युवाओं के कौशल विकास और स्पष्ट मार्गदर्शन के साथ ही विश्वविद्यालयों को बनाएंगे आत्मनिर्भर : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

महू

राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने सम्मानपूर्वक जीवन जीने के लिए समरस, समावेशी राष्ट्र के संविधान निर्माता डॉ. बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर को नमन करते हुए कहा कि बाबा साहेब ने अपनी अद्भुत दूरदृष्टि से हमें संविधान के रूप में जाति, लिंग, भाषा, धर्म, धन और शक्ति बल आदि के भेदभावों से मुक्त समावेशी, समरस समाज की धरोहर सौंपी है। राज्यपाल पटेल शुक्रवार को महू में डॉ. बी.आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय के 6वें दीक्षांत समारोह में अध्यक्षीय उद्बोधन दे रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मुख्य आतिथ्य में आयोजित समारोह में जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ के पूर्व कुलाधिपति डॉ. प्रकाश सी बरततूनिया, विधायक सुउषा ठाकुर उपस्थित थे।

राज्यपाल पटेल ने कहा कि हमारा संविधान प्रेरणादायक जीवंत दस्तावेज और स्वतंत्र भारत का आधुनिक धर्म ग्रंथ है, जिसका समर्पित भाव से पालन, हर भारतीय का परम कर्तव्य है। विद्यार्थियों का दायित्व है कि संविधान का अपने आचरण, व्यवहार में समर्थन और संरक्षण करें। समाज के तुलनात्मक रूप से वंचित, पिछड़े वर्गों, समुदायों के भाई बहनों के विकास की जवाबदारी, जिम्मेदारी के साथ स्वीकार करें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने बाबा साहेब के सपनों के अनुरूप राष्ट्र निर्माण के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के द्वारा शिक्षण संस्थानों को ऐसे नागरिकों को तैयार करने का अवसर दिया है। यह जरूरी है कि विश्वविद्यालय और शिक्षक, हमारी संस्कृति के अनुरूप देश और समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सामाजिक समृद्धि और समानता के प्रति समर्पित युवा ध्वज वाहक तैयार करें।

राज्यपाल ने शिक्षकों से अनुरोध किया कि शिक्षण प्रणाली को वह विद्यार्थियों की उद्यमिता को बढ़ावा देने, नवाचार की प्रेरणा देने, चिंतन, नेतृत्व के गुणों के साथ सामाजिक सरोकारों में सहभागिता के संस्कार प्रदान करने वाली बनाएं। युवा ही हमारी सबसे बड़ी शक्ति है, देश जब आजादी की 100वीं सालगिरह मनाएगा, देश का नेतृत्व युवा कर रहे होंगे, उस समय विकसित भारत का स्वरूप कैसा हो उसके लिए युवाओं को आज से ही कार्य करना होगा।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि बाबा साहेब अंबेडकर ने विपरीत परिस्थितियों में शिक्षा दीक्षा ग्रहण करने को गौरव की बात बताते हुए अनुकरणीय बताया। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब ने जो सीखा, वो समाज को समर्पित किया। देश का संविधान इस बात का प्रमाण है जिसमें भारत की विविधता भरी संस्कृति, जनजाति नागरिक आदि को एक साथ जोड़ा गया है। बाबा साहेब ने चित्रों के संयोजन से संविधान को गौरवान्वित किया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री रहने के दौरान इस विश्वविद्यालय में कई संकाय शुरू किए।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जरूरत के मुताबिक और नए संकाय खोले जाएँगे। जनवरी माह में राज्यपाल की अध्यक्षता में कुलगुरूओं की बैठक में इस पर निर्णय लिए जाने का मुख्यमंत्री ने भरोसा जताया। उन्होंने कहा कि युवाओं के कौशल विकास और स्पष्ट दिशा देने के साथ ही विश्वविद्यालय की आत्मनिर्भरता के लिए प्रयास किए जाएँगे। मुख्यमंत्री ने दीक्षांत समारोह के माध्यम से विद्यार्थियों को उपाधि देने के सिलसिले को आरम्भ करने में राज्यपाल की पहल का अभिनंदन भी किया। उन्होंने विद्यार्थियों को शिक्षा दीक्षा के ज़रिए अपना भविष्य उज्जवल बनाने की शुभकामनाएं भी दीं।

समारोह को सारस्वत अतिथि बरतूनिया ने भी संबोधित किया

दीक्षांत समारोह में संस्थान के 16 शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई। अम्डेकर विश्वविद्यालय के द्वारा विगत 5 वर्षों में 100 से अधिक शोधार्थियों ने पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। वहीं बीते सत्र में विश्वविद्यालय से 851 विद्यार्थियों ने डिग्री हासिल की है। इसमें से पीएचडी करने वाले विद्यार्थियों को मंच पर डिग्री प्रदान की गई। आरंभ में अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती, भगवान बुद्ध और बाबासाहेब की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह का शुभारंभ किया। स्वागत उद्बोधन विश्वविद्यालय के कुलगुरु रामलाल अत्राम ने दिया। आभार कुलसचिव ने माना।

 

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