छत्तीसगढ़-रायपुर में छठ पूजा में लोक गायिका कल्पना-गायत्री-परिणीता और दुकालू देंगे प्रस्तुति

रायपुर.

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में चार दिवसीय छठ महापर्व की आज यानी मंगलवार से शुरुआत हो गई है। पहले दिन मंगलवार को व्रती नहाय-खाय के साथ 72 घंटे का निर्जला व्रत शुरू कर चुके हैं। इस बार महादेवघाट स्थित खारून नदी तट और 60 तालाबों पर व्रती अर्घ्य देंगे। महादेवघाट में छठ पूजा को लेकर पूरी तैयारी कर ली गई है।

इस बार सात नवंबर को महादेवघाट पर भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा। इसमें अंतर्राष्ट्रीय लोक गायिका कल्पना पटवारी (मुंबई), अंतर्राष्ट्रीय लोक गायिका गायत्री यादव (लखनऊ), लोक गायिका परिणीता राव पटनायक, मशहूर छत्तीसगढ़ी लोक गायक दुकालू यादव और अन्य स्थानीय कलाकार छठ गीतों से समां बांधेंगे। सभी व्रतियों और श्रद्धालुओं को छठी मइया की भक्ति में डूबोयेंगे। छठ महापर्व आयोजन समिति के अध्यक्ष राजेश कुमार सिंह ने बताया कि समिति के सदस्यों ने महादेव घाट रायपुर में पहुंचकर श्रमदान किया । रायपुर नगर निगम की ओर से भी महादेव घाट की सफाई की जा रही है। महादेव घाट को पूरी तरह से सजाया संवारा गया है। आयोजन प्रमुख राजेश सिंह, संरक्षक मंडल के सलाहकार परमानंद सिंह, रविंद्र सिंह, सत्येंद्र सिंह गौतम, आयोजन उप प्रमुख कन्हैया सिंह, संतोष सिंह, कोषाध्यक्ष सुनील कुमार सिंह, सचिव प्रचार प्रसार महादेव घाट बृजेश कुमार सिंह, राकेश सिंह, विधि व्यवस्था प्रमुख अजय शर्मा, घाट व्यवस्था प्रमुख वेद नारायण एवं रविंद्र शर्मा, अनिल कुमार सिंह, मनोज सिंह, संजय सिंह, जयप्रकाश सिंह, रणजीत मिश्रा, संजीव सिंह, जयंत सिंह, सरोज सिंह, संतोष सिंह एवं अन्य सदस्य ने आज महादेव घाट पर अपना श्रम दान किया।

महादेवघाट और 60 तालाबों पर अर्घ्य देंगे व्रती
इस बार महादेवघाट स्थित खारून नदी तट और 60 तालाबों पर व्रती अर्घ्य देंगे। महादेवघाट में छठ पूजा को लेकर पूरी तैयारी कर ली गई है। चार दिवसीय छठ महापर्व की शुरुआत पांच नवंबर से नहाय खाय के साथ शुरू हो गई है। इस बार महादेव घाट रायपुर में छठ महापर्व बड़े ही धूमधाम और भव्यता के साथ मनाया जा रहा है। इसे लेकर छठ महापर्व आयोजन समिति महादेव घाट के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने कमर कस ली है।

नहाय खाय के साथ छठ महापर्व शुरू
पहले दिन पांच नवंबर को नहाय खाय के साथ छठ महापर्व की शुरुआत हुई। इसके बाद 6 नवंबर को खरना, 7 नवंबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य और 8 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ महापर्व का समापन होगा। छठ पर्व को शक्ति पूजा और सूर्य सष्टी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखंड, पूर्वांचल, पश्चिम बंगाल और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। छठ पूजा सूर्य और उनकी बहन छठी मैया को समर्पित है। त्योहार और व्रत के अनुष्ठान कठोर है। चार दिनों तक मनाए जाने वाले इस व्रत में महिलायें पवित्र स्नान, उपवास और निर्जल, लंबे समय तक पानी में खड़े रहना, प्रसाद, प्रार्थना और सूर्य देवता को अर्घ्य देना शामिल है। बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग जिस देश और राज्यों में बसे हैं। वहां अपनी संस्कृतियों को आज भी संजोये हुए हैं।

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