हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास को लगा झटका, बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट के 11 वकीलों की पैरवी के बावजूद जमानत खारिज

ढाका
बांग्लादेश में राजद्रोह के आरोप में जेल में बंद हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की जमानत अर्जी खारिज हो गई है। दास की जमानत याचिता पर गुरुवार को चटगांव कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के 11 वकीलों ने चिन्मय का पक्ष चटगांव की अदालत में रखा लेकिन उनको जमानत नहीं मिल सकी। बांग्लादेश के द डेली स्टार ने बताया है कि चटगांव की अदालत ने कड़ी सुरक्षा के बीच हुई सुनवाई के दौरान चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को जमानत देने से इनकार कर दिया। इससे पहले 3 दिसंबर 2024 को दास के केस की तारीख थी। उस समय अभियोजन पक्ष के समय मांगने और चिन्मय की ओर से कोई वकील ना होने के चलते अदालत ने 2 जनवरी की तारीख जमानत पर सुनवाई के लिए दी थी।

पूर्व में इस्कॉन से जुड़े रहे दास के खिलाफ बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा ध्वज फहराने का आरोप है। इस मामले में उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज हुआ था। इसके बाद उनको ढाका के इंटरनेशनल एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया और कोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद जेल भेज दिया गया। दास की गिरफ्तारी के बाद चटगांव में उनके समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन किया था। इस दौरान हिंसा में चटगांव में एक वकील की मौत भी हो गई थी। ये मामला काफी ज्यादा चर्चा में रहा था।

सुप्रीम कोर्ट के वकील करेंगे पैरवी

चिन्मय कृष्ण दास की पैरवी के लिए उनके वकील अपूर्ब कुमार भट्टाचार्य के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट के 11 वकीलों की टीम चटगांव पहुंची थी। वकील अपूर्ब कुमार भट्टाचार्य ने द डेली स्टार को बताया, 'हम एंजीबी ओकया परिषद के बैनर तले चटगांव आए हैं और अदालत में चिन्मय की जमानत के लिए पक्ष रख रहे हैं। हालांकि उनको दास की जमानत की उम्मीद थी, जो नहीं हो सका।

यह पूरा मामला 25 अक्टूबर को चटगांव में बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा ध्वज फहराने के आरोप से शुरू हुआ। मामला दर्ज होने के बाद चिन्मय कृष्ण दास को 25 नवंबर को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद स्थिति तब बिगड़ी, जब 27 नवंबर को चटगांव कोर्ट से दास की जमानत खारिज होने के बाद उनके समर्थकों का प्रदर्शन हिंसक हो गया और इसमें एक वकील की मौत हो गई।

चटगांव कोर्ट में हिंसा के बाद बांग्लादेश के कई हिस्सों में अल्पसंख्यकों और इस्कॉन के साधुओं के खिलाफ भी हिंसा देखने को मिली। हालांकि इस्कॉन की ओर से साफ कर दिया गया कि यौन शोषण के आरोपों के चलते दास को पहले ही निकाला जा चुका है। भारत ने भी बयान जारी करते हुए हिंदुओं पर हमलों को लेकर चिंता जताई थी।

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