चायनीज मांझे के ट्रांसमिशन लाइनों के संपर्क से संभावित दुर्घटना से बचाव हेतु रोको-टोको अभियान

भोपाल
एम.पी. ट्रांसको (मध्यप्रदेश पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी) की ट्रांसमिशन लाइनों के समीप चायनीज मांझे से पतंग उड़ाने के कारण संभावित दुर्घटना की आशंकाओं पर अंकुश लगाने और नागरिकों को सतर्क तथा सुरक्षित करने प्रदेश में एम.पी. ट्रांसको ने रोको-टोको अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिये एम.पी. ट्रांसको ने स्थानीय जिला प्रशासन से चायनीच मांझे के इस्तेमाल पर रोक तथा ट्रांसमिशन लाइनों के समीप के उन क्षेत्रों को संवेदनशील और खतरनाक घोषित करने के लिये अनुरोध किया है।

ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने आग्रह किया है की ट्रांसमिशन लाइनों के पास पतंग नहीं उड़ायें। उन्होंने बताया कि प्रदेश में बहुतायत पतंग उड़ाये जाने वाले संवेदनशील क्षेत्रों में नागरिकों से व्यक्तिगत संपर्क किया जा रहा है। इसके अलावा पोस्टर बैनर एवं पब्लिक एनाउंसमेंट सिस्टम के माध्यम से उन्हें सचेत एवं सतर्क किये जाने का अभियान भी चलाया जा रहा है, जिससे नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। साथ ही उपभोक्ताओं को विद्युत के अनावश्यक व्यवधान का सामना न करने पड़े। गत वर्ष राजधानी भोपाल, इंदौर, उज्जैन, धार सहित कुछ स्थानों पर ट्रांसमिशन लाइनों में चायनीज मांझा के साथ पतंग फंसने की घटनाओं के बाद विद्युत व्यवधान हुआ था तथा पतंग उड़ाने वालों को भी नुकसान पहॅुचा था। एम.पी. ट्रांसको के संवेदनशील प्रोटेक्शन सिस्टम के 100 प्रतिशत ऑपरेट होने से बड़ी जनधन हानि से बचा जा सका था।

क्यों घातक है चायनीज मांझा
चायनीज मांझा में कई तरह के केमिकल और धातुओं का इस्तेमाल किया जाता है, जो डोरी को बिजली का अच्छा सुचालक बना देता है। यह संपर्क में आने से पतंग उड़ाने वाले के लिये घातक साबित होता है। साथ ही ट्रांसमिशन लाइन में लिपटने से चीनी मांझे से क्षेत्र में विद्युत व्यवधान की आशंका भी रहती है।

 

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