अगर कोई जीवन की उन समस्याओं से बहुत परेशान है जिनका कोई हल नही निकल रहा है तो उसकी समस्याएं अब समाप्त हो जाएंगी। बस आपको अपनी दिनचर्या से थोड़ा समय निकलना होगा और रोज गायत्री मंत्र का जाप करना होगा। संस्कृत का यह मंत्र ऋगवेद से लिया गया है जो भृगु ऋषि को समर्पित है।
हिंदू धर्म के शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस मंत्र का जाप करने से जीवन में उत्साह और सकारात्मक के कारण आपकी त्वचा में चमक आती है। आंखों में तेज आता है साथ ही आप जिस काम में असफल हो रहे है। वो काम भी जल्द से जल्द हो जाते है।
ऊं भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
इसका अर्थ है उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अंतःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करें।
शास्त्रों के अनुसार गायत्री मंत्र को वेदों का सर्वश्रेष्ठ मंत्र बताया गया है। इसके जप के लिए तीन समय बताए गए हैं। पहला समय है प्रातःकाल, सूर्योदय से थोड़ी देर पहले मंत्र जप शुरू किया जाना चाहिए। जप सूर्योदय के बाद तक करना चाहिए। दूसरा समय है दोपहर का। दोपहर में भी इस मंत्र का जप किया जाता है। तीसरा समय है शाम को सूर्यास्त के कुछ देर पहले मंत्र जप शुरू करके सूर्यास्त के कुछ देर बाद तक जप करना चाहिए। इन तीन समय के अतिरिक्त यदि गायत्री मंत्र का जप करना हो तो मौन रहकर या मानसिक रूप से जप करना चाहिए। मंत्र जप तेज आवाज में नहीं करना चाहिए।
किसके लिए यह मंत्र है लाभकारी:-
विद्यार्थी: गायत्री मंत्र इनके लिए काफी फायदेमंद है। इस मंत्र का जाप कोई विद्यार्थी कम से कम 108 बार जप करें तो उसे सभी प्रकार के ज्ञान को प्राप्त करने में समस्या नही होती है। साथ ही हर विषय जल्द याद हो जाता है। अगर किसी को अपना विषय आराम से याद न हो रहा हो तो उसे इस मंत्र का जरुर जाप करना चाहिेए।
दरिद्रता को भगाएं: अगर आपकों हर काम में असफलता मिल रही है। हर काम चाहें वो व्यापार को हो या फिर नौकरी में हानि हो रही हो। इसमें गायत्री मंत्र काफी फायदा मिलता है। इसके लिए शुक्रवार का दिन काफी फायदेमंद साबित होगा। इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करके हाथी में विराजित गायत्री मां का ध्यान कर इस मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से जल्द ही आपकी सभी दरिद्रता दूर हो जाएगी।
संतान से संबंधित समस्या के लिए: अगर किसी दंपति को संतान की प्राप्ति में कठिनाई हो रही हो या फिर संतान को कोई कष्ट हो तो उनके लिए गायत्री मंत्र काफी लाभदायक है। इसके लिए दंपति प्रातः स्नान करके गायत्री माता की विधि-विधान से पूजा कर इस मंत्र का जाप करें। जल्द ही उनकी संतान से संबंधित समस्याओं से निजात मिल जाएगा।
शत्रु से विजय: अगर आप किसी शत्रु से परेशान है। लेकिन इसका कोई निवारण नही निकल रहा हो तो। रोज या विशेषकर मंगलवार, रविवार और अमावस्या के दिन लाल रंग के वस्त्र पहनकर माता दुर्गा का ध्यान करते हुए गायत्री मंत्र के आगे एवं पीछे क्लीं बीज मंत्र का तीन बार सम्पुट लगाकार एक सौ आठ बार जाप करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। साथ ही कोर्ट से संबंधित कामों और परिवार में एकता और प्यार बढ़ेगा।
विवाह में हो रही देरी: यदि किसी व्यक्ति के विवाह में देरी हो रही हो तो सोमवार को प्रातः स्नान करके पीले रंग के वस्त्र पहनकर माता पार्वती का ध्यान करते हुए क्लीं बीज मंत्र का तीन बार सम्पुट लगाकार एक सौ आठ बार जाप करें। इससे आपका विवाह जल्द होगा। साथ ही सभी बाधाओं से मुक्त हो जाएगें। इसे लड़का और लड़की दोनों कर सकते है।
किसी रोग से परेशान हो तो: अगर आप कई दिनों से किसी बीमारी से परेशान हो और किसी दवा से फायदा नही मिल रहा है तो किसी भी शुभ मुहूर्त में दूध, दही, घी और शहद को मिलाकर एक हजार गायत्री मंत्रों के साथ हवन करने से चेचक, आंखों के रोग एवं पेट के रोग समाप्त हो जाते हैं। इसमें समिधाएं पीपल की होना चाहिए। गायत्री मंत्रों के साथ नारियल का बुरा और घी का हवन करने से शत्रुओं का नाश हो जाता है। नारियल के बुरे मे यदि शहद का प्रयोग किया जाए तो सौभाग्य में वृद्धि होती हैं। या फिर किसी भी शुभ मुहूर्त में एक कांसे के पात्र में जल भर के रख लें और लाल रंग के आसन में बैठकर ऐं ह्रीं क्लीं का संपुट लगाकर गायत्री मंत्र का जाप करें। जाप करने के बाद जो व्यक्ति बीमार हो उसे उस पात्र का जल मिला दें। इससे गंभीर से गंभीर बीमारियों में निजात मिल जाएगी।