मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कुशल नेतृत्व में मध्यप्रदेश सरकार माइनिंग में नवाचार कर रही

विशेष लेख
नवाचारों से मध्यप्रदेश बनेगा माइनिंग केपिटल

भोपाल

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नवाचारों से प्रेरित होकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कुशल नेतृत्व में मध्यप्रदेश सरकार माइनिंग में नवाचार कर रही है। प्रदेश में सबसे पहले क्रिटिकल मिनरल के 2 ब्लॉक्स को नीलामी में रखा गया है। सबसे अधिक खनिज ब्लॉक्स की नीलामी कर मध्यप्रदेश देश में पहले स्थान पर आ गया है। प्रदेश की समृद्ध खनिज सम्पदा और नई खनन नीतियों से राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है। खनिज संसाधनों के उपयोग से न केवल राजस्व में बढ़ोत्तरी होगी, बल्कि रोजगार के नये अवसर भी पैदा होंगे। प्रदेश में कोयला, चूना पत्थर, डोलोमाइट और बॉक्साइट जैसे खनिजों का विशाल भण्डार है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में प्रदेश खनन के क्षेत्र में अधिक राजस्व प्राप्त कर नई ऊँचाइयाँ छू रहा है।

प्रदेश में वित्तीय वर्ष 2023-24 के मुकाबले खनिज राजस्व संग्रह में 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई, प्रदेश में पहली बार खनिज राजस्व संग्रह 5 अंकों में पहुंच गया। जबकि वित्तीय वर्ष 2023-24 में इस अवधि में 4 हजार 958 करोड़ 98 लाख रुपये प्राप्त हुए थे। जबकि वर्ष 2024-25 में यह प्राप्ति 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक प्राप्त किया गया है।

मध्यप्रदेश खनिज ब्लॉक्स की नीलामी में सर्वप्रथम

मध्यप्रदेश मुख्य खनिज ब्लॉकों की सर्वाधिक संख्या में नीलामी करने में देश में प्रथम स्थान पर है। भारत सरकार द्वारा वर्तमान में स्ट्रैटेजिक एवं क्रिटिकल मिनरल पर देश की आत्म-निर्भरता बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है, जिससे इन खनिजों की आयात पर निर्भरता कम हो सके। प्रदेश द्वारा इस खनिज समूह के अंतर्गत अभी तक ग्रेफाइट के 8 खनिज ब्लॉक, रॉक-फॉस्फेट खनिज के 6 ब्लॉक सफलतापूर्वक नीलाम किये गये हैं। मुख्य खनिज के 20 ब्लॉकों की नीलामी के लिये विभाग द्वारा 9 अगस्त, 2024 को निविदा आमंत्रण सूचना-पत्र (NIT) जारी की गयी है, जिसकी कार्यवाही प्रचलन में है। इसके अतिरिक्त महत्वपूर्ण खनिज गोल्ड के 4 ब्लॉक, मैग्नीज खनिज के 16 ब्लॉक एवं कॉपर का एक ब्लॉक अभी तक सफलतापूर्वक नीलाम किये गये हैं। भारत सरकार द्वारा जनवरी-2024 में एक्सप्लोरेशन नीति प्रभावशील की गयी। इस नीति के तहत मध्यप्रदेश राज्य द्वारा क्रिटिकल मिनरल के 2 ब्लॉक नीलामी में रखे गये हैं। मध्यप्रदेश केंद्र सरकार की इस नीति का क्रियान्वयन करने वाला पहला राज्य बन गया है। खनिज अन्वेषण के क्षेत्र में भी प्रदेश प्रथम स्थान पर है। प्रदेश में स्ट्रेटेजिक एवं क्रिटिकल मिनरल, मुख्यत: रॉक-फास्फेट, ग्रेफाइट, ग्लूकोनाइट, प्लेटिनम एवं दुर्लभ धातु (आरईई) के लिये कार्य किया जा रहा है। इसके अंतर्गत 11 क्षेत्रों पर अन्वेषण कार्य किया गया।

प्रदेश में जिला खनिज विभाग के अंतर्गत विभिन्न विकास कार्य, जिसमें पेयजल, चिकित्सा, शिक्षा, महिला एवं बाल कल्याण, स्वच्छता, कौशल विकास और वृद्ध, विकलांग कल्याण के लिये 16 हजार 452 परियोजनाएँ स्वीकृत की गयी हैं, जिनकी लागत 4406 करोड़ रुपये है। इनमें से 7 हजार 583 परियोजना लागत 1810 करोड़ रुपये का कार्य पूर्ण हो गया है।

अवैध खनन को रोकने के लिये ई-चेकगेट की स्थापना

प्रदेश में खनिज के अवैध परिवहन रोकने के लिये एआई आधारित 41 ई-चेकगेट स्थापित किए जा रहे हैं। ई-चेकगेट पर वेरीफोकल कैमरा, आरएफआईडी रीडर और ऑटोमेटिक नम्बर प्लेट रीडर की सहायता से खनिज परिवहन में संलग्न वाहन की जाँच की जा सकेगी। परियोजना में पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में खनिज परिवहन के लिये महत्वपूर्ण 4 स्थानों पर ई-चेकगेट स्थापित कर कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। अवैध परिवहन की निगरानी के लिये राज्य स्तर पर भोपाल में कमाण्ड एवं कंट्रोल सेंटर तथा जिला भोपाल एवं रायसेन में जिला कमाण्ड सेंटर स्थापित किया गया है। इस वर्ष तक सभी 41 ई-चेकगेट की स्थापना किये जाने का लक्ष्य है।

