकर ग्राउंड रिपोर्ट हासिल कर ली है। उनके द्वारा भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को इन सीटों का आकलन प्रस्तुत किया गया है।
इन सीटों पर इनकी दावेदारी
उपचुनाव के लिए दौसा से डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को टिकट दिए जाने की संभावना है। देवली उनियारा से भाजपा की राष्ट्रीय नेता अलका गुर्जर भी टिकट की मांग कर रही हैं। इस सीट से भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी भी सक्रिय हैं। खींवसर सीट से ज्योति मिर्धा को फिर से मैदान में उतारा जा सकता है, क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में वह हनुमान बेनीवाल से 2,500 वोटों से हार गई थीं। रामगढ़ सीट पर सुखवंत सिंह का नाम सबसे आगे चल रहा है, क्योंकि कांग्रेस विधायक जुबेर खान की मृत्यु के बाद यह सीट खाली हुई है। झुंझुनू सीट पर भाजपा किसी नए चेहरे पर दांव खेल सकती है, खासकर किसी जाट उम्मीदवार पर। सलूंबर सीट पर अर्जुन मीणा के परिवार से ही टिकट दिए जाने की संभावना है। चौरासी सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखा जा सकता है, जिसमें भाजपा, कांग्रेस और अन्य दल शामिल हैं। भाजपा की सूची आने के बाद ही कांग्रेस अपने प्रत्याशियों का चयन करेगी। इस उपचुनाव में भाजपा के पास खोने के लिए कुछ नहीं है, जबकि कांग्रेस के बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।