छत्तीसगढ़-बस्तर के गांवों में विष्णुदेव के सुशासन में नियद नेल्लानार से फिर गूंजी मांदल

जगदलपुर.

अपने विशिष्ट मानव और प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर बस्तर अंचल के लोग अपनी अनोखी संस्कृति और परंपराओं का निर्वहन करने के लिए विश्वभर में विख्यात हैं. यहां के आदिवासी कठिन परिस्थितियों में भी खुशहाल जीवन जीने के लिए खुद को प्रकृति के अनुकूल बनाकर रखने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन पिछले कुछ दशकों में यहां के आदिवासियों के खुशहाल जीवन को नक्सलियों की नजर लग गई थी. अब आदिवासी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सुशासन से बस्तर वासियों का वक्त बदला है.

एक बार फिर धीरे-धीरे बस्तर क्षेत्र के आदिवासी अपने पुराने दिनों की ओर लौटने लगे हैं. उनकी समस्याओं के उन्मूलन के लिए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार ने ‘‘नियद नेल्लानार‘‘ (आपका अच्छा गांव) योजना संचालित किया है, जिसके बेहद सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं. नियद नेल्लानार योजना विष्णुदेव साय सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है, जिसमें सुरक्षा कैंपों के पांच किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांवों में केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ शत प्रतिशत हितग्राहियों तक पहुंचाने की मुहिम चलायी जा रही है. इस योजना के सुचारू क्रियान्वयन से इसका असर अब अंदरूनी गांवों में भी देखने को मिल रहा है. स्थानीय हाट बाजार अब गुलजार होने लगे हैं. बंद पड़े हाट बाजार और स्कूल अब फिर से शुरू हो रहे हैं, जिससे बस्तर अंचल की तस्वीर बदल रही है. सालों से बम धमाकों के बीच दहशत में जीवन गुजारने वाले आदिवासियों के जीवन का पुराना दौर लौटने लगा है और इन इलाकों में सािलों बाद मांदर की थाप फिर गूंजने लगी है. छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय सरकार ने आदिवासी समुदाय के विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दों पर प्राथमिकता के साथ अपना ध्यान केंद्रित किया है. राज्य की लगभग 3 करोड़ आबादी में एक तिहाई जनसंख्या आदिवासी समुदाय की है. आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र विष्णुदेव साय सरकार के सुशासन से समग्र विकास की ओर अग्रसर है. आदिवासी समुदायों में होने वाले विकास का प्रभाव स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि इन इलाको में केन्द्र सरकार द्वारा चलाई जा रही पीएम जनमन योजना और राज्य सरकार की नियद नेल्ला नार योजना आदिवासियों का जीवन बदलने वाली साबित हो रही है. राज्य शासन की नियद नेल्लानार योजना जिसका शाब्दिक अर्थ होता है आपका अच्छा गांव योजना. ये योजना जनकल्याण का अभिनव उपक्रम साबित हो रही है. इस योजना के अंतर्गत माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में स्थापित नए कैम्पों के आसपास के 5 किमी के दायरे में आने वाले 96 गांवों का चयन कर शासन के 17 विभागों की 53 योजनाओं और 28 सामुदायिक सुविधाओं के तहत आवास, अस्पताल, पानी, बिजली, पुल-पुलिया, स्कूल इत्यादि मूलभूत संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं. छत्तीसगढ़ सरकार की पहल पर छत्तीसगढ़ के माओवादी आतंक प्रभावित जिलों के विद्यार्थियों को तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा के लिए ब्याज रहित ऋण दिए जाने की भी योजना है.. शेष जिलों के विद्यार्थियों को 1 प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण प्रदान किया जाएगा.. ब्याज अनुदान के लिए शिक्षा ऋण की अधिकतम सीमा 4 लाख रूपए रखी गई है. बस्तर के दूरस्थ इलाकों में जिस तरह स्वास्थ्य, सड़क, संचार और सुरक्षा नेटवर्क को मजबूती दी जा रही है, उसका लाभ आदिवासी वर्ग को मिलता दिखाई दे रहा है. इस योजना के आ जाने से न सिर्फ़ आदिवासी समाज के जीवन स्तर में गुणवत्ता का संचार हो रहा है बल्कि सरकार की पहल से प्रदेश में वामपंथी उग्रवाद की समस्या को परास्त भी किया जा रहा है. केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं को आदिवासी समुदाय तक पहुंचाने के लिए नए-नए प्रयास किए जा रहे हैं.. आदिवासी समुदाय के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक उत्थान के लिए चलाई जा रही योजनाओं से आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र का वातावरण बदल रहा है.. साय सरकार पिछले 10 माह में आदिवासी समुदाय के आवास, पेयजल, विद्युत और सड़क सहित सभी बुनियादी जरूरतों पर तेजी से काम कर रही है.