अवैध खनन की रोकथाम के लिये उपग्रह और ड्रोन आधारित परियोजना प्रारंभ की गयी है। इस परियोजना के माध्यम से 7 हजार खदानों को जियो टैग देकर खदान क्षेत्र का सीमांकन किया गया है। यह परियोजना पूर्ण रूप से लागू होने पर अवैध खनन को चिन्हित कर प्रभावी कार्यवाही हो सकेगी। परियोजना के लागू होने पर स्वीकृत खदान के अंदर 3-डी इमेजिंग तथा वॉल्यूमेट्रिक एनालिसिस कर उत्खनित खनिज की मात्रा का सटीक आँकलन किया जा सकेगा। माइनिंग में नवाचारों से प्रदेश की आर्थिक प्रगति सुनिश्चित होगी, साथ ही इससे मध्यप्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर खनिज उत्पादक राज्य के रूप में नई पहचान मिलेगी।

निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन

मध्यप्रदेश सरकार निजी क्षेत्र को प्रदेश के प्रचुर खनिज संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिये प्रोत्साहित कर रही है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव के मार्गदर्शन में हाल ही में भोपाल में आयोजित माइनिंग कॉन्क्लेव में कई बड़ी कम्पनियों ने माइनिंग सेक्टर में निवेश की इच्छा जताई है। कॉन्क्लेव में 20 हजार करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। राज्य सरकार ने खनिज क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये कई सुधार किये हैं। इनमें पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया, पर्यावरण-अनुकूल खनन और स्थानीय समुदायों को मुनाफे में भागीदारी देने जैसे कदम शामिल हैं।

प्रदेश में है देश का एकमात्र हीरा भण्डार

प्रदेश के पन्ना जिले में देश का एकमात्र हीरे का भण्डार है। हीरा खदान से प्रतिवर्ष एक लाख कैरेट हीरे का उत्पादन होता है। मलाजखण्ड कॉपर खदान भारत की सबसे बड़ी ताम्बा खदान है। इस खदान से प्रतिदिन 5 से 10 हजार ताम्बा निकाला जाता है। भारत के कुल ताम्बा भण्डार का 70 प्रतिशत ताम्बा मध्यप्रदेश में है। राज्य में स्थित सासन कोयला खदान भी अपने विशाल खनन उपकरणों के लिये प्रसिद्ध है। मध्यप्रदेश देश का चौथा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक राज्य है। प्रदेश में लाइम-स्टोन, डायमण्ड और पाइरोफ्लाइट जैसे खनिज संसाधन हैं।

मध्यप्रदेश के जिलों में खनिज के भण्डार हैं, जिसमें सतना, रीवा और सीधी में लाइम-स्टोन, बॉक्साइट, ग्रेफाइट, गोल्ड और ग्रेनाइट, सिंगरौली में कोयला, गोल्ड और आयरन, शहडोल, अनूपपुर और उमरिया में कोयला, कोल बेड, मिथेन और बॉक्साइट, छतरपुर, सागर और पन्ना में डायमण्ड, रॉक फास्फेट, आयरन, ग्रेनाइट, लाइम, डायस्पोर और पाइरोफ्लाइट, जबलपुर और कटनी में बॉक्साइट, डोलोमाइट, आयरन, लाइम-स्टोन, मैग्नीज, गोल्ड और मार्बल, नीमच और धार में लाइम-स्टोन, बैतूल में कोयला, ग्रेफाइट, ग्रेनाइट, लीड और जिंक, छिंदवाड़ा में कोयला, मैग्नीज और डोलोमाइट, बालाघाट में कॉपर, मैग्नीज, डोलोमाइट, लाइम-स्टोन और बॉक्साइट, मण्डला और डिण्डोरी में डोलोमाइट और बॉक्साइट, ग्वालियर और शिवपुरी में आयरन, फ्लेग-स्टोन और क्वार्ट्ज, झाबुआ और अलीराजपुर में रॉक फस्फेट, डोलोमाइट, लाइम-स्टोन, मैग्नीज और ग्रेफाइट के भण्डार हैं।

 

More From Author

नवा रायपुर बन रहा आईटी हब, आईटी के क्षेत्र में 10,000 नए रोजगार होंगे उपलब्ध

कृषि मंत्री नेताम बोले – किसानों के लिए उपयोगी है कृषि दर्शिका

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

city24x7.news founded in 2021 is India’s leading Hindi News Portal with the aim of reaching millions of Indians in India and significantly worldwide Indian Diaspora who are eager to stay in touch with India based news and stories in Hindi because of the varied contents presented in an eye pleasing design format.