झांसी मेडिकल हादसे में लापरवाही से नौनिहालों की गई जान, दस शिशुओं की मौत

झांसी

शुक्रवार रात को लोग जब सोने की तैयारी में तब, उस दौरान झांसी का मेडिकल कॉलेज नवजातों की चीखों से गूंज रहा था. ये नन्हीं से जान बोलकर भी अपना दर्द बयां नहीं कर सकते थे और न ही मदद  के लिए बुला सकते थे. तड़प-तड़प कर 10 बच्चों ने अपनी जान दे दी.  उत्तर प्रदेश के झांसी मेडिकल कॉलेज के चाइल्ड वार्ड (NICU- Neonatal Intensive Care Unit) में अचानक भीषण आग लगने से 10 बच्चे काल के गाल में समा गए. सवाल यह उठता है कि आखिर इन 10 मासूमों की मौत का जिम्मेदार कौन है? बताया जा रहा है कि शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लगी होगी. जांच के बाद भी हादसे के असली कारण का पता चल सकेगा.

झांसी मेडिकल कॉलेज हादसे में त्रिस्तरीय जांच का आदेश दिया है. स्वास्थ्य विभाग, पुलिस और मजिस्ट्रेट अलग-अलग जांच करेंगे. डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने जांच के निर्देश दिए हैं.  दोषी पाए जाने वाले कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई होगी. शुक्रवार रात 10:30 बजे मेडिकल कॉलेज के SNCU स्पेशल न्यू बॉर्न केयर यूनिट में आग लगी थी.हादसे में 10 नवजात शिशुओं की दर्दनाक मौत हुई और 39 को रेस्क्यू किया गया. बताया जा रहा है कि ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में स्पार्किंग के बाद ब्लास्ट होने से आग भड़की.

प्रत्यक्षदर्शी की आंखों-देखी
हमीरपुर के रहने वाले भगवान दास उन लोगों में से हैं जिनके बेटे का बेटा, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में भर्ती था. कल जब आग लगी तो भगवान दास वार्ड में ही मौजूद थे. शुरुआती जांच के आधार पर भले ही शॉर्ट सर्किट को वजह बताया जा रहा हो लेकिन भगवान दास इस घटना के अकेले चश्मदीद हैं और वो इसके पीछे की असली वजह बता रहे हैं.

भगवान दास के मुताबिक, बच्चों के वार्ड में एक ऑक्सीजन सिलेंडर के पाइप को लगाने के लिए नर्स ने माचिस की तीली जलाई. जैसे ही उसकी तीली जली पूरे वार्ड में आग लग गई. आग लगते ही भगवान दास ने अपने गले में पड़े कपड़े से 3 से 4 बच्चों को लपेटकर बचाया, बाकी लोगों की मदद से कुछ और बच्चों को भी बचाया गया.

एक्सपायर हो चुका था आग बुझाने वाला सिलेंडर

हैरानी की बात ये रही कि आग लगने के बाद ना फायर अलार्म बजा ना ही वार्ड में रखे सिलेंडर किसी काम के थे. सिलेंडर पर 2019 की फिलिंग डेट है और एक्सपायरी 2020 की है. यानि फायर एक्सटिंग्विशर को एक्सपायर हुए साल साल हो चुके थे और खाली दिखाने के लिए ये सिलेंडर यहां रखे हुए थे.

यूपी सरकार देगी 5 लाख की मदद

यूपी की योगी सरकार ने मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये की आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है और घायलों को 50 हजार की सहायता राशि दी जाएगी.वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने झांसी मेडिकल कॉलेज में आग लगने की घटना में मारे गए प्रत्येक व्यक्ति के परिजनों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से 2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है और घायलों को 50,000 रुपये दिए जाएंगे.
 

खाक में तब्दील हुआ NICU वार्ड
जिस वार्ड में बच्चे रखे गए थे, उसकी तस्वीरें भी सामने आई हैं. बच्चों को रखने वाली मशीनें पूरी तरह जलकर खाक हो गई हैं. पूरा वार्ड तहस-नहस हो गया है. लाइटें काटी हुई हैं.झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार को हुए भीषण अग्निकांड में 10 नवजात शिशुओं की मौत हो गई, जबकि 17 बच्चे घायल हो गए. घायलों को बेहतर इलाज के लिए अन्य अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। हादसे के समय करीब 54 बच्चे नवजात शिशु गहन चिकित्सा कक्ष (एसएनसीयू वार्ड) में भर्ती थे.

वरिष्ठ अधिकारियों की तैनाती
घटना की गंभीरता को देखते हुए एडीजी जोन कानपुर आलोक सिंह झांसी के लिए रवाना हो गए हैं. साथ ही, डीआईजी झांसी रेंज और झांसी मंडलायुक्त को मामले की विस्तृत जांच कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर शोक व्यक्त करते हुए मामले की विस्तृत रिपोर्ट शनिवार शाम तक तलब की है. उन्होंने राहत और बचाव कार्यों को तेज करने के निर्देश दिए हैं और घायलों को सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधा प्रदान करने का आदेश दिया है.

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक बोले- पीड़ितों की आर्थिक मदद करेंगे

झांसी मेडिकल कॉलेज में लगी आग पर यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा, "फरवरी में इस अस्पताल का फायर सेफ्टी ऑडिट हुआ था। जून में मॉक ड्रिल भी हुई थी। हादसा कैसे और क्यों हुआ, इस बारे में जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। अभी अस्पताल में 16 बच्चे हैं। 4 बच्चों को प्राइवेट हॉस्पिटल में भेजा गया है। 10 बच्चों की मौत हुई है। उनमें से 7 नवजात शिशुओं के शवों की पहचान हो गई है। 3 शवों की अभी पहचान नहीं हो पाई है। उनके परिजनों से संपर्क कर पहचान की कोशिश की जा रही है। छह परिजनों से संपर्क नहीं हो पा रहा है। उनके मोबाइल फोन स्विच ऑफ हैं। हम उनके घर के पते पर संपर्क कर रहे हैं। पीड़ितों की पूरी आर्थिक मदद की जाएगी। सरकार इनके साथ है। हर स्थिति में हम पीड़ितों के साथ हैं।"

 

 

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