प्रदेश में 20 लाख की नौकरी छोड़कर शुरू की फल-सब्जी की खेती, 150 लोगों को दे रहे रोजगार

रायपुर
युवाओं में नौकरी करने के बजाय स्वयं का कार्य करने की ललक बढ़ती जा रही है। सरकार की तरफ से भी अलग-अलग योजनाओं के माध्यम से युवाओं को नवाचार को बढ़ावा मिल रहा है। 46 साल के परिवेश मिश्रा ने इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेली कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग की। इसके बाद अलग-अलग टेलीकॉम कंपनियों में लगभग 17 साल तक नौकरी की। नौकरी के दौरान ही खेती की तरफ रुझान बढ़ा। साल 2018 में 20 लाख के सलाना पैकेज की नौकरी छोड़कर अपनी जमीन पर फल और सब्जियों की खेती करना शुरू किया। शुरुआत में काफी परेशानी आई। पहले खेतों में पारंपरिक खेती होती थी। पारंपरिक खेती से हटकर फल और सब्जियों की खेती शुरू की। वर्तमान में वे लगभग 90 एकड़ में फल और सब्जी उगा रहे हैं। इससे लगभग डेढ़ करोड़ से ज्यादा का सलाना मुनाफा हो रहा है। साथ ही वे लगभग डेढ़ सौ लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं।

सात सब्जियों, चार प्रकार के फलों की कर रहे खेती
परिवेश ने बताया कि वह सात प्रकार की सब्जी और चार प्रकार के फलों की खेती कर रहे हैं। वर्तमान में सब्जी में टमाटर, भाठा, लौकी, खीरा, शिमला मिर्ची, करेला, मिर्ची लगी है। फल में पपीता, केला, तरबूज और खरबूज लगाते हैं।

25 लाख लोन लेकर चिप्स बनाने की लगाई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट
आमासिवनी में रहने वाले 23 साल के अनिकेत टंडन ने साल 2023 में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत 25 लाख का लोन लिया। इसके बाद यम्मी नाम से आलू चिप्स बनाने की यूनिट शुरू की। दो साल में ही कंपनी का टर्नओवर एक करोड़ पहुंच गया है। अनिकेत बताते हैं कि शुरू से ही खुद का बिजनेस शुरू करने का मन बना लिया था। बीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद बिजनेस के बारे में सोचने लगा। बिजनेस की अच्छी समझ विकसित करने के लिए आईआईएम जम्मू से स्मार्ट बिजनेस डेवलपमेंट डिप्लोमा किया।
 
चिप्स की यूनिट में नौ महिलाओं को दे रहे रोजगार
डिप्लोमा करने के दौरान ही पीएमईजीपी के बारे में जानकारी मिली। कंकाली पारा में पीएमईजीपी का कार्यालय है, वहां जाकर व्यवसाय शुरू करने के बारे में बताया। वहां से पैसा मिलते ही तिल्दा में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट शुरू कर दिया। व्यवसाय शुरू करने के लिए लोन मिलने के बाद केंद्र सरकार की तरफ से बिजनेस को बढ़ाने के लिए आंत्रप्रेन्योर डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत प्रशिक्षण भी किया। वर्तमान में नौ महिलाओं यूनिट में कार्य कर रही हैं।
 
डीएपी, यूरिया, रासायनिक खाद की जगह बनाई जैविक खाद
रसायनिक खाद के उपयोग से पैदावार बढ़ रही है। मगर, ऐसा अनाज खाने से बीमारियां भी बढ़ रही है। बिना खाद के पैदावार भी कम होती है। पैदावार भी अच्छी हो और किसानों को रसायनिक खादों का उपयोग भी न करना पड़े। इसके लिए 34 साल के मैकेनिकल इंजीनियर जीवन लाल जंघेल ने जैविक खाद बनाई है।

इसके छिड़काव से पैदावार भी अच्छी होती है। डीएपी, यूरिया का छिड़काव भी नहीं करना पड़ता है। प्लान बूस्टर लिक्वड बनाया है। इसके छिड़काव से फसल को 16 प्रकार के पोषक तत्व मिलते हैं। एक लीटर प्लान बूस्टर का छिड़काव एक एकड़ में करते हैं। एक फसल के लिए दो बार छिड़काव करन पड़ता है। यूरिया की जगह पर हमने बायो पोटास बनाया है। इससे भी फसल अच्छी बढ़ती है। पौधा भी बहुत ताकतवर होता है।

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