आर्थिक झटका लगने से शुरू हुए बुरे वक्त के बाद मालदीव बैकफुट पर, अब मालदीव सरकार के मंत्री भारत के लगा रहे चक्कर

मालदीव
भारत और मालदीव के रिश्ते एक बार फिर से पटरी पर लौट गए हैं। मोहम्मद मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही दोनों देशों के संबंधों में खटास आ गई थी, लेकिन आर्थिक झटका लगने से शुरू हुए बुरे वक्त के बाद मालदीव बैकफुट पर आ गया। अब मालदीव सरकार के मंत्री भारत के चक्कर लगा रहे हैं। विदेश मंत्री हालिया दौरे के बाद अब मालदीव के रक्षा मंत्री मोहम्मद घासन मौमून भी भारत पहुंचे हैं, जिसके बाद उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। राजनाथ सिंह ने मालदीव के अपने समकक्ष के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक में मालदीव के साथ संबंधों को गहरा करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की हाल की भारत यात्रा पर विचार करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, "मुझे अक्टूबर 2024 में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की भारत की राजकीय यात्रा के दौरान आपके साथ हमारी संक्षिप्त मुलाकात याद है।''

रक्षा मंत्री ने दोनों देशों के बीच स्थायी आध्यात्मिक, ऐतिहासिक, भाषाई और जातीय संबंधों पर जोर दिया, और संबंधों को घनिष्ठ, सौहार्दपूर्ण और बहुआयामी बताया। राजनाथ सिंह ने कहा कि मालदीव भारत की पड़ोसी प्रथम नीति के तहत एक विशेष स्थान रखता है, जो क्षेत्रीय स्थिरता और समृद्धि सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक रणनीतिक ढांचा है। उन्होंने कहा, "मालदीव ने भारत की पड़ोसी प्रथम नीति के तहत एक विशेष स्थान प्राप्त किया, जिसका उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि लाना है।" हिंद महासागर में सुरक्षा बनाए रखने में दोनों देशों की साझा भूमिका पर प्रकाश डालते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, "दोनों देश हिंद महासागर क्षेत्र की सुरक्षा और संरक्षा बनाए रखने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं, इस प्रकार वे क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास में योगदान करते हैं।"

मालदीव के साथ भारत का मजबूत रक्षा सहयोग दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की बातचीत का एक और केंद्र बिंदु था। सिंह ने भारत द्वारा प्रस्तावित क्षमता निर्माण के अवसरों का भी जिक्र किया, जिसमें प्रशिक्षण कार्यक्रम, संयुक्त अभ्यास, कार्यशालाएं और रक्षा उपकरणों की आपूर्ति शामिल है। उन्होंने इस गति को बनाए रखने के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “भारत परियोजनाओं, उपकरणों और प्रशिक्षण के माध्यम से मालदीव और मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल को उनके क्षमता निर्माण प्रयासों में समर्थन देना जारी रखेगा। एक विश्वसनीय भागीदार और एक करीबी दोस्त के रूप में, आश्वासन देता हूं कि भारत मालदीव की विकास आवश्यकताओं और उसके लोगों के कल्याण के लिए समर्थन करना जारी रखेगा।”

मालदीव के विदेश मंत्री ने भी की थी भारत की यात्रा
बता दें कि रक्षा मंत्री मोहम्मद घासन मौमून की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब कुछ दिन पहले, मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला खलील ने भारत की यात्रा की थी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ व्यापक वार्ता की थी। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने तीन जनवरी को हुई बैठक में कहा था कि भारत की पड़ोस पहले नीति का मालदीव एक शानदार उदाहरण है और उन्होंने हिंद महासागर में स्थित इस द्वीप देश को नयी दिल्ली के सहयोग का वादा किया। उन्होंने कहा था, ''विभिन्न क्षेत्रों में हमारी भागीदारी बढ़ी है और भारत हमेशा मालदीव के साथ खड़ा रहा है। हमारे लिए, आपके साथ सहयोग हमारी पड़ोस पहले नीति का शानदार उदाहरण है।'' मालदीव, हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के प्रमुख समुद्री पड़ोसियों में से एक है और मालदीव में पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल के दौरान रक्षा सहित समग्र द्विपक्षीय संबंधों में वृद्धि देखी गई।

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