ड्रैगन के पास 600 से ज्यादा परमाणु बम, 4 साल में तीन गुना बढ़ाया न्यूक्लियर भंडार

वॉशिंगटन
मिडिल ईस्ट और यूरोप के कई देश फिलहाल जंग की मार झेल रहे हैं। बीते साल इजरायल ईरान और रूस यूक्रेन की जंग में दुनिया के कई देश उलझे रहे। इस दौरान पूरी दुनिया का ध्यान गाजा और यूक्रेन पर ही रहा। हालांकि इस बीच भी चीन अपनी चालबाजियों में जुटा रहा। अमेरिका में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते साल चीन की परमाणु शक्ति कई गुणा बढ़ गई है। यह रिपोर्ट बुधवार को सामने आई है जिसमें कई खुलासे और दावे किए गए हैं।

पेंटागन की रिपोर्ट के मुताबिक चीन अपने परमाणु शक्ति बढ़ा रहा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन ने ताइवान के खिलाफ आक्रमकता बढ़ा दी है। वहीं पिछले एक साल में चीन ने रूस के साथ नजदीकियां भी बढ़ाई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक मई तक चीन के पास लगभग 600 परमाणु हथियार थे। दावा किया गया है कि 2030 तक यह आंकड़ा 1,000 से भी ज्यादा होगा।

चीन ने 2020 की तुलना में तीन गुना किया परमाणु भंडार

अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन की इस रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने 2020 की तुलना में अपने परमाणु हथियारों का भंडार लगभग तीन गुना बढ़ाया है। यानी पिछले 4 साल में उसकी एटमी ताकत काफी बढ़ चुकी है। 18 दिसंबर को जारी इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 2024 में चीन के परमाणु बमों की संख्या 600 से ज्यादा हो चुकी है।
2030 तक चीन के पास होंगे 1000 परमाणु बम

रिपोर्ट के मुताबिक, चीन जिस स्पीड से अपने परमाणु भंडार को बढ़ाने में लगा है, उसे देखकर तो यही कहा जा सकता है कि 2030 तक उसके पास 1000 से ज्यादा परमाणु बम होंगे। इनमें से कई एटम बम को ड्रैगन पूरी तरह से तैनाती वाले मोड में रखेगा। अमेरिकी रक्षा विभाग के अधिकारी के मुताबिक, चीन न सिर्फ एटमी हथियार बढ़ा रहा है, बल्कि इन्हें कई तरह से डेवलप कर रहा है। ड्रैगन इस वक्त कम क्षमता वाली सटीक स्ट्राइक मिसाइलों से लेकर ICBM तक की प्रणालियों पर काम कर रहा है।
सालभर पहले चीन के पास थे 500 परमाणु बम

पेंटागन की रिपोर्ट के मुताबिक, एक साल पहले यानी 2023 तक चीन के पास परमाणु बमों की संख्या 500 के आसपास थी। यानी बीते एक साल में उसने 100 न्यूक्लिकर हथियार बना लिए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन प्लूटोनियम का उत्पादन करने के लिए अपने फास्ट ब्रीडर न्यूक्लियर रिएक्टरों का इस्तेमाल कर सकता है। इतना ही नहीं, चीन की पीपुल्स रिपब्लिक आर्मी की बढ़ती ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसकी रेंज में अमेरिका के कई बड़े शहर हैं।
चीन के लिए भ्रष्टाचार बना सबसे बड़ी चुनौती

रिपोर्ट में कहा गया है कि तेजी से परमाणु बम बना रहे चीन के लिए भ्रष्टाचार सबसे बड़ी चुनौती है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग 2050 तक पीपुल्स आर्मी को दुनिया की सबसे बड़ी सेना बनाना चाहते हैं, लेकिन चीनी सरकार के साथ ही सेना में बढ़ते भ्रष्टाचार ने उनके लक्ष्य को पीछे धकेलने का काम किया है।

चीन का आया जवाब

इस रिपोर्ट पर चीन ने भी जवाब दिया है। चीन ने कहा है कि वह सेल्फ डिफेंस के लिए परमाणु रणनीति को अपनाता है। चीन ने हमेशा पहले आक्रमण ना करने की नीति का पालन किया है और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी न्यूनतम स्तर पर अपनी परमाणु क्षमताओं को बनाए रखा है। चीनी दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंग्यू ने बुधवार को कहा कि पेंटागन की ऐसी रिपोर्ट कोल्ड वार की मानसिकता से भरी हुई हैं, जिसका चीन दृढ़ता से विरोध करता है।
क्या प्लानिंग कर रहा चीन

एक अमेरिकी अधिकारी ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि बीजिंग तकनीकी रूप से लैस परमाणु शक्ति विकसित करने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है। परमाणु हथियारों की अपेक्षित संख्या में लगातार वृद्धि हुई है। अधिकारी ने कहा कि चीन अलग-अलग तरह के लक्ष्यों पर हमला करने, अधिक नुकसान करने और जवाबी हमलों के लिए अधिक विकल्प रखने में सक्षम होने की कोशिश कर रहा है। अमेरिका ने कई मौकों पर चीन से अपने परमाणु कार्यक्रम के बारे में अधिक पारदर्शी होने की अपील की है।

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