अगर 31 दिसंबर तक आचार संहिता नहीं लगी, तो वोटर लिस्ट में जोड़ने पड़ेंगे नए नाम

रायपुर

 नगरीय निकायों में होने वाले चुनाव को लेकर दावेदार और मतदाता पूरी तरह से तैयार हो चुके हैं। अब इसमें सबसे बड़ी बात जो निकलकर सामने आ रही है, उसमें अगर 31 दिसंबर तक आचार संहिता नहीं लगी, तो वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण करना पड़ेगा।

इससे चुनाव दो से तीन माह तक टल सकता है। दरअसल, आयोग को एक जनवरी 2025 के हिसाब से नई मतदाता सूची तैयार करनी पड़ सकती है। निगम के चुनाव विशेषज्ञों की मानें, तो नई मतदाता सूची एक जनवरी 2024 के आधार पर तैयार की गई है।

वहीं, एक जनवरी 2025 से फिर 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले युवाओं के लिए लिस्ट का पुनरीक्षण करना पड़ेगा। साथ ही पांच जनवरी से निगम की शहरी सरकार का कार्यकाल भी पूर्ण होने जा रहा है। ऐसे में छह जनवरी 2025 को महापौर एजाज ढेबर का इस्तीफा देना तय है।

लिहाजा, कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर सरकार को चुनाव कराना होगा, तो 31 दिसंबर से पहले अचार संहिता लग जाएगी। अगर ऐसा नहीं होता है 29 वर्ष बाद फिर निगम में एक बार प्रशासक बैठने की पूरी संभावना है।

नगर निगम में महापौर के बराबर प्रशासक का ओहदा होता है। वहीं, पहले निगम में प्रशासक के तौर पर काम करने वाले अधिकारियों ने भी शहर को बहुत कुछ दिया था। इसमें 1985 से 1995 तक सात प्रशासक कार्य किए थे। इस दौरान रायपुर निगम की प्रशासनिक बागडोर भारतीय और राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के हाथों में रही।

इन प्रशासकों ने शहर को बहुत कुछ दिया है। 1985 में शासन द्वारा नगर निगम में ओंकार प्रसाद दुबे को प्रशासक नियुक्त किया था। वे 1985 से 1987 तक प्रशासक के तौर पर जिम्मेदारी संभालते रहे। 1987 से 88 तक अजयनाथ को प्रशासक की जिम्मेदारी मिली। उन्होंने रायपुर को सबसे बड़ा होलसेल सब्जी मार्केट शास्त्री बाजार दिया।

मनोज श्रीवास्तव भी 1990 से 93 तक प्रशासक रहे। वहीं, राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी जीएस मिश्रा 1993 से 95 तक रायपुर निगम में प्रशासक के तौर पर जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। इनके अलावा बजरंग सहाय, बीएस श्रीवास्तव, मनोज श्रीवास्तव भी प्रशासक रह चुके हैं।

27 को होगा महापौर का आरक्षण
नगर निगम के वार्डों का आरक्षण होने के बाद अब 27 दिसंबर को महापौर के लिए आरक्षण होगा। आरक्षण की प्रक्रिया पं. दीनदयाल उपाध्याय आडोटोरियम में सुबह 10 बजे होगा। वहीं, इस बार चक्रानुगत तरीके से आरक्षण की प्रक्रिया होने की संभावना है।

ऐसे में महापौर पद के लिए ओबीसी की सीट आरक्षित हो सकती है। अगर ऐसा होता है, तो बीते पांच वर्षों से महापौर बनने के लिए तैयारी कर रहे निगम के कई दिग्गज नेताओं की मेहनत पर पानी फिर सकता है।

दो से तीन माह के लिए बैठा सकते हैं प्रशासक
नगर निगम में इस बार प्रशासक बैठने की संभावना लगभग तय लग रही है। 29 वर्ष बाद ऐसा होगा जब निगम की कमान प्रशासन संभालेंगे। हालांकि, इस बार अगर प्रशासक बैठाया जाएगा, तो वह दो से तीन माह के लिए ही बैठेगा।

निगम के उच्चाधिकारियों की माने तो रायपुर कलेक्टर या संभाग आयुक्त को प्रशासक के तौर पर बैठाया जा सकता है। हालांकि, निगम आयुक्त अबिनाश मिश्रा को भी यह जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है, क्योंकि शासन स्तर उन्हें प्रशासक के तौर जिम्मेदारी सौंपने की चर्चा है।

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