पीएम मोदी ने किया गांदरबल में जेड मोड़ टनल का उद्घाटन, 15 मिनट में पूरा होगा 1 घंटे का सफर

 श्रीनगर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर के गांदरबल में जेड मोड़ टनल का उद्घाटन किया। यह 6.4 किलोमीटर लंबी डबल लेन टनल श्रीनगर-लेह हाईवे (NH-1) पर स्थित है और श्रीनगर को सोनमर्ग से जोड़ती है। पहले यह हाईवे बर्फबारी के कारण 6 महीने तक बंद रहता था, लेकिन अब यह हर मौसम में चालू रहेगा।

टनल की वजह से श्रीनगर से सोनमर्ग का सफर, जो पहले 1 घंटे से ज्यादा लेता था, अब केवल 15 मिनट में पूरा हो जाएगा। गाड़ियों की स्पीड भी 30 किमी/घंटा से बढ़कर 70 किमी/घंटा हो जाएगी। पहाड़ी इलाकों को पार करने में जहां 3-4 घंटे लगते थे, वहां यह दूरी अब 45 मिनट में तय होगी।

यह प्रोजेक्ट सुरक्षा और पर्यटन के लिहाज से भी अहम है। लद्दाख में सेना को सामान और रसद पहुंचाने में यह टनल मददगार साबित होगी। पहले बर्फबारी के समय सेना को एयरफोर्स पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन अब सड़क मार्ग से सामान कम लागत में पहुंचाया जा सकेगा।

Z-Morh टनल क्षेत्र में बहु-स्तरीय सुरक्षा

टनल क्षेत्र के पास सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा टीम, जिसमें एसपीजी के अधिकारी शामिल हैं, उन्होंने उद्घाटन स्थल पर जिम्मेदारी संभाल ली है. संवेदनशील स्थानों पर शार्पशूटर्स तैनात किए गए हैं और ड्रोन के माध्यम से हवाई व तकनीकी निगरानी की जा रही है.

क्यों अहम है यह टनल?

सोनमर्ग और गगनगीर को जोड़ने वाली यह टनल 8,650 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और इसमें आपातकालीन स्थिति के लिए 7.5 मीटर चौड़ा समानांतर मार्ग है. ये टनल लद्दाख को पूरे साल सड़क मार्ग से जोड़ने के साथ-साथ देश की रक्षा जरूरतों और क्षेत्रीय विकास में अहम भूमिका निभाएगी.

टनल से क्या फायदे होंगे?

– सोनमर्ग टनल गगनगीर से सोनमर्ग तक निर्बाध यातायात सुनिश्चित करेगी
– राष्ट्रीय राजमार्ग-1 पर यात्रा की दूरी 49 किमी से घटकर 43 किमी हो जाएगी.
– वाहनों की गति 30 किमी/घंटा से बढ़कर 70 किमी/घंटा हो जाएगी.
– यह टनल क्षेत्र के पर्यटन और व्यापार में तेजी लाने में सहायक होगी.

गेम चेंजर साबित होगी टनल

नेशनल हाईवे एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHIDCL) ने इस टनल को इंजीनियरिंग का चमत्कार और क्षेत्र के लिए गेम चेंजर बताया है. साथ ही कहा कि यह परियोजना न केवल यात्रा के अनुभव को बेहतर बनाएगी, बल्कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के बीच सामाजिक व आर्थिक विकास को भी गति देगी. Z-Morh टनल के साथ ज़ोजिला टनल का काम 2028 तक पूरा होगा. यह क्षेत्रीय रक्षा रसद और यातायात को सुगम बनाएगी. इससे लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के बीच जुड़ाव और विकास को नई दिशा मिलेगी.

साल भर सोनमर्ग आ सकेंगे पर्यटक

यह परियोजना सोनमर्ग को साल भर घूमने लायक जगह में बदलेगी जिससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा. इससे शीतकालीन पर्यटन और स्थानीय आजीविका को बढ़ावा मिलेगा. ज़ोजिला टनल, जिसके 2028 तक पूरा होने की उम्मीद है, के साथ यह रास्ते की लंबाई को 49 किमी से घटाकर 43 किमी कर देगी और गाड़ियों की गति को 30 किमी/घंटा से बढ़ाकर 70 किमी/घंटा कर देगी, जिससे श्रीनगर घाटी और लद्दाख के बीच निर्बाध NH-1 कनेक्टिविटी सुनिश्चित होगी.

निर्माण श्रमिकों से भी मिलेंगे पीएम

यह बढ़ी हुई कनेक्टिविटी डिफेंस लॉजिस्टिक को बढ़ावा देगी, जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में आर्थिक विकास और सामाजिक-सांस्कृतिक एकीकरण को बढ़ावा देगी. प्रधानमंत्री उन निर्माण श्रमिकों से भी मिलेंगे जिन्होंने सबसे कठिन परिस्थितियों में सावधानीपूर्वक काम किया है और टनल के निर्माण में अपना योगदान दिया.

8,650 फीट की ऊंचाई पर स्थित, Z-मोड़ टनल एक दो-लेन वाली रोड टनल है, जिसमें आपात स्थिति के लिए समानांतर 7.5 मीटर चौड़ा निकास मार्ग भी है. यह सुरंग गगनगीर और सोनमर्ग के बीच निर्बाध कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगी तथा लद्दाख में गर्मियों में यात्रा को आसान बनाएगी.

टनल निर्माण और लागत
– टनल का निर्माण 2018 में शुरू हुआ और इसे बनाने में 2700 करोड़ रुपये का खर्च आया।
– यह श्रीनगर-करगिल-लेह हाईवे प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिसमें 31 टनल बनाई जा रही हैं।
– इनमें से 20 टनल जम्मू-कश्मीर में और 11 लद्दाख में हैं।

निर्माण में देरी के कारण
– प्रोजेक्ट की शुरुआत 2012 में हुई थी।
– कोरोना महामारी और चुनावी आचार संहिता के कारण इसका उद्घाटन देरी से हुआ।
– 12 साल में यह प्रोजेक्ट पूरा हुआ।

NATM तकनीक से बनी टनल
टनल का निर्माण न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (NATM) से किया गया है। इस तकनीक में टनल बनाते समय मलबा निकाला जाता है और दीवारें भी तुरंत बनाई जाती हैं, जिससे पहाड़ दरकने या हादसों का खतरा नहीं रहता। निर्माण से पहले इलाके की मिट्टी, जलवायु और अन्य पहलुओं की जांच की जाती है।

जोजिला टनल का काम जारी
जेड मोड़ टनल के बाद जोजिला टनल का काम भी 2028 तक पूरा हो जाएगा। यह टनल बालटाल, कारगिल और लद्दाख को हर मौसम में जोड़ने का काम करेगी। दोनों टनल बनने के बाद कुल लंबाई 12 किलोमीटर हो जाएगी, जिसमें 2.15 किलोमीटर की लिंक रोड भी शामिल है।

एशिया की सबसे लंबी टनल
फिलहाल हिमाचल प्रदेश की अटल टनल (9.2 किमी) एशिया की सबसे लंबी टनल है। लेकिन जोजिला और जेड मोड़ टनल पूरी होने के बाद यह खिताब इन्हें मिल जाएगा।

सेना के लिए लाभ
दोनों टनल प्रोजेक्ट्स पूरे होने के बाद सेना आसानी से और कम खर्च में रसद और हथियार लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) तक पहुंचा सकेगी। यह चीन और पाकिस्तान बॉर्डर तक बटालियनों की मूवमेंट को भी सरल बनाएगा।

 

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