मंत्री परमार ने क्रिस्प का भ्रमण कर, प्रशिक्षणार्थियों से संवाद किया

भोपाल
अपनी मातृभूमि के साथ परिवार एवं स्वजनों के प्रति कृतज्ञता का भाव हमेशा बनाए रखें। यह प्रत्येक व्यक्ति का नैतिक दायित्व है। विद्यार्थी, राष्ट्र की धरोहर है। यह बात उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री श्री इन्दर सिंह परमार ने क्रिस्प में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे प्रशिक्षु विद्यार्थियों से कही। मंत्री श्री परमार ने मंगलवार को भोपाल स्थित क्रिस्प का भ्रमण कर, संस्थान के विभिन्न विभागों एवं प्रयोगशालाओं का निरीक्षण किया। श्री परमार ने मल्टीमीडिया लैब, वी.एल.एस.आई, सिस्को लैब, पी.एल.सी लैब, हैंडीक्रॉफ्ट एवं बिहेवियर साइंस सहित विभिन्न तकनीकी लैब्स का अवलोकन कर, प्रशिक्षण कार्यक्रमों की जानकारी प्राप्त की।

मंत्री श्री परमार ने क्रिस्प के प्रशिक्षणार्थियों से संवाद किया, उनके अनुभवों के बारे में जानकारी प्राप्त की। श्री परमार ने प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे प्रशिक्षु विद्यार्थियों से संस्थागत प्रबंधन एवं भोजन आदि की जानकारी ली। श्री परमार ने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि रोजगार के अवसर प्राप्त करने के बाद भी, नैतिक दायित्व निर्वाहन को अपनी जीवनशैली में आत्मसात् करें। श्री परमार ने कहा कि मनुष्य वही हैं, जिसके भीतर संस्कार समाहित हों।

तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री परमार ने बिल्डिंग ऑटोमेशन स्पेशलिस्ट के प्रशिक्षण कार्यक्रम की जानकारी भी प्राप्त की, जिसमें भारतीय जलसेना, थलसेना और वायुसेना के जवानों को 3 महीने का विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने इस प्रशिक्षण को कौशल विकास और रोजगार के लिए एक अहम कदम बताया और क्रिस्प द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना भी की। उन्होंने कहा कि क्रिस्प संस्थान सैनिकों और युवा वर्ग को तकनीकी कौशल और प्रैक्टिकल प्रशिक्षण के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। साथ ही, उन्होंने क्रिस्प के कौशल विकास कार्यक्रमों को राज्य शासन की योजनाओं से जोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया। क्रिस्प के प्रशिक्षण मॉडल को विश्वविद्यालय की कार्य योजना में शामिल करने और विद्यार्थियों को प्रैक्टिकल प्रशिक्षण के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करने की बात कही। श्री परमार ने संस्थान की लाइब्रेरी को, भारतीय ज्ञान परम्परा से जुड़े साहित्य से समृद्ध करने को भी कहा। विद्यार्थियों को विषय में निपुण बनाने के साथ साथ, संवेदनशील नागरिक बनाना ध्येय होना चाहिए।

मंत्री श्री परमार ने क्रिस्प के कौशल विकास कार्यक्रमों को और अधिक प्रभावी बनाने के बारे में विचार-विमर्श कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कौशल विकास प्रयासों पर विस्तृत चर्चा की। जिलेवार सर्वे (अध्ययन) करके दो और चार पहिया वाहन मैकेनिक के प्रशिक्षण के लिए भी क्रिस्प के प्रयासों को बढ़ाने को कहा। पॉलिटेक्निक और इंजीनियरिंग की फैकल्टी के लिए व्यापक कार्ययोजना के साथ, टीचर्स ट्रेनिंग मॉड्यूल तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने पॉलिटेक्निक और इंजीनियरिंग के फैकल्टी के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित करने को कहा, जिससे शिक्षकों को भी नवीनतम तकनीकी और प्रैक्टिकल प्रशिक्षण मिल सके। पॉलिटेक्निक और इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों के लिए, ग्रीष्मकालीन रोजगार मार्गदर्शन शिविर आयोजित करने को कहा।

मंत्री श्री परमार पूर्व प्रशिक्षणार्थियों का सम्मेलन (एलुमनाई मीट) आयोजित करने के निर्देश भी दिए जिससे पिछले प्रशिक्षणार्थियों के अनुभवों से और सीखने को मिले। श्री परमार ने पॉलीटेक्निक के विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम के अंतिम सेमेस्टर में, क्रिस्प में प्रैक्टिकल प्रशिक्षण दिलाने एवं उनके मूल्यांकन के लिए क्रेडिट ट्रांसफर सिस्टम के साथ व्यापक कार्ययोजना बनाने के निर्देश भी दिए।

क्रिस्प के प्रबंध संचालक डॉ. श्रीकांत पाटिल ने क्रिस्प के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की और पिछले 27 वर्षों में क्रिस्प द्वारा शिक्षा, प्रशिक्षण और कौशल विकास के क्षेत्र में किए गए महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. राजीव त्रिपाठी, क्रिस्प के संचालक श्री अमोल वैद्य और मुख्य विपणन अधिकारी श्री राजेश माहेश्वरी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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