रायपुर से विशाखापट्नम तक इकोनॉमी कॉरिडोर
छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदाय की बसाहट ज्यादातर वनांचल क्षेत्रों में है. इन क्षेत्रों में सड़क, नेटवर्क बढ़ाया जा रहा है.. केन्द्र सरकार द्वारा भी भारत माला प्रोजेक्ट के तहत रायपुर से विशाखापट्नम तक इकोनॉमी कॉरिडोर बनाया जा रहा है.. इसका सीधा फायदा भी आदिवासी इलाकों को मिलेगा.. केन्द्र सरकार द्वारा नगरनार में देश का सबसे बड़ा इस्पात संयंत्र भी शुरू किया गया है, इससे बस्तर अंचल के विकास को नई गति मिली है. राज्य के आदिवासी क्षेत्रों और अयोध्या धाम तक सीधी कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री ने रायगढ़-धरमजयगढ़-मैनपाट-अंबिकापुर-उत्तरप्रदेश सीमा तक कुल 282 किमी तक के मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करने की मांग की है. यह मार्ग प्रदेश के चार जिलों से होकर गुजरता है एवं धार्मिक नगरी अयोध्या से छत्तीसगढ़ राज्य को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग है.. इस मार्ग के लिए भारत सरकार से हरी झण्डी मिल गई है.

36 कॉलेजों के भवन-छात्रावास के लिए 131 करोड़ 52 लाख की मंजूरी
राज्य सरकार द्वारा 36 कॉलेजों के भवन-छात्रावास निर्माण के लिए 131 करोड़ 52 लाख रूपए मंजूर किए गए है.. इससे प्रदेश के 36 कॉलेजों के इंफ्रास्ट्रक्चर सुदृढ़ होंगे तथा शैक्षणिक माहौल को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी. इस स्वीकृति में अधिकांश आदिवासी बहुल क्षेत्रों के कॉलेजों को शामिल किया गया है.. नई दिल्ली के ट्रायबल यूथ हॉस्टल में सीटों की संख्या 50 से बढ़ाकर अब 185 कर दी गई है.. नई दिल्ली में रहकर संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा की तैयारी करने के इच्छुक अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए अब इस हॉस्टल में तीन गुने से भी अधिक सीटें उपलब्ध होंगी..आईआईटी की तर्ज पर राज्य के जशपुर, बस्तर, कबीरधाम, रायपुर और रायगढ़ में प्रौद्योगिकी संस्थानों का निर्माण किया जाएगा.. राज्य में छत्तीसगढ़ उच्च शिक्षा मिशन की स्थापना भी की जा रही है.

प्रदेश के 263 स्कूलों में चल रही पीएमश्री योजना
प्रदेश के 263 स्कूलों में पीएमश्री योजना शुरू की गई है, जिसके तहत इन स्कूलों को मॉडल स्कूल के रूप में विकसित किया जा रहा है.. इस योजना के तहत स्कूलों में स्थानीय भाषाओं के साथ-साथ रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे आधुनिक विषयों को भी पढ़ाया जाएगा. पीएमश्री स्कूल आदिवासी बहुल इलाकों में भी स्कूलों को अपग्रेड किया रहा है, इससे इन क्षेत्रों के बच्चों को भी आधुनिक, ज्ञानपरक और कौशल युक्त शिक्षा मिल रही है. आदिवासी समुदाय के बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए 75 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं. इसके अलावा माओवादी प्रभावित क्षेत्र के बच्चों के लिए 15 प्रयास आवासीय विद्यालय संचालित है.. इन विद्यालयों में मेधावी विद्यार्थियों को अखिल भारतीय मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराई जा रही हैं. यकीनन, छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज से आने वाले मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य जनजातीय समाज के सर्वांगीण विकास के नए आयाम गढ़ रहा है.

साय सरकार के 10 महीने में 195 माओवादी हुए ढेर
विष्णुदेव साय की सरकार ने आदिवासी क्षेत्रों में वामपंथी उग्रवाद को रोकने के लिए सुरक्षा और विकास को मूल मंत्र बनाया है, इसके सार्थक परिणाम दिख रहे हैं.. इन इलाकों में रहने वाले लोगों को शासकीय योजनाओं का लाभ दिलाने के साथ-साथ उन्हें सभी जरूरी सुविधाएं भी दी जा रही है. बीते 10 महीनों के दौरान मुठभेड़ों में 195 माओवादियों को ढेर किया गया. 34 फारवर्ड सुरक्षा कैम्पों की स्थापना की गई.. निकट भविष्य में दक्षिण बस्तर एवं माड़ में रि-डिप्लायमेंट द्वारा 30 नए कैम्पों की स्थापना की जावेगी..राज्य में गरीब परिवारों को शहीद वीर नारायण सिंह विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत 20 लाख रूपए की राशि गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए सहायता उपलब्ध। कराई जा रही है. साथ ही आदिवासी क्षेत्रों के अस्पतालों को सर्व सुविधायुक्त बनाया जा रहा है. छत्तीसगढ़ सरकार ने 68 लाख गरीब परिवारों को 05 साल तक मुफ्त राशन देने का निर्णय लिया है, इसके लिए बजट में 3400 करोड़ रुपए का प्रावधान है. इसका सीधा लाभ आदिवासी समुदाय को भी मिल रहा है.

पीएम जनमन योजना से 5 करोड़ जनजातीय लोग होंगे लाभार्थी
राज्य में विशेष रूप से पिछड़ी जनजाति समूह के परिवारों के विकास हेतु 20 करोड़ का प्रावधान है.. इन क्षेत्रों में 57 मोबाईल मेडिकल यूनिट के संचालन हेतु अनुपूरक में 2 करोड़ 72 लाख का प्रावधान है.. पीव्हीटीजी के विद्युतीकरण हेतु 3 करोड़ 76 लाख का अतिरिक्त प्रावधान है..केन्द्र सरकार द्वारा शुरू किए गए पीएम जनमन योजना के तहत आदिवासी बसाहटों में मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने के लिए तेजी से काम हो रहा हैं. केन्द्र सरकार द्वारा आदिवासी समाज को प्राथमिकता जनजातीय परिवारों के सामाजिक आर्थिक विकास को गति देने के लिए प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान शुरू किया जा रहा है. इस योजना से देशभर के इसमें 63,000 गावों के 5 करोड़ जनजातीय लोग लाभार्थी होंगे.. छत्तीसगढ़ की जनसंख्या में लगभग 30 प्रतिशत अनुपात आदिवासी समाज को सीधा लाभ मिलेगा.

तेंदूपत्ता संग्रहण की दर 4000 से बढ़ाकर किए 5500 रुपए
इसी प्रकार कृषि बजट में वृद्धि खेती-किसानी से जुड़े क्षेत्रों के लिए 1.52 लाख करोड़ का आवंटन किया गया है.. किसानों की खेतीबाड़ी के लिए 32 कृषि और बागवानी फसलों की नई उच्च पैदावार वाली और जलवायु अनुकूल किस्म जारी की गई है. प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 10,000 जैव आदान संसाधन केंद्र स्थापित किए जाएगा, इसका लाभ भी राज्य के आदिवासी बहुल इलाकों को मिलेगा. आदिवासी बाहुल्य इलाकों में तेंदू के वृक्षों की बहुतायत है. तेंदूपत्ता संग्रहण से बड़ी संख्या में समुदाय के लोगों को रोजगार मिलता है. इसको देखते हुए राज्य सरकार ने तेंदूपत्ता संग्रहण की दर 4000 से बढ़ाकर 5500 रूपए कर दिया है.. तेंदूपत्ता संग्रहण कार्यों से लगभग 12 लाख से अधिक परिवार लाभान्वित हुए हैं. जल्द ही सरकार तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए चरण पादुका वितरण योजना भी शुरू करने जा रही है. इस प्रकार केन्द्र और विष्णुदेव साय सरकार के समन्वित प्रयासों से आदिवासी बहुल बस्तर अंचल की तस्वीर तेजी से बदलने की कोशिश की जा रही है और वह दिन दूर नहीं जब नियद नेल्लानार जैसी योजनाओँ के सफल क्रियान्वयन के जरिये इस इलाके से सालों पुरानी नक्सल समस्या का अंत होगा.

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