चुनाव आयोग ने अपनी तैयारी पूरी की, अब दिल्ली विधानसभा चुनाव के तारीखों का ऐलान बहुत जल्द होने की संभावना

नई दिल्ली
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर राजनीति गरमाती जा रही है। आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। इसके बीच ही चुनाव आयोग ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है और अब दिल्ली विधानसभा चुनाव के तारीखों का ऐलान बहुत जल्द होने की संभावना है। सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार, केंद्रीय चुनाव आयोग 7 या 8 जनवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है। चुनावों की तिथि फरवरी के दूसरे हफ्ते में रखे जाने की संभावना जताई जा रही है। इसके बाद चुनाव परिणाम 15 या 16 फरवरी के आसपास घोषित होने की उम्मीद है।

एक ही चरण में होंगे दिल्ली विधानसभा चुनाव
केंद्र सरकार और चुनाव आयोग की ओर से तैयारियां अंतिम चरण में हैं। सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली विधानसभा चुनाव एक ही चरण में होंगे और मतदान 11 से लेकर 13 फरवरी के बीच हो सकते हैं। यदि यह तारीखें तय होती हैं, तो चुनाव परिणाम की घोषणा 15 या 16 फरवरी तक की जा सकती है। इसके साथ ही, 6 जनवरी तक चुनाव आयोग नई वोटर लिस्ट भी जारी करेगा, जिससे नए मतदाताओं के नाम और वोटरों की संख्या में होने वाले बदलाव का पता चलेगा। इस लिस्ट के आधार पर ही चुनावी प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जाएगा। नई वोटर लिस्ट जारी होने के बाद दिल्ली के चुनावी क्षेत्र में एक नई उम्मीद और उत्साह का माहौल बनेगा। यह लिस्ट दिल्ली की राजनीतिक दिशा को भी प्रभावित कर सकती है, क्योंकि नई वोटर लिस्ट में खासतौर पर युवा वोटरों और नए नागरिकों की संख्या बढ़ने की संभावना है। इससे पहले, 2015 और 2020 के चुनावों में भी युवा वोटर्स ने बड़ी भूमिका निभाई थी।

फोकस  शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी और विकास के मुद्दों पर
दिल्ली विधानसभा चुनावों को लेकर तीन प्रमुख दलों के बीच राजनीति और रणनीति का घमासान तेज हो गया है। आम आदमी पार्टी, जो पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली में सत्तारूढ़ रही है, ने अपनी चुनावी तैयारियों को तेज कर दिया है। पार्टी का लक्ष्य 2020 की तरह एक बार फिर एकतरफा जीत हासिल करना है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पार्टी के वरिष्ठ नेता चुनावी मैदान में अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं। उनका फोकस मुख्य रूप से शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी और विकास के मुद्दों पर है। पार्टी का दावा है कि दिल्ली में पिछले 5 वर्षों में हुए विकास कार्यों के आधार पर जनता उनके साथ है। वहीं भारतीय जनता पार्टी (BJP), जो दिल्ली में पिछले 27 साल से सत्ता से बाहर है, इस बार हर संभव कोशिश कर रही है ताकि वह दिल्ली में अपना खोया हुआ प्रभाव फिर से बना सके।

पार्टी के नेताओं का कहना है कि दिल्ली में विकास के नाम पर आम आदमी पार्टी ने केवल घोषणाएं की हैं और वास्तविक सुधारों की कमी है। बीजेपी इस चुनाव में नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और केंद्रीय योजनाओं के माध्यम से दिल्ली की जनता को आकर्षित करने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस पार्टी, जो कभी दिल्ली में एक प्रमुख राजनीतिक शक्ति थी, अब अपनी खोई हुई जमीन को वापस पाने की कोशिश कर रही है। पिछले कुछ वर्षों में कांग्रेस का वोट बैंक लगातार घटता जा रहा है। हालांकि, कांग्रेस दिल्ली के पुराने वफादारों और उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रही है जहां उनका प्रभाव था। पार्टी के नेता यह दावा कर रहे हैं कि वे एक नई शुरुआत के साथ मैदान में हैं और आने वाले चुनावों में अपनी खोई हुई साख को पुनः हासिल करेंगे।

जानिए दिल्ली के चुनावी का इतिहास
दिल्ली विधानसभा चुनावों के इतिहास पर नजर डालें तो पिछले कुछ चुनावों में AAP ने अपनी मजबूत स्थिति कायम रखी है। 2020 के चुनाव में, AAP ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों को मात देते हुए 70 सीटों में से 62 पर विजय प्राप्त की थी। AAP के उम्मीदवारों ने कई सीटों पर कम अंतर से जीत हासिल की थी, जो दर्शाता है कि दिल्ली के मतदाता इस बार भी सटीक चुनावी रणनीतियों को प्राथमिकता देंगे।दिल्ली विधानसभा में कुल 70 सीटें हैं, और इनमें से अधिकतर सीटें ऐसी हैं, जहां जीत का अंतर काफी कम होता है। इसलिए इस चुनाव में उम्मीदवारों के व्यक्तिगत प्रभाव और क्षेत्रीय समीकरणों का भी अहम योगदान हो सकता है। दिल्ली की सियासत में एक नई जनधारा का आना और विभिन्न क्षेत्रों में बदलते हुए मतदाता स्वरूप के कारण चुनावी परिणामों का पूर्वानुमान करना कठिन हो गया है।

चुनाव में किसी भी मतदाता को समस्या न हो
6 जनवरी तक केंद्रीय चुनाव आयोग नई वोटर लिस्ट जारी करेगा, जिसमें नए वोटरों के नाम जोड़े जाएंगे और पुराने नामों में बदलाव किया जाएगा। दिल्ली में हर चुनाव से पहले इस लिस्ट का अपडेट किया जाता है ताकि चुनाव में किसी भी मतदाता को समस्या न हो। इस बार दिल्ली में बड़ी संख्या में युवा मतदाता हैं, जो पहली बार वोट डालने जा रहे हैं। इसके अलावा, कई प्रवासी नागरिक जो हाल ही में दिल्ली में आए हैं, उनके नाम भी वोटर लिस्ट में जोड़े जा सकते हैं। नई वोटर लिस्ट का प्रभाव यह भी हो सकता है कि दिल्ली के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्याशियों की जीत-हार के अंतर में बदलाव आए। साथ ही, यह लिस्ट चुनावी प्रचार में एक नया मोड़ ला सकती है क्योंकि पार्टियों को अब नए वोटर्स तक पहुंचने के लिए अपनी रणनीतियों को फिर से डिजाइन करना होगा।
 

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