इस्लामाबाद
पाकिस्तान में इस समय वीपीएन के जरिए इंटरनेट के इस्तेमाल को लेकर बवाल हो रहा है। बीते दिनों पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ ने जब डोनाल्ड ट्रंप को जीत के लिए बधाई दी थी, तब भी उनकी काफी आलोचना हुई थी। कहा गया था कि जब पाकिस्तान में एक्स को बैन किया गया है तो उन्होंने वीपीएन के जरिए ही सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर बधाई दी होगी। काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी (CII) के चीफ डॉ. रागिब नई मी के एक बयान के बाद इस मुद्दे पर बहस और भी तेज हो गई है। उन्होंने कहा कि वीपीएन का इस्तेमाल इस्लाम के खिलाफ और अनैतिक है।
नईमी के बयान के बाद डिजिटल राइट्स से जुड़े संगठनों ने उनका विरोध शुरू कर दिया। शुक्रवार को नईमी ने कहा कि वीपीएन का इस्तेमाल और इसके बाद विवादित सामग्री को सर्च करना शरिया के कानून के खिलाफ है। वहीं सीआईआई के एक सदस्य ने कहा कि यह काउंसिल का कोई फैसला नहीं है बल्कि नईमी की निजी विचार हैं। उन्होंने कहा, इंटरनेट के जरिए अश्लील सामग्री देखने को धार्मिक मुद्दा नहीं बनाया जा सकता। वहीं टेलीकॉम एक्टिविस्ट्स का कहना है कि धर्म का हवाला देकर प्रिवेसी और अभिव्यक्ति के अधिकार को दबाया नहीं जा सकता।
जानेमाने इस्लामिक स्कॉलर मौलाना तारिक जमील का कहना है कि वीपीएन के टारोगेट करने के पीछे क्या वजह है। उन्होंने कहा कि अगर अश्लील सामग्री को देखना या फिर ईशनिंदा से जुड़ी सामग्री को सर्च करना ही मुद्दा है तो मोबाइल फोन को ही इस्लाम के खिलाफ घोषित कर देना चाहिए। इसमें वीपीएन को क्यों निशाना बनाया जा रहा है।
डिजिटल राइट्स फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक निघाट डाड ने कहा कि निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं किया जा सकता। वहीं सासंद पालवाशा खान ने कहा कि वीपीएन पर रोक को लेकर 18 नवंबर को स्थायी समिति की बैठक बनलाई गई है। सांसद अल्लामा नासिर अब्बास ने कहा कि देश की सरकार मनमाने तरीके से काम कर रही है और किसी भी चीज को गैरकानूनी घोषित कर देदी है। वहीं एक सांसद ने यह भी कहा कि वीपीएन के इस्तेमाल के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर देना चाहिए। यह रजिस्ट्रेशन फ्री और ऑनलाइन होना चाहिए।