यूनियन कार्बाइड का 337 जहरीला कचरा पीथमपुर की रामकी कंपनी पहुंचा, आज से ही कचरे को जलाने की प्रक्रिया होगी शुरू

 पीथमपुर
 भोपाल से यूनियन कार्बाइड का 337 जहरीला कचरा लेकर 12 कंटेनर गुरुवार अल सुबह पीथमपुर की रामकी कंपनी पहुंचे। आज से ही कचरे को जलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। स्थानीय आमजन के विरोध के चलते यहां कड़ी सुरक्षा इंतजाम के बीच यह प्रक्रिया वैज्ञानिक तरीके से अंजाम देने की तैयारी की गई है।

परीक्षण के तौर पर पहले 90 किलोग्राम, 180 किलोग्राम और फिर 270 किलोग्राम कचरे को भस्मक में जलाकर देखा जाएगा। इस दौरान विज्ञानियों द्वारा जो मात्रा उचित निष्पादन के लिए मान्य होगी, उसी के आधार पर इसे जलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। इस पूरी प्रक्रिया में करीब तीन दिन का समय लगेगा।

2015 में भी यहां जलाया गया था कचरा

बता दें कि पीथमपुर स्थित भस्मक में 13 अगस्त 2015 को भी यूनियन कार्बाइड से 10 टन जहरीले कचरा निस्पादन के लिए भेजा गया था। तब परीक्षण के तौर पर तीन दिन जलाया गया था।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रायल रन के दौरान भस्मक में हर घंटे 90 किलो कचरा जलाया गया था। इसी ट्रायल रन रिपोर्ट के आधार पर उच्च न्यायालय ने जहरीले कचरे का निपटान पीथमपुर में करने के निर्देश दिए हैं।

ग्रीन कॉरीडोर बनाकर लाया गया

भोपाल से यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा 250 किमी का ग्रीन कॉरीडोर बनाकर लाया गया। पूरे रास्ते में जगह-जगह पुलिस तैनात रही। जहरीले कचरे से भरे 12 कंटनरों के साथ फायर ब्रिगेड, एंबुलेंस और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित पुलिस के वाहन भी चल रहे थे। इस तरह टोटल 18 गाड़‍ियां चल रही थीं।

पीथमपुर में जारी है विरोध

पीथमपुर के रामकी कंपनी में यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाने का लगातार विरोध चल रहा है। आज शहर में इसके विरोध में रैली भी निकाली जाएगी। शुक्रवार को शहर बंद रखने की अपील की गई है। विरोध करने वालों का कहना है कि जहरीला कचरा जलाए जाने से शहर के लोगों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा।

रखने के लिए बनाया 25 फीट से ऊंचा प्लेटफार्म

पीथमपुर रामकी कंपनी में कचरे का वजन किया जाएगा। इसके बाद यहां जमीन से 25 फीट ऊंचे बनाए गए लकड़ी के प्लेटफार्म पर रखा जाएगा, जिससे यह कचरा पानी, हवा किसी के भी संपर्क में न आ सके।

परीक्षण के बाद विज्ञानियों की टीम तय करेगी कि कचरे को कितने तापमान पर और कितनी मात्रा में जलाया जाए। यदि 90 किलोग्राम वाला परीक्षण सफल होता है तो करीब पांच महीने का समय लगेगा और यदि 270 किलोग्राम सफल हुआ तो इसे खत्म करने में 51 दिन का समय लगेगा।

ऐसे पैक किया गया जहरीला कचरा

जहरीला कचरा भरते हुए विशेष सावधानी बरती गई। फैक्ट्री में तीन जगह एयर क्वालिटी की निगरानी के लिए उपकरण लगाए गए। इनसे पीएम 10 और पीएम 2.5 के साथ नाइट्रोजन आक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड की जांच की गई।

कचरा जिस स्थान पर रखा था, उस इलाके की धूल भी कचरे के साथ कंटेनरों के जरिये भेजी गई है। जिन जंबो बैग में पैक किया गया, वह एचडीपीई नान रिएक्टिव लाइनर के बने हैं। इसके मटेरियल में कोई रिएक्शन नहीं हो सकता है।

ऊंचाई पर रखा जाएगा कचरा

    पीथमपुर रामकी कंपनी में अतिसुरक्षित साइट पर कचरे को जमीन व पानी से दूर ऊंचाई पर रखा जाएगा। यहां विज्ञानियों द्वारा इसका अलग-अलग भार में परीक्षण किया जाएगा। इसके बाद जल्द ही इसके निष्पादन की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। – स्वतंत्र कुमार सिंह, संचालक, गैस राहत एवं पुनर्वास विभाग, भोपाल

 

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