अलग-अलग धर्मों के लोग कैसे आए साथ, अमेरिका का मंदिर जहां पूजा करने से नहीं झिझकते लोग

धर्म को लेकर भेदभाव आजकल आम बात है। अलग-अलग धर्म के लोग ही नहीं, एक धर्म के विभिन्न पंथों में भी अक्सर तकरार हो जाती है। ऐसे में आपको यह जानकर अचंभा होगा कि अमेरिका में ऐसे मंदिर हैं, जहां एक ही धर्म के अलग-अलग पंथों और कहीं-कहीं हिंदू व जैन संप्रदायों के लोग एक ही मंदिर में पूजा करने से नहीं झिझकते। बॉस्टन (Boston) से करीब 20 मील दूर, नॉर्वुड (Norwood) नाम के शहर में ऐसा ही एक मंदिर है।

गिरजाघरों की खाली बेंचें
ईसाई धर्म के लूथरन संप्रदाय की चर्च 1893 में स्थापित की गई थी। लेकिन अमेरिका और तमाम पश्चिमी देशों में लोग धर्म से विमुख हो रहे हैं। जो लगातार चर्च जाने वाले लोग थे वे या तो दूसरे धर्मों में दिलचस्पी ले रहे हैं, या योगासन में, और अन्य आध्यात्मिक विकल्पों में नए धर्म खोज रहे हैं। कुछ सर्वे में पाया गया कि करीब 30% अमेरिकी नागरिक संस्थागत धर्म से दूर हो रहे हैं। पादरियों के अनुसार, गिरजाघरों की बेंचें खाली होती जा रही हैं।

चर्च का बदलता रूप
ऐसे में कई सारे गिरजाघर अपना रूप बदलते जा रहे हैं। कई सारी ऐसी चर्च हैं जो डिवेलपर्स को बेची जा चुकी हैं और उनकी जगह म्यूजियम, आर्ट गैलरी और अपार्टमेंट्स ने ले ली है। हालांकि, कुछ मामलों में चर्च की जगह मंदिर, मस्जिद और बौद्ध मठ स्थापित हो गए हैं। न्यू यॉर्क के नज़दीक बफैलो (Buffalo) शहर में बैतूल ममूर जामी मस्जिद और मस्जिद जकरिया दो गिरजाघरों के स्थान पर बनी हैं। एक चर्च का नाम था सेंट जोचिम्स रोमन कैथलिक चर्च (St. Joachim’s Roman Catholic Church) और दूसरी, होली मदर ऑफ द रोजरी पोलिश नैशनल कैथलिक कैथीड्रल (Holy Mother of the Rosary Polish National Cathedral)।

डेमोग्राफी में बदलाव
आज के अमेरिका में ये धर्मस्थान यहां के बदलते डेमोग्राफिक को जाहिर करते हैं। सर्वे दिखाते हैं कि 1990 में करीब 90% अमेरिकी ईसाई धर्म को मानते थे, लेकिन 2007 के बाद यह संख्या घटकर 63% हो गई। आज अलग-अलग धर्मों और देशों के लोग अमेरिका में बस रहे हैं। बफैलो जैसे शहर के नए नागरिक अधिकतर दक्षिण एशिया, वियतनाम, इराक और मध्य अफ्रीका से हैं।

मिलकर करते हैं देखभाल
ऐसा नहीं कि अलग-अलग धर्मों के लोगों में आपसी मेलजोल न हो। Purdue University की आशिमा कृष्णा ने अपनी रिसर्च में पाया कि ईसाई, यहूदी, मुसलमान और अन्य धर्मों के लोग कुछ धर्मस्थानों की साथ मिलकर सफ़ाई व देखभाल भी करते हैं। काफी जगहों पर तो गिरजाघरों की वास्तुकला को भी बरकरार रखा गया है, सिर्फ क्रॉस और बाकी ईसाई धर्म के चिह्न हटा दिए गए हैं।

हिंदू-जैन सद‌्भाव
ऐसा ही समन्वय हिंदू और जैन मंदिरों में भी देखने को मिलता है। उदाहरण के लिए, लास वेगस में एक मंदिर में हिंदू और जैन, दोनों एक ही मंदिर में पूजा करते हैं। हिंदू धर्म मानने वालों के लिए वहां दुर्गा, राम-सीता-हनुमान, शिव-पार्वती, राधा-कृष्ण, एवं बालाजी की प्रतिमाएं हैं और जैन श्रद्धालुओं के लिए भगवान आदिनाथ, पार्श्वनाथ, महावीर की प्रतिमाएं। इस मंदिर में अगर गणेश विसर्जन का आयोजन होता है, तो जैन धर्म के नियमों के अनुसार दसलक्षण पर्व का भी।

पहला जैन मंदिर
नॉर्वुड के जैन मंदिर में भी कुछ ऐसा ही माहौल है। जब 1981 में इसकी स्थापना हुई थी, यह पूरे अमेरिका में पहला जैन मंदिर था। उस वक्त बॉस्टन में रह रहे कुछ प्रवासी जैनियों ने 32,000 डॉलर इकट्ठा करके जमीन ख़रीदी थी। भगवान पार्श्वनाथ के मूर्तिपूजन से इस मंदिर की स्थापना की गई थी। आज मंदिर में भगवान आदिनाथ, पार्श्वनाथ और महावीर की प्रतिमाएं दोनों पंथों – श्वेतांबर और दिगंबर – की पद्धति को दर्शाती हुई विराजमान हैं। दीवारों पर जैन धर्म के दर्शन के बारे में जानकारी है और मार्बल से बनी वेदियों पर तीर्थंकरों की प्रतिमाएं हैं। यहां दिगंबर पद्धति से देवशास्त्र पूजा होती है और श्वेतांबर स्नात्र पूजा भी होती है, जिसमें भगवान महावीर का जन्मोत्सव मनाया जाता है।

More From Author

जुलाई-सितंबर में दूसरी श्रेणी के शीर्ष 30 शहरों में घरों की बिक्री 13 प्रतिशत घटी: प्रॉपइक्विटी

आज के समय में नौकरी कर रहा पारिवारिक जीवन को ख़तम

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

city24x7.news founded in 2021 is India’s leading Hindi News Portal with the aim of reaching millions of Indians in India and significantly worldwide Indian Diaspora who are eager to stay in touch with India based news and stories in Hindi because of the varied contents presented in an eye pleasing design format.