नई दिल्ली
संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से शुरू होगा. यह 20 दिसंबर तक चलेगा. इस दौरान कई अहम बिलों पर चर्चा होगी. शीतकालीन सत्र के दौरान वन नेशन-वन इलेक्शन और वक्फ विधेयक बिल पर भारी हंगामा होने के आसार है. वन नेशन-वन इलेक्शन पर रिपोर्ट को कैबिनेट से मंजूरी के बाद बिल को शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा. बता दें कि विपक्षी दल वन नेशन-वन इलेक्शन का विरोध कर रहे हैं और देश में एक साथ चुनाव के पक्ष में नहीं हैं.
इसके अलावा वक्फ विधेयक पर गठित जेपीसी संसद के शीतकालीन सत्र में अपनी रिपोर्ट पेश कर सकती है. इस पर भी हंमामे के आसार हैं. बता दें कि हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर बोलते हुए कहा था कि यह विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पारित किया जाएगा.
संसद के शीतकालीन सत्र में वन नेशन वन इलेक्शन और वक्फ विधेयक पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। इन दोनों मुद्दों को लेकर सत्र के काफी हंगामेदार रहने के आसार हैं। वन नेशन वन इलेक्शन पर कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है, अब इस बिल को शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। हालांकि विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं। ऐसे में सरकार के लिए यह बिल पास कराना काफी मुश्किल होगा।
शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से शुरू होगा, जिसमें विशेष संयुक्त बैठक संविधान सदन (पुरानी संसद भवन) के केंद्रीय हॉल में आयोजित होने की सकती है. इसी स्थान पर 1949 में संविधान को अंगीकृत किया गया था. संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था।पहले, 26 नवंबर को राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में मनाया जाता था, लेकिन 2015 में मोदी सरकार ने इसे संविधान दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की, जिसमें डॉ. भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती को याद किया गया।
सूत्रों ने बताया कि संविधान के महत्व को रेखांकित करने के लिए व्यापक योजना बनाई जा रही है, जिसमें डॉक्यूमेंट्री बनाना, संविधान सभा की बहसों का लगभग दो दर्जन भाषाओं में अनुवाद करना, और सार्वजनिक मार्च का आयोजन शामिल है।एनडीए और इंडी गठबंधन दोनों ही खुद को संविधान के “रक्षक और अनुयायी” के रूप में प्रस्तुत करने की राजनीति में लगे हुए हैं।
कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडी गठबंधन ने बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन पर संविधान और संवैधानिक मूल्यों को “नष्ट” करने का आरोप लगाया है, जबकि बीजेपी और उसके सहयोगी कांग्रेस को निशाना बना रहे हैं. इस साल जुलाई में सरकार ने आपातकाल की याद में 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में अधिसूचित किया था